वित्त मंत्रालय का राजस्व विभाग वैश्विक व्यापार बढ़ाने की अपनी रणनीतिक प्रतिबद्धता के तहत 1 से 7 अगस्त के बीच भारत का प्रथम राष्ट्रीय ‘टाइम रिलीज स्टडी (टीआरएस)’ कराएगा। इसके बाद से हर साल इसी अवधि के दौरान इस कवायद को संस्थागत रूप प्रदान किया जाएगा। टीआरएस दरअसल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त एक साधन (टूल) है जिसका उपयोग अंतरराष्ट्रीय व्यापार के प्रवाह की दक्षता एवं प्रभावकारिता मापने के लिए किया जाता है और इसकी वकालत विश्व सीमा शुल्क संगठन ने की है।
उत्तरदायी गवर्नेंस से जुड़ी इस पहल के जरिये कार्गो यानी माल के आगमन से लेकर इसे भौतिक रूप से जारी करने तक वस्तुओं की मंजूरी के मार्ग में मौजूद नियम आधारित और प्रक्रियागत बाधाओं (विभिन्न टचप्वाइंट सहित) को मापा जाएगा। इसका मुख्य उद्देश्य व्यापार प्रवाह के मार्ग में मौजूद बाधाओं की पहचान करना एवं उन्हें दूर करना है और इसके साथ ही प्रभावशाली व्यापार नियंत्रण से कोई भी समझौता किए बगैर सीमा संबंधी प्रक्रियाओं की प्रभावकारिता एवं दक्षता बढ़ाने के लिए आवश्यक संबंधित नीतिगत एवं क्रियाशील उपाय करना है। इस पहल के अपेक्षित लाभार्थी निर्यात उन्मुख उद्योग और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) होंगे जो तुलनीय अंतरराष्ट्रीय मानकों के साथ भारतीय प्रक्रियाओं के और अधिक मानकीकरण से लाभ उठाएंगे।
इस पहल से भारत को ‘कारोबार में सुगमता’ विशेषकर सीमा पार व्यापार संकेतक के मामले में अपनी बढत को बरकरार रखने में मदद मिलेगी जो सीमा पार व्यापार की व्यवस्था की दक्षता को मापता है। पिछले वर्ष इस संकेतक से जुड़ी भारत की रैंकिंग 146वीं से सुधरकर 80वीं हो गई।
इससे पहले व्यक्तिगत सीमा शुल्क संगठन बंदरगाह स्तर पर स्वतंत्र रूप से ‘टीआरएस’ यानी ‘कार्गो जारी करने के समय से जुड़े अध्ययन’ करते रहे थे। राष्ट्रीय स्तर पर किए जाने वाले टीआरएस ने इसे एक कदम और आगे बढ़ा दिया है तथा एकसमान एवं बहुआयामी क्रिया विधि विकसित की है जो कार्गो मंजूरी प्रक्रिया के नियामकीय एवं लॉजिस्टिक्स पहलुओं को मापती है और वस्तुओं के लिए औसत रिलीज टाइम को प्रमाणित करती है।
यह अध्ययन एक ही समय में 15 बंदरगाहों पर कराया जाएगा जिनमें समुद्री, हवाई, भूमि एवं शुष्क बंदरगाह शामिल हैं और जिनका आयात संबंधी कुल प्रवेश बिलों ( (बिल ऑफ एंट्री)) में 81 प्रतिशत और भारत के अंदर दाखिल किए जाने वाले निर्यात संबंधी शिपिंग बिलों में 67 प्रतिशत हिस्सेदारी होती है। राष्ट्रीय स्तर वाला टीआरएस आधारभूत प्रदर्शन माप को स्थापित स्थापित करेगा और इसके तहत सभी बंदरगाहों पर मानकीकृत परिचालन एवं प्रक्रियाएं होंगी।
टीआरएस के निष्कर्षों के आधार पर सीमा पार व्यापार से जुड़ी सरकारी एजेंसियां उन मौजूदा एवं सभावित बाधाओं को पहचानने में समर्थ हो जाएंगी जो व्यापार के मुक्त प्रवाह के मार्ग में अवरोध साबित होती हैं। इसके साथ ही ये सरकारी एजेंसियां माल या कार्गो जारी करने के समय को घटाने के लिए आवश्यक सुधारात्मक कदम भी उठाएंगी। यह पहल केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड की अगुवाई में हो रही है।