Amit Shah In Rajya Sabha: राज्यसभा में मंगलवार को संविधान पर व्यापक चर्चा हुई। विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने अपनी राय रखी, जिसमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपनी बात रखते हुए विपक्ष, विशेषकर कांग्रेस, पर तीखे प्रहार किए। उन्होंने अनुच्छेद 370, आरक्षण, और ईवीएम जैसे मुद्दों पर चर्चा करते हुए कांग्रेस की नीतियों और ऐतिहासिक फैसलों की आलोचना की। साथ ही, शाह ने बीजेपी और कांग्रेस सरकारों के कार्यकाल में संविधान संशोधन की संख्या का तुलनात्मक विवरण प्रस्तुत किया।
संविधान की मजबूती और लोकतंत्र की स्थापना
अमित शाह ने अपने भाषण की शुरुआत संविधान की महत्वता और लोकतंत्र की सफलता पर जोर देते हुए की। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता के समय कई लोगों को संदेह था कि भारत में लोकतंत्र सफल नहीं होगा। लेकिन सरदार वल्लभभाई पटेल के प्रयासों की बदौलत, लोकतंत्र की जड़ें गहरी हुईं। उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि भारतीय संविधान अन्य देशों के संविधानों से प्रेरणा लेकर भी भारतीय परंपराओं को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है।शाह ने कांग्रेस पर यह आरोप लगाया कि उसने संविधान को बार-बार अपने राजनीतिक एजेंडे के तहत संशोधित किया। उन्होंने कहा कि बीजेपी ने 16 साल में 22 बार संविधान में संशोधन किया, जबकि कांग्रेस ने 55 वर्षों में 77 बार संशोधन किया।
370 और आरक्षण पर सख्त रुख
अनुच्छेद 370 को समाप्त करने के फैसले का उल्लेख करते हुए शाह ने कहा कि इसके लिए "लोहे का जिगर" चाहिए। उन्होंने दावा किया कि 370 और 35ए को हटाने के बाद कांग्रेस ने कहा था कि "खून की नदियां बह जाएंगी," लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। धर्म के आधार पर आरक्षण के मुद्दे पर उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि जब तक भारतीय जनता पार्टी सत्ता में है, इस प्रकार का आरक्षण लागू नहीं होगा।उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने पिछड़ी जातियों को आरक्षण का हक देने में उपेक्षा की, जबकि नरेंद्र मोदी सरकार ने संविधान संशोधन के माध्यम से उन्हें उनका हक दिलाया।
ईवीएम और राजनीतिक विरोधाभास
ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) पर विपक्ष के आरोपों को लेकर भी शाह ने तंज कसा। उन्होंने कहा कि कुछ राजनीतिक दल ईवीएम को दोषी ठहराते हैं, लेकिन जब वे चुनाव जीतते हैं, तो उसी ईवीएम पर सवाल उठाना बंद कर देते हैं।
कांग्रेस की आलोचना और आपातकाल का मुद्दा
शाह ने कांग्रेस पर इमरजेंसी के दौरान लोकतंत्र का गला घोंटने का आरोप लगाते हुए दुष्यंत कुमार की कविता उद्धृत की। उन्होंने कहा, "इमरजेंसी के दौरान संविधान का जो दुरुपयोग हुआ, वह इतिहास का काला अध्याय है।" उन्होंने यह भी कहा कि जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी ने अपने कार्यकाल में संविधान में संशोधन करके अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और मूल अधिकारों पर अंकुश लगाया।
वीर सावरकर और स्वतंत्रता संग्राम का उल्लेख
वीर सावरकर का बचाव करते हुए शाह ने कांग्रेस के नेताओं पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि सावरकर को देशभक्ति और साहस का प्रतीक माना जाना चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि इंदिरा गांधी ने स्वयं सावरकर को "महान व्यक्ति" बताया था।
मोहब्बत की दुकान और तुष्टिकरण पर प्रहार
शाह ने विपक्ष पर तुष्टिकरण की राजनीति करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि "मोहब्बत की दुकान खोलने" का नारा देने वाले यह भूल जाते हैं कि जनता प्यार और नफरत में फर्क करना जानती है।
निष्कर्ष
राज्यसभा में अमित शाह का भाषण न केवल संविधान की महत्ता को रेखांकित करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि वर्तमान सरकार संविधान को भारतीय मूल्यों और लोकतांत्रिक आदर्शों के अनुसार आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। उनके संबोधन में विपक्ष पर तीखा हमला और ऐतिहासिक घटनाओं का संदर्भ, इस बहस को एक राजनीतिक रंग देते हैं।