Vikrant Shekhawat : Dec 24, 2022, 12:32 PM
Income Tax Slab: भारत में एक इनकम के बाद लोगों को उस पर टैक्स भी देना पड़ता है. अलग-अलग इनकम पर टैक्स की दरें भी अलग-अलग होती है. भारत के आयकर अधिनियम के अनुसार सभी व्यक्तियों, HUF, साझेदारी फर्मों, एलएलपी और कॉरपोरेट्स के जरिए अर्जित आय पर आयकर लगाया जाता है. व्यक्तियों के मामले में अगर किसी की आय न्यूनतम सीमा से अधिक है तो स्लैब सिस्टम के अनुसार टैक्स लगाया जाता है. भारतीय आयकर एक स्लैब सिस्टम के आधार पर व्यक्तिगत करदाताओं पर टैक्स लगाता है. स्लैब प्रणाली का अर्थ है कि आय की विभिन्न श्रेणियों के लिए अलग-अलग टैक्स रेट निर्धारित है. इसका मतलब है कि करदाता की आय में वृद्धि के साथ कर की टैक्स की रेट्स बढ़ती रहती हैं.टैक्स रिजीमइस प्रकार के टैक्सेशन देश में प्रगतिशील और निष्पक्ष टैक्स प्रणाली को सक्षम बनाते हैं. इस तरह के इनकम टैक्स स्लैब हर बजट के दौरान बदलाव से गुजरते हैं. ये स्लैब दरें करदाताओं की विभिन्न श्रेणियों के लिए अलग-अलग हैं. वहीं देश में वर्तमान में दो टैक्स रिजीम मौजूद हैं, जिनके हिसाब से टैक्स वसूल किया जाता है. इनको New Tax Regime और Old Tax Regime के नाम से पहचाना जाता है.अंतरकुछ ही दिनों में वित्त मंत्री की ओर से केंद्रीय बजट पेश किया जाना वाला है. वहीं अगर FY 2021-22 के लिए New Tax Regime की तरफ और Old Tax Regime की तरफ देखा जाए तो काफी फर्क देखने को मिलेगा. इन टैक्स स्लैब में 10 लाख रुपये तक की आय में अलग-अलग दर से टैक्स वसूल किया जाता है.5 फीसदी का अंतरFY 2021-22 के लिए New Tax Regime में 7.5 लाख रुपये से 10 लाख रुपये की सालाना आय पर 15 फीसदी की दर से टैक्स चुकाना होता है. वहीं Old Tax Regime में ऐसा नहीं है. Old Tax Regime में 60 साल से कम के व्यक्तिगत टैक्सपेयर्स को 5 लाख रुपये से 10 लाख रुपये की सालाना आय पर 20 फीसदी का टैक्स चुकाना होगा. ऐसे में 10 लाख रुपये तक की सालाना आय पर दोनों टैक्स रिजीम में FY 2021-22 के लिए 5 फीसदी का अंतर देखने को मिलता है.