Economy of India: दुनिया की एक प्रमुख रेटिंग एजेंसी, मूडीज, ने भारत की इकोनॉमी और आम लोगों की लोन ईएमआई के बारे में दो महत्वपूर्ण अनुमान जाहिर किए हैं। जहां एक ओर मूडीज ने भारतीय अर्थव्यवस्था के स्थिर विकास की बात की है, वहीं दूसरी ओर लोन ईएमआई पर उसका अनुमान भारत के नागरिकों के लिए कुछ निराशाजनक हो सकता है। मूडीज ने पिछले कुछ वर्षों में भारत की इकोनॉमी की मजबूती को स्वीकार किया है और उसे वैश्विक इकोनॉमी के एक महत्वपूर्ण इंजन के रूप में देखा है। आइए जानते हैं मूडीज ने इस बार क्या विश्लेषण और अनुमान पेश किए हैं।
भारत की इकोनॉमी की रफ्तार
मूडीज ने अपनी रिपोर्ट में भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में सकारात्मक दृष्टिकोण रखा है। रेटिंग एजेंसी के अनुसार, भारत की इकोनॉमी 2024 में 7.2 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है, और 2025 में यह वृद्धि 6.6 प्रतिशत तक सीमित हो सकती है। मूडीज ने यह भी कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में ठोस वृद्धि और कम महंगाई के संकेत मिल रहे हैं। इसके अलावा, वैश्विक परिदृश्य में भारत की इकोनॉमी काफी मजबूत स्थिति में नजर आ रही है, जो वैश्विक संकटों के बावजूद अच्छी स्थिति में है।मूडीज के मुताबिक, 2024 की दूसरी तिमाही (अप्रैल-जून) में भारत की जीडीपी में सालाना आधार पर 6.7 प्रतिशत की वृद्धि होने का अनुमान है। इसकी वजह है घरेलू खपत में सुधार, मजबूत निवेश और विनिर्माण गतिविधियों का बढ़ना। इसके अलावा, भारत में उच्च आवृत्ति संकेतक जैसे विनिर्माण और सेवा पीएमआई (Purchasing Managers' Index), मजबूत ऋण वृद्धि और उपभोक्ता भरोसा भी आर्थिक गति को बनाए रखने में मदद कर रहे हैं।
आर्थिक स्थिति के बारे में मूडीज का नजरिया
मूडीज ने यह भी कहा कि भारत की इकोनॉमी के लिए 2024 में एक मजबूत आर्थिक प्रदर्शन की उम्मीद है, जो 6.7 प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि की संभावना की ओर इशारा करता है। इसके बाद 2025 में यह वृद्धि दर 6.6 प्रतिशत और 2026 में 6.5 प्रतिशत तक रह सकती है। मूडीज ने भारत को अपनी रिपोर्ट में ‘ठोस वृद्धि और नरम महंगाई’ की स्थिति में बताया, जो आने वाले समय में भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत है।
ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद नहीं
हालांकि, मूडीज ने यह भी चेतावनी दी कि भारत में ब्याज दरों में तत्काल कोई कटौती होने की संभावना नहीं है। रेटिंग एजेंसी के अनुसार, महंगाई के जोखिमों को देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) मौद्रिक नीति को सख्त बनाए रख सकता है। इसका मतलब यह है कि निकट भविष्य में ब्याज दरों में कोई बड़ी कमी नहीं आएगी, जो खासकर लोन लेने वाले लोगों के लिए एक चिंता का विषय हो सकता है। हालांकि, मूडीज ने यह भी कहा कि खुदरा महंगाई आने वाले महीनों में रिजर्व बैंक के तय दायरे में आ सकती है, खासकर खाद्य कीमतों में कमी आने की उम्मीद है, क्योंकि अधिक बुवाई और पर्याप्त खाद्यान्न भंडार मौजूद हैं।
लोन ईएमआई पर असर
भारत के आम नागरिकों के लिए मूडीज का अनुमान यह है कि महंगाई और मौद्रिक नीति के प्रभाव के कारण लोन की ईएमआई में राहत मिलने की संभावना कम है। रिजर्व बैंक द्वारा सख्त मौद्रिक नीति बनाए रखने से ब्याज दरें उच्च रह सकती हैं, जिससे लोन की ईएमआई पर दबाव बढ़ सकता है। इसके परिणामस्वरूप, भारत के नागरिकों को अपने होम लोन, पर्सनल लोन और अन्य प्रकार के ऋणों की किस्तों में कठिनाई हो सकती है, जो उनके बजट पर अतिरिक्त दबाव डाल सकता है।
निष्कर्ष
मूडीज ने भारत की इकोनॉमी के बारे में सकारात्मक दृष्टिकोण रखा है और इसे वैश्विक आर्थिक चुनौतियों के बावजूद मजबूत स्थिति में देखा है। भारत की जीडीपी में ठोस वृद्धि और कम महंगाई के संकेत हैं, जो देश के लिए अच्छे समाचार हैं। हालांकि, लोन ईएमआई पर दबाव बढ़ने की संभावना है, क्योंकि ब्याज दरों में कमी की उम्मीद कम है। ऐसे में भारतीय नागरिकों को अपने वित्तीय प्रबंधन पर ध्यान देने की आवश्यकता होगी।