देश / आईएमएफ ने कोविड-19 के खिलाफ भारत के कदमों को सराहा, कहा- तेज़ व मज़ूबत कदम उठाए

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने कोविड-19 महामारी के खिलाफ भारत द्वारा उठाए गए कदमों की सराहना करते हुए कहा कि भारत ने तेज़ी से मज़बूत कदम उठाए और साथ ही श्रम सुधारों व निजीकरण की प्रक्रिया जारी रखी। हालांकि, आईएमएफ ने कहा है कि महामारी संबंधी अनिश्चितताओं के चलते आर्थिक परिदृश्य पर भी अभी अनिश्चितता के बादल हैं।

Vikrant Shekhawat : Oct 16, 2021, 06:37 PM
वाशिंगटन: अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने कोविड-19 महामारी के बीच भारत द्वारा उठाए गए कदमों की सराहना की है। आईएमएफ ने कहा कि महामारी की स्थिति के बीच भारत ने ‘तेजी और मजबूत’ कदम उठाए और साथ ही उसने अपने श्रम सुधारों तथा निजीकरण की प्रक्रिया को जारी रखा।

सदस्यों के बीच विचार-विमर्श के आधार पर जारी आईएमएफ की रिपोर्ट में हालांकि आगाह किया गया है कि महामारी से जुड़ी अनिश्चितताओं की वजह से आर्थिक परिदृश्य अभी अनिश्चित है।

आईएमएफ की रिपोर्ट ‘आर्टिकल-चार’ में कहा गया है कि निवेश पर कोविड-19 का नकारात्मत प्रभाव जारी रहने से आर्थिक पुनरुद्धार में विलंब हो सकता है।

भारत सरकार के महामारी से निपटने के तरीके पर बहुपक्षीय एजेंसी ने कहा, ‘‘यह त्वरित और संतोषजनक’ था। ‘‘सरकार ने वित्तीय समर्थन दिया। समाज के संवेदनशील तबकों को वित्तीय समर्थन दिया गया। मौद्रिक नीति को उदार किया गया, तरलता के प्रावधान किए गए और नियामकीय नीतियों को नरम किया गया।’’

रिपोर्ट में कहा गया है कि महामारी के बावजूद भारत ने श्रम सुधारों और निजीकरण योजना सहित संरचनात्मक सुधारों को जारी रखा।

आईएमएफ ने चालू वित्त वर्ष 2021-22 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 9.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। उसका अनुमान है कि अगले वित्त वर्ष 2022-23 में भारतीय अर्थव्यवस्था 8.5 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी।

आईएमएफ का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में प्रमुख मुद्रास्फीति 5.6 प्रतिशत पर रहेगी।

आईएमएफ ने कहा, ‘‘आर्थिक परिदृश्य पर अनिश्चितता के बादल हैं। कोविड-19 महामारी का निवेश, मानव पूंजी और वृद्धि के अन्य कारकों पर नकारात्मक असर जारी रहने से पुनरुद्धार में देरी हो सकती है और इससे मध्यम अवधि की वृद्धि प्रभावित हो सकती है।’’

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत जनांकिक लाभ की स्थिति में है, लेकिन महामारी की वजह से शिक्षा और प्रशिक्षण में अड़चन मानव श्रम पूंजी में सुधार को प्रभवित कर सकती है।