Vikrant Shekhawat : Jun 05, 2021, 03:52 PM
नई दिल्ली: भारत ने जी-7 समिट से पहले यूके के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की वैक्सीन पासपोर्ट की वाकलत पर आपत्ति जाहिर की है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने शुक्रवार को हुए जी-7 प्लस मंत्रिस्तरीय सत्र में इस मामले को उठाया। उन्होंने कहा कि महामारी के इस मोड़ पर वैक्सीन पासपोर्ट को अनिवार्य करना सही नहीं है। उन्होंने वैक्सीन पासपोर्ट के फैसले को भेदभाव युक्त बताया।विकासशील देशों में टीकाकरण का प्रतिशत काफी कमउन्होंने कहा कि विकसित देशों के मुकाबले विकासशील देशों में अभी लोगों के टीकाकरण का प्रतिशत काफी कम है। इस स्थिति में ऐसी कोई भी पहल भेदभावपूर्ण हो सकती है।जॉनसन ने की वैक्सीन पासपोर्ट की वकालतमालूम हो कि इस हफ्ते की शुरुआत में बोरिस जॉनसन ने संकेत दिए थे कि जी-7 सम्मेलन के दौरान वैक्सीन पासपोर्ट को लेकर सहमति बनाने की कोशिश की जा सकती है।डॉक्टर हर्षवर्धन ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि भेदभावपूर्ण ये पहल मंजूर नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि वैक्सीन पासपोर्ट के लागू होने के बाद दुनिया के देश केवल टीकाकरण वाले यात्रियों को ही अनुमति दे सकते हैं, जबकि विकासशील देशों में विकसित देशों की तुलना में टीकाकरण काफी कम हुआ है। इसलिए वैक्सीन पासपोर्ट विकासशील देशों के लिए बहुत नुकसानदेह होगा।क्यों जताई जा रही है वैक्सीन पासपोर्ट की जरूरतमहामारी के इस दौर में कई देशों ने कोरोना के डर से अपने देशों में बाहरी देशों से आने वाले यात्रियों की एंट्री पर पाबंदी लगा दी है। वहीं जिन देशों में एंट्री खुली हुई है वहां बाहर से आने वाले यात्रियों को लंबे समय के लिए क्वारंटीन रहना पड़ता है। जबकि वैक्सीन पासपोर्ट लागू होने के बाद यात्रियों को क्वारंटीन नहीं रहना होगा क्योंकि वैक्सीन पासपोर्ट इस बात का सबूत होगा कि व्यक्ति को कोरोना की वैक्सीन लगाई जा चुकी है।UNWTO ने की वैक्सीन पासपोर्ट लागू करने की मांगकोरोना के कारण टूरिज्म (पर्यटन) क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हुआ है। इसलिए यूनाइटेड नेशंस वर्ल्ड टूरिज्म ऑर्गनाइजेशन (UNWTO) ने दुनियाभर के देशों से वैक्सीन पासपोर्ट लागू करने की मांग की है। WHO (वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन) और WEF (वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम) जैसे संगठन वैक्सीन पासपोर्ट बनाने पर काम कर रहे हैं। माना जा रहा है कि इस पासपोर्ट के लागू होन से टूरिज्म क्षेत्र फिर से पटरी पर आ सकेगा।