Coronavirus / अस्पतालों को निर्देश, कोरोना के केवल मध्यम और गंभीर रोगियों को ही करें भर्ती

कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में कोरोनावायरस के लगातार बढ़ते मामलों को देखते हुए अस्पतालों को निर्देश दिए गए हैं कि वह केवल मध्यम या गंभीर अवस्था वाले रोगियों को ही भर्ती करें. सरकार ने शनिवार को कहा कि हल्के और मामूली लक्षण वाले मरीजों को सरकार द्वारा संचालित कोविड केयर सेंटर या होम आइसोलेशन में रहने के लिए प्रोत्साहित किया जाए.

NDTV : Jul 18, 2020, 07:55 PM
कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में कोरोनावायरस (COVID-19) के लगातार बढ़ते मामलों को देखते हुए अस्पतालों को निर्देश दिए गए हैं कि वह केवल मध्यम या गंभीर अवस्था वाले रोगियों को ही भर्ती करें. सरकार ने शनिवार को कहा कि हल्के और मामूली लक्षण वाले मरीजों को सरकार द्वारा संचालित कोविड केयर सेंटर या होम आइसोलेशन में रहने के लिए प्रोत्साहित किया जाए. अपनी अधिसूचना में सरकार ने कहा: "मध्यम और गंभीर रूप से बीमार COVID-19 रोगियों को कभी-कभी प्रवेश नहीं मिल पाता है ... इस संदर्भ में, इन रोगियों को सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में पहले स्वीकार करना विवेकपूर्ण होगा. और मामूली और हल्के लक्षणों वाले रोगियों को कोविड केयर सेंटर्स या होम आइसोलेशन में रहने के लिए प्रोत्साहित करें."

बेंगलुरु में इस महीने कोरोना के मामलों में बड़ी वृद्धि देखने को मिली है. शुक्रवार देर शाम तक राज्य में कोरोना के कुल मरीजों की संख्या 25,000 को पार कर गई. 14 जुलाई से बेंगलुरु अर्बन और बेंगलुरु ग्रामीण दोनों में एक सप्ताह के लिए लॉकडाउन किया गया है. शुक्रवार को बेंगलुरु में 2,208 नए मामले सामने आए. गुरुवार को शहर ने 2,344 नए मामले दर्ज किए और बुधवार को 1,975.

मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने बेंगलुरु नगर निगम ने बेंगलुरु नगर निगम के अनुरोध करने के बावजूद लॉकडाउन को और आगे नहीं बढ़ाने का फैसला किया है.. इसके बजाय, मुख्यमंत्री ने COVID-19 रोगियों, विशेषकर 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को ट्रैक करने, उनका परीक्षण करने और उपचार करने के उपायों की घोषणा की है. 

इन उपायों के बीच उपलब्ध अस्पताल के बेड का अधिक प्रभावी उपयोग करने की योजना है - जिसका अर्थ है कि यह सुनिश्चित करना कि वायरस से गंभीर रूप से प्रभावित होने वाले लोगों को ही भर्ती किया जाएगा. शहर में बेड की कमी को कंपाउंड किया गया है, सरकार ने शुक्रवार को कहा कि निजी तौर पर चलने वाले अस्पतालों द्वारा अभी तक 5,000 बेड देने का वादा पूरा नहीं किया गया है.