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- 18-Apr-2025 05:53 PM IST
Donald Trump News: डोनाल्ड ट्रंप की अगुवाई वाली अमेरिकी सरकार की नई इमिग्रेशन नीति के चलते, पिछले कुछ हफ्तों में 1,000 से अधिक अंतरराष्ट्रीय छात्रों के वीजा रद्द कर दिए गए हैं। इस कदम ने अमेरिकी विश्वविद्यालयों में पढ़ाई कर रहे हजारों विदेशी छात्रों के भविष्य को अनिश्चितता के गर्त में धकेल दिया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, अमेरिका की लगभग 160 यूनिवर्सिटीज और कॉलेजों से जुड़े 1,024 छात्रों के वीजा या तो रद्द कर दिए गए हैं या फिर उनका लीगल स्टेटस समाप्त कर दिया गया है।
छात्रों के लिए बढ़ा डिटेंशन और डिपोर्टेशन का खतरा
नए नियमों के तहत, जिन छात्रों के वीजा रद्द किए गए हैं, उन्हें अब अमेरिका में रहने के लिए कानूनी आधार नहीं मिल रहा है। पहले के नियमों में यह लचीलापन था कि वीजा रद्द होने के बावजूद छात्र पढ़ाई जारी रख सकते थे, लेकिन अब इमिग्रेशन एंड कस्टम्स एन्फोर्समेंट (ICE) द्वारा उन्हें हिरासत में लेने या देश से बाहर निकालने की प्रक्रिया तेज कर दी गई है।
बिना चेतावनी, बिना कारण – छात्रों में गहराया असंतोष
कई छात्रों ने आरोप लगाया है कि उनके वीजा बिना किसी उचित सूचना या कारण के रद्द किए गए। इससे नाराज होकर कई छात्रों ने होमलैंड सिक्योरिटी विभाग के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी शुरू की है। उनका कहना है कि उन्हें न तो सही प्रक्रिया का पालन करने का मौका दिया गया और न ही वीजा रद्द करने का कोई स्पष्ट कारण बताया गया।
इस तरह की घटनाएं केवल छोटे संस्थानों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि हावर्ड, स्टैनफोर्ड, मैरीलैंड और ओहायो स्टेट जैसी प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटीज तक में देखी जा रही हैं। यह दर्शाता है कि नीति का असर व्यापक और गहरा है।
विश्वविद्यालयों पर भी दबाव
ट्रंप प्रशासन ने केवल छात्रों पर ही नहीं, बल्कि विश्वविद्यालयों पर भी दबाव बनाना शुरू कर दिया है। यूनिवर्सिटीज को चेतावनी दी गई है कि यदि वे सरकार के निर्देशों का पालन नहीं करते और छात्रों की गतिविधियों को नियंत्रित नहीं करते, तो उनकी फेडरल फंडिंग रोक दी जाएगी। हावर्ड यूनिवर्सिटी जैसे संस्थान को पहले ही 2.3 बिलियन डॉलर की वित्तीय सहायता से वंचित किया जा चुका है। हालांकि, विश्वविद्यालय ने स्पष्ट रूप से इन नीतियों का विरोध करने का संकल्प लिया है।
क्यों हो रहा है ऐसा?
इस कार्रवाई की जड़ें 2018 की एक घटना में हैं, जब कोलंबिया यूनिवर्सिटी के छात्र कार्यकर्ता महमूद खलील को गिरफ्तार किया गया था। खलील पर यहूदी विरोधी प्रदर्शनों में शामिल होने का आरोप था, जिसके बाद ट्रंप प्रशासन ने यह अधिकार सुरक्षित रखने की बात कही कि ऐसे विदेशी नागरिकों को अमेरिका से निकाला जा सकता है। इसके बाद से इमिग्रेंट छात्रों पर सख्ती और बढ़ती चली गई।
भविष्य की चिंता और अनिश्चितता
विदेशी छात्रों के वीजा रद्द किए जाने की प्रक्रिया अब एक गंभीर मानवाधिकार मुद्दा बनती जा रही है। छात्र न केवल अपनी शिक्षा बल्कि अपनी सुरक्षा और भविष्य को लेकर भी चिंतित हैं। इस नीति ने अमेरिका को अंतरराष्ट्रीय शिक्षा के लिए आकर्षक गंतव्य मानने वाले छात्रों की धारणा को भी प्रभावित किया है।
जहां एक ओर सरकार इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से उचित ठहराने की कोशिश कर रही है, वहीं दूसरी ओर यह सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह कदम वास्तव में छात्रों की स्वतंत्रता और शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन नहीं है?