देश / अमित शाह का बड़ा बयान, कहा- आंदोलन से किसानों का नहीं संबंध और अब...

बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा की तरफ से मंगलवार की रात बीजेपी नेताओं की बुलाई गई। बैठक में किसानों की तरफ से राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर जा रहे विरोध प्रदर्शन पर चर्चा हुई। सूत्रों के मुताबिक, इस दौरान बैठक में मौजूद केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि ये आंदोलन राजनीतिक है और कम्युनिस्ट पार्टी बीजेपी की विचारधारा को खत्म करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि इस आंदोलन का किसानों से कोई मतलब नहीं है।

Vikrant Shekhawat : Feb 16, 2021, 10:24 PM
नई दिल्ली | बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा की तरफ से मंगलवार की रात बीजेपी नेताओं की बुलाई गई। बैठक में किसानों की तरफ से राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर जा रहे विरोध प्रदर्शन पर चर्चा हुई। सूत्रों के मुताबिक, इस दौरान बैठक में मौजूद केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि ये आंदोलन राजनीतिक है और कम्युनिस्ट पार्टी बीजेपी की विचारधारा को खत्म करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि इस आंदोलन का किसानों से कोई मतलब नहीं है।

अमित शाह बोले- विपक्ष का मकसद पीछे ले जाना

बीजेपी नेताओं के साथ बैठक के दौरान अमित शाह ने कहा- “विपक्ष साज़िश से देश को पीछे ले जाना चाहता है। इसलिये देश की भलाई के लिये गांव और जाट समाज हमसे दूर ना हो इसके लिये ज़मीन पर सभी को काम करना है। अगले 15-20 दिन सभी को खापों, किसानों और समाज के बीच में रहना है। हमको आंदोलनकारियों का जन समर्थन ख़त्म करना है।”

जेपी नड्डा बोले- अगले 3-4 दिन में बनाएंगे रणनीति

इधर, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बैठक के दौरान कहा कि यूपी, हरियाणा, राजस्थान और उत्तराखंड के संगठन के पदाधिकारी अगले 3-4 दिन में रणनीति बनायेंगे और फिर सभी को ज़मीन पर काम करना है।

गौरतलब है कि तीन नए कृषि कानूनों को पिछले साल सितंबर के महीने में विपक्ष के कड़े विरोध के बीच संसद से पास कराया गया था। उसके बाद से लगातार खासकर पंजाब और हरियाणा के किसान इन कानूनों के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन कर रहे हैं।

किसानों को डर है कि इन तीनों नए कृषि कानूनों के जरिए सरकार एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) और मंडी व्यवस्था को खत्म कर देगी और उन्हें उद्योगपतियों के रहमोकरम पर छोड़ देगी। किसानों की मांग है कि सरकार तीनों कृषि कानूनों की वापसी के साथ ही एमएसपी को कानून का हिस्सा बनाए। जबकि, केन्द्र सरकार का तर्क है कि इन कानूनों के जरिए कृषि क्षेत्र में व्यापक सुधार होगा और नए निवेश के अवसर खुलेंगे और किसानों की आमदनी दोगुनी हो जाएगी।