Waqf Amendment Bill / वक्फ बोर्ड और वक्फ में क्या अंतर है? अमित शाह ने क्यों कहा कि विपक्ष देश तोड़ देगा

लोकसभा में बुधवार को वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 पेश किया गया। केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने स्पष्ट किया कि वक्फ धार्मिक है, लेकिन वक्फ बोर्ड नहीं। उन्होंने विपक्ष पर तुष्टिकरण और देश को विभाजित करने का आरोप लगाया। विपक्षी दलों ने विधेयक का विरोध किया।

Waqf Amendment Bill: बुधवार को संसद में वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 पेश किया गया, जिससे देश में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। लोकसभा में केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रीजीजू ने इस विधेयक को प्रस्तुत किया, जिस पर विपक्ष ने तीव्र विरोध दर्ज कराया। सत्ता पक्ष ने विपक्षी दलों पर तुष्टिकरण की राजनीति करने का आरोप लगाया, जबकि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने वक्फ और वक्फ बोर्ड के बीच अंतर को स्पष्ट किया।

वक्फ और वक्फ बोर्ड में अंतर

वक्फ एक इस्लामी कानूनी अवधारणा है, जिसमें किसी संपत्ति को धर्मार्थ, सामाजिक या पारिवारिक उपयोग के लिए स्थायी रूप से समर्पित किया जाता है। यह संपत्ति मस्जिदों, मदरसों, कब्रिस्तानों, अनाथालयों या गरीबों की सहायता के लिए दान की जाती है। एक बार जब कोई संपत्ति वक्फ के रूप में समर्पित हो जाती है, तो उसे बेचा या निजी उपयोग के लिए स्थानांतरित नहीं किया जा सकता।

वहीं, वक्फ बोर्ड एक सरकारी या अर्ध-सरकारी निकाय होता है, जो वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और नियमन के लिए स्थापित किया जाता है। भारत में वक्फ बोर्ड राज्य स्तर पर संचालित होते हैं और इनका गठन वक्फ अधिनियम के तहत किया जाता है। वक्फ बोर्ड वक्फ संपत्तियों का रिकॉर्ड रखता है और यह सुनिश्चित करता है कि उनका दुरुपयोग न हो।

विधेयक को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने-सामने

विपक्षी दलों ने इस विधेयक पर जमकर विरोध जताया और इसे धार्मिक मामलों में सरकारी हस्तक्षेप करार दिया। विपक्ष का कहना है कि यह विधेयक मुसलमानों की धार्मिक स्वतंत्रता में बाधा उत्पन्न करेगा और उनकी संपत्तियों पर नियंत्रण स्थापित करने का प्रयास है। दूसरी ओर, सत्ता पक्ष ने विपक्ष पर आरोप लगाया कि वे केवल अपने राजनीतिक हितों को साधने के लिए समुदाय विशेष को भड़का रहे हैं।

गृह मंत्री अमित शाह ने अपने संबोधन में स्पष्ट किया कि वक्फ धार्मिक होता है, लेकिन वक्फ बोर्ड और वक्फ परिषद धार्मिक संस्थाएं नहीं हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यह विधेयक वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग को रोकने के लिए लाया गया है। शाह ने विपक्ष पर आरोप लगाया कि वे इस मुद्दे पर राजनीति कर रहे हैं और देश को विभाजित करने का प्रयास कर रहे हैं।

क्या हैं नए विधेयक के मुख्य प्रावधान?

  1. वक्फ संपत्तियों का सख्त प्रबंधन: विधेयक के अनुसार, वक्फ संपत्तियों को अनियमित रूप से किराए पर देने या उनके दुरुपयोग को रोकने के लिए नए प्रावधान जोड़े जाएंगे।

  2. गैर-मुस्लिमों की भूमिका नहीं: सरकार ने स्पष्ट किया कि धार्मिक मामलों में गैर-मुस्लिमों की कोई भूमिका नहीं होगी, लेकिन वक्फ बोर्ड और वक्फ परिषद प्रशासनिक निकाय हैं, जिनमें धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाएगा।

  3. वक्फ संपत्तियों की निगरानी: वक्फ संपत्तियों की पारदर्शिता और उचित प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिए निगरानी तंत्र को मजबूत किया जाएगा।

  4. भ्रष्टाचार पर सख्ती: जो लोग वक्फ संपत्तियों को औने-पौने दामों पर लीज पर देने में शामिल होंगे, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव

विधेयक को लेकर देश में विभिन्न प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। मुस्लिम समुदाय के कुछ वर्गों ने इसे आवश्यक सुधार बताते हुए समर्थन दिया है, जबकि कुछ संगठनों ने इसे धार्मिक हस्तक्षेप करार देते हुए विरोध किया है। राजनीतिक दृष्टि से, यह विधेयक अगले चुनावों में एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन सकता है।

सरकार का दावा है कि यह विधेयक वक्फ संपत्तियों की रक्षा करेगा और उनके दुरुपयोग को रोकेगा, जबकि विपक्ष इसे मुस्लिम समुदाय के अधिकारों पर हमला मान रहा है। अब यह देखना होगा कि यह विधेयक संसद में पारित होता है या नहीं और इसका राजनीतिक एवं सामाजिक प्रभाव कितना व्यापक होता है।