Trump Tariff Impact / भारत के ये 4 'कवच' झेलेंगे सारे वार- ट्रंप टैरिफ के प्रहार भी होंगे बेकार

डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ नीति से भारत की अर्थव्यवस्था प्रभावित हो सकती है, लेकिन चार प्रमुख आर्थिक कवच इसे सुरक्षित रखेंगे। क्रिसिल रिपोर्ट के अनुसार, महंगाई में गिरावट, टैक्स बेनिफिट, कम ब्याज दरें और सरकारी पूंजी निवेश (कैपेक्स) भारत की स्थिर वृद्धि सुनिश्चित करेंगे, जिससे आर्थिक झटकों का प्रभाव कम होगा।

Trump Tariff Impact: अमेरिकी संसद में डोनाल्ड ट्रंप के ऐतिहासिक भाषण ने दुनिया के सभी राष्ट्रध्यक्षों को परेशान कर दिया है। चीन ने तो अमेरिकी सामनों पर टैरिफ बढ़ाते हुए पलटवार भी किया। अगर भारत की बात करें तो ट्रंप के रेसिप्रोकल टैरिफ का असर देखने को मिलेगा। अनुमान है कि ट्रंप के टैरिफ से भारत की ग्रोथ को हर साल 0.60 फीसदी और एक्सपोर्ट को करीब 62 हजार करोड़ रुपए का सालाना नुकसान हो सकता है। लेकिन ट्रंप का हर वार खाली जा सकता है। इसका कारण है भारत के चार मजबूत कवच, जो देश की इकोनॉमी एवं जीडीपी को सुरक्षा देंगे। इन कवचों को तैयार करने में भारत ने 2023 के बाद से काम शुरू किया और अब वे इतने मजबूत हो चुके हैं कि किसी भी इकोनॉमिक वेपन का सामना करने के लिए तैयार हैं। आइए जानते हैं भारत के वे तीन मुख्य कवच जो देश की अर्थव्यवस्था को बचा सकते हैं।

क्रिसिल इंटेलीजेंसी की रिपोर्ट

क्रिसिल इंटेलीजेंसी ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें इन तीन कवचों का जिक्र किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, जियो-पॉलिटिकल और अमेरिकी टैरिफ कार्रवाइयों से पैदा हुए व्यापार-संबंधी तनावों के बावजूद, वित्त वर्ष 2026 में भारत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि 6.5% पर स्थिर रहने का अनुमान है। रिपोर्ट के अनुसार, देश की ग्रोथ बढ़ाने और ट्रंप टैरिफ से उपजी अनिश्चितता से बचाने के लिए भारत के पास चार प्रमुख कवच हैं:

  1. महंगाई का कम होना - वित्त वर्ष 2025-2026 के लिए केंद्रीय बजट में घोषित टैक्स बेनिफिट्स से उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी।

  2. निम्न ब्याज दरें - भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा संभावित दरों में कटौती से आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।

  3. सरकारी पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) - सरकारी निवेश से इंफ्रास्ट्रक्चर और औद्योगिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।

  4. निर्यात और घरेलू मांग - मजबूत सेवा व्यापार संतुलन और स्थिर रेमिटेंस प्रवाह से अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।

मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की वृद्धि

रिपोर्ट के अनुसार, ग्रोथ के प्रमुख इंजन ड्राइवर्स में एक मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की ग्रोथ वित्त वर्ष 2025 से वित्त वर्ष 2031 तक औसतन 9 फीसदी सालाना रहने की उम्मीद है। जबकि महामारी से पहले यह दर 6 फीसदी थी। भारत के जीडीपी में मैन्युफैक्चरिंग का हिस्सा वित्त वर्ष 2025 तक लगभग 20 फीसदी तक बढ़ने का अनुमान है। मैन्युफैक्चरिंग के मजबूत होने के बावजूद, सेवा क्षेत्र आर्थिक विस्तार का मुख्य चालक बना रहेगा, हालांकि इसकी वृद्धि दर धीमी हो सकती है।

महंगाई और ब्याज दरों में कमी

महंगाई संबंधी दबाव कम रहने की उम्मीद है। वित्त वर्ष 2025 में नॉन-फूड महंगाई में कमी आने के बाद खाद्य महंगाई में भी नरमी आई है, और वित्त वर्ष 2026 में और अधिक सुधार की संभावना है। इस नरमी के चलते भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा संभावित दरों में कटौती का मार्ग प्रशस्त हो रहा है। क्रिसिल ने अगले वित्त वर्ष में पॉलिसी रेट में 50-75 आधार अंकों की कमी की भविष्यवाणी की है।

टैक्स में राहत और आर्थिक विकास

वित्त वर्ष 2026 में कॉरपोरेट सेक्टर के राजस्व में वृद्धि 7-8 फीसदी होने की उम्मीद है, जबकि वित्त वर्ष 2025 में यह लगभग 6 फीसदी थी। यह ग्रोथ मुख्य रूप से वॉल्यूम-ड्रिवन होगी, जिसमें उपभोग क्षेत्र सबसे आगे रहेगा। केंद्रीय बजट में घोषित करों में कटौती से व्यक्तिगत उपभोग को बढ़ावा मिलेगा, जो भारत के जीडीपी का 55 फीसदी से अधिक है।

निष्कर्ष

हालांकि अमेरिकी टैरिफ युद्ध भारत के लिए एक चुनौती बन सकता है, लेकिन भारत के पास इसे संभालने के लिए मजबूत आर्थिक रक्षा तंत्र मौजूद हैं। कम महंगाई, कम ब्याज दरें, सरकारी निवेश, और बढ़ती घरेलू मांग भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करेंगे। भारत की नीति और आर्थिक लचीलापन उसे इस वैश्विक संकट से उबरने में मदद करेगा।