Indonesia / इंडोनेशिया की संसद ने विवाहेतर यौन संबंधों पर रोक लगाने के लिए मतदान किया

इंडोनेशिया की संसद ने अपनी दंड संहिता में एक बहु-प्रतीक्षित संशोधन मंगलवार को आम-सहमति से पारित कर दिया, जिसके तहत विवाहेतर यौन संबंध दंडनीय अपराध है और यह देश के नागरिकों तथा देश की यात्रा करने वाले विदेशी नागरिकों पर समान रूप से लागू होगा। यह कानून गर्भ निरोधकों के प्रचार पर रोक लगाने वाला तथा राष्ट्रपति और सरकारी संस्थाओं के अपमान को प्रतिबंधित करने वाला भी है। पांच साल की कैद का प्रावधान है।

Vikrant Shekhawat : Dec 07, 2022, 12:22 AM
Indonesia : इंडोनेशिया की संसद ने अपनी दंड संहिता में एक बहु-प्रतीक्षित संशोधन मंगलवार को आम-सहमति से पारित कर दिया, जिसके तहत विवाहेतर यौन संबंध दंडनीय अपराध है और यह देश के नागरिकों तथा देश की यात्रा करने वाले विदेशी नागरिकों पर समान रूप से लागू होगा।

यह कानून गर्भ निरोधकों के प्रचार पर रोक लगाने वाला तथा राष्ट्रपति और सरकारी संस्थाओं के अपमान को प्रतिबंधित करने वाला भी है। संशोधित संहिता मौजूदा ईशनिंदा कानून का भी विस्तार करती है और इसमें इंडोनेशिया के छह मान्यताप्राप्त धर्मों-इस्लाम, प्रोटेस्टैंट, कैथलिक, हिंदू, बौद्ध और कन्फ्यूशियस वाद के केंद्रीय सिद्धांतों से हटने पर पांच साल की कैद का प्रावधान है।


'कानून विवाह संस्थानों की रक्षा करेगा'

कानून और मानवाधिकार मंत्रालय की आपराधिक कोड बिल प्रसार टीम के प्रवक्ता, अल्बर्ट एरीज़ ने मतदान से पहले संशोधनों का बचाव किया और कहा कि कानून विवाह संस्थानों की रक्षा करेगा. उन्होंने कहा कि प्री-मैरिटल सेक्स और एक्स्ट्रा-मैरिटल अफेयर को केवल एक पति या पत्नी, माता-पिता या बच्चे ही रिपोर्ट कर सकते हैं. हालांकि, अधिकार समूहों ने कानून को नैतिकता की निगरानी के रूप में खारिज कर दिया है. 


'देश में बढ़ रहा कट्टरवाद'

इंडोनेशिया के आपराधिक कोड का एक संशोधन डच औपनिवेशिक युग तक फैला हुआ है, पर दशकों से बहस चल रही है. अधिकार समूहों का कहना है कि प्रस्ताव देश में कट्टरवाद की ओर बढ़ते बदलाव को रेखांकित करते हैं, जो लंबे समय से अपनी धार्मिक सहिष्णुता के लिए प्रसिद्ध है. 


'हम पीछे जा रहे हैं'

एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडोनेशिया के निदेशक उस्मान हामिद ने एएफपी से कहा, "हम पीछे जा रहे हैं... दमनकारी कानूनों को समाप्त कर दिया जाना चाहिए था, लेकिन बिल दिखाता है कि विदेशों में विद्वानों के तर्क सही हैं, हमारे लोकतंत्र में निर्विवाद रूप से गिरावट आ रही है."