News18 : Dec 04, 2019, 07:20 AM
नई दिल्ली | INX मीडिया केस में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपी कांग्रेस (Congress) नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी। चिदंबरम की जमानत याचिका पर सुनवाई 4 दिसंबर को होगी। यह सुनवाई बुधवार को 10.30 बजे होगी। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने बीते हफ्ते गुरुवार को प्रवर्तन निदेशालय को निर्देश दिया कि आईएनएक्स मीडिया मनी लॉन्ड्रिंग मामले से संबंधित दस्तावेज सीलबंद लिफाफे में पेश किये जायें ताकि उनका अवलोकन किया जा सके।अदालत ने इसके साथ ही चिदंबरम की जमानत के लिये याचिका पर सुनवाई पूरी कर ली थी। जस्टिस आर भानुमति, जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस ऋषिकेश राय की पीठ ने पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान प्रवर्तन निदेशालय को यह निर्देश दिया था। पीठ ने इस अपील पर सुनवाई पूरी करते हुये कहा कि इस पर फैसला बाद में सुनाया जायेगा था।इससे पहले, प्रवर्तन निदेशालय की ओर से सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ के समक्ष दावा किया कि पूर्व वित्त मंत्री हिरासत में होने के बावजूद महत्वपूर्ण गवाहों पर अपना ‘प्रभाव’ रखते हैं। उन्होंने कहा कि जांच के दौरान निदेशालय ने 12 बैंक खातों की पहचान की है जिनमें इस अपराध से मिली रकम जमा की गयी और एजेन्सी के पास ऐसी 12 संपत्तियों का भी ब्योरा है जिन्हें कई दूसरे देशों में खरीदा गया है।ED ने किया था यह दावाप्रवर्तन निदेशालय दावा किया था कि पूर्व केन्द्रीय मंत्री होने की वजह से चिदंबरम बहुत ही चतुर और प्रभावशाली व्यक्ति हैं और इस समय उनकी उपस्थिति ही गवाहों को भयभीत करने के लिये काफी है।शीर्ष अदालत इस समय चिदंबरम की जमानत याचिका खारिज करने के दिल्ली उच्च अदालत के 15 नवंबर के फैसले के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई कर रही है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता 74 वर्षीय पी चिदंबरम की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने शीर्ष अदालत में दलील दी थी कि उन्हें ‘अनुचित तरीके’ से पिछले 99 दिन से सिर्फ इसलिए जेल में रखा गया है क्योंकि वह आईएनएक्स मीडिया मनी लॉन्ड्रिंग मामले में मुख्य आरोपी कार्ति चिदंबरम के पिता हैं और इस मामले से उन्हें जोड़ने के लिये उनके खिलाफ ‘एक भी साक्ष्य’ नहीं है।बता दें सीबीआई ने 15 मई, 2017 को एक मामला दर्ज किया था जिसमें आरोप था कि 2007 में तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम के कार्यकाल के दौरान विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड द्वारा आईएनएक्स मीडिया समूह को 305 करोड़ रूपए का विदेशी निवेश प्राप्त करने की मंजूरी देने में अनियमित्तायें हुयीं। इसके बाद प्रवर्तन निदेशालय ने भी मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया।