AMAR UJALA : Apr 17, 2020, 03:30 PM
पैरासिटामॉल को भी भारत ने प्रतिबंधित निर्यात की सूची से हटा लिया है। विदेश व्यापार महानिदेशलय ने शुक्रवार को ही यह अधिसूचना जारी की है। सूत्र बताते हैं कि फार्मास्युटिकल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के चेयरमैन दिनेश दुआ की सिफारिश पर वाणिज्य मंत्रालय ने शीर्ष स्तर पर विचार करके यह निर्णय लिया है।
बताते हैं भारत में पैरासिटामॉल का पर्याप्त स्टॉक है। भारत यदि पूरी क्षमता से पैरासिटामॉल का उपयोग करे और पूरी क्षमता के साथ निर्यात करे तो भी छह महीने तक के लिए पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध है। बताते हैं भारत के पास इस समय कोई 62 हजार टन पैरासिटामॉल का स्टॉक है।विदेश से आने वालों ने खूब खाई थी पैरासिटामॉल!चिकित्सा विशेषज्ञों का मानना है कि कोविड-19 संक्रमण के फैलाव में पैरासिटामॉल का भी योगदान है। विदेश से आने वाले लोग अपने बुखार को छिपाने के लिए कनेक्टिंग फ्लाइट या बीच में पैरासिटामॉल खा लेते थे। इसके कारण भारतीय हवाई अड्डों पर होने वाली थर्मल स्क्रीनिंग में लोग बच गए थे।वहां शरीर का सामान्य तापमान होने के कारण एजेंसियों ने ऐसे लोगों को घर या अगले स्थान के लिए जाने दिया। आरएमएल के वरिष्ठ चिकित्सक का मानना है कि इनमें से कुछ लोग कोविड-19 से संक्रमित थे और बाद में इन्होंने तमाम लोगों को संक्रमित कर दिया।
पैरासिटामॉल की भारी मांग हैअतरराष्ट्रीय स्तर पर पैरासीटामॉल की काफी मांग है। इस समय हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के बाद पैरासिटामॉल की मांग सबसे ज्यादा है। प्रतिदिन के हिसाब से मानें तो करीब दो हजार टन पैरासिटामॉल की मांग रहती है।सूत्र बताते हैं घरेलू उपयोग के लिए इस्तेमाल होने वाली पैरासिटामॉल में से भी लोग चोरी-छिपे इसका एक्सपोर्ट करके पैसे कमा लेते हैं। बताते हैं कि इसका सरकार के पास सही आंकड़ा रखा गया, तब कहीं जाकर निर्यात की अनुमति मिल पाई है।
माना जा रहा है कि यह अनुमति मिलने के बाद भारत अगले कुछ दिनों में 8-9 हजार टन (400 करोड़ रुपये) पैरासिटामॉल का निर्यात कर सकता है। बताते हैं देश की जानी मानी फार्मा कंपनी ग्रेन्यूल के पास ही कोई एक हजार टन पैरासिटामॉल के निर्यात का आर्डर है
बताते हैं भारत में पैरासिटामॉल का पर्याप्त स्टॉक है। भारत यदि पूरी क्षमता से पैरासिटामॉल का उपयोग करे और पूरी क्षमता के साथ निर्यात करे तो भी छह महीने तक के लिए पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध है। बताते हैं भारत के पास इस समय कोई 62 हजार टन पैरासिटामॉल का स्टॉक है।विदेश से आने वालों ने खूब खाई थी पैरासिटामॉल!चिकित्सा विशेषज्ञों का मानना है कि कोविड-19 संक्रमण के फैलाव में पैरासिटामॉल का भी योगदान है। विदेश से आने वाले लोग अपने बुखार को छिपाने के लिए कनेक्टिंग फ्लाइट या बीच में पैरासिटामॉल खा लेते थे। इसके कारण भारतीय हवाई अड्डों पर होने वाली थर्मल स्क्रीनिंग में लोग बच गए थे।वहां शरीर का सामान्य तापमान होने के कारण एजेंसियों ने ऐसे लोगों को घर या अगले स्थान के लिए जाने दिया। आरएमएल के वरिष्ठ चिकित्सक का मानना है कि इनमें से कुछ लोग कोविड-19 से संक्रमित थे और बाद में इन्होंने तमाम लोगों को संक्रमित कर दिया।
पैरासिटामॉल की भारी मांग हैअतरराष्ट्रीय स्तर पर पैरासीटामॉल की काफी मांग है। इस समय हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के बाद पैरासिटामॉल की मांग सबसे ज्यादा है। प्रतिदिन के हिसाब से मानें तो करीब दो हजार टन पैरासिटामॉल की मांग रहती है।सूत्र बताते हैं घरेलू उपयोग के लिए इस्तेमाल होने वाली पैरासिटामॉल में से भी लोग चोरी-छिपे इसका एक्सपोर्ट करके पैसे कमा लेते हैं। बताते हैं कि इसका सरकार के पास सही आंकड़ा रखा गया, तब कहीं जाकर निर्यात की अनुमति मिल पाई है।
माना जा रहा है कि यह अनुमति मिलने के बाद भारत अगले कुछ दिनों में 8-9 हजार टन (400 करोड़ रुपये) पैरासिटामॉल का निर्यात कर सकता है। बताते हैं देश की जानी मानी फार्मा कंपनी ग्रेन्यूल के पास ही कोई एक हजार टन पैरासिटामॉल के निर्यात का आर्डर है