India-Iran / चीन के दबाव में ईरान ने चाबहार रेल परियोजना से भारत को बाहर किया, होगा भारी नुकसान

चीन के दबाव में ईरान ने चाबहार रेल परियोजना से भारत को बाहर कर दिया है। चाबहार से जाहेदान तक की महत्वपूर्ण रेल परियोजना भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण है और इससे बाहर होना भारत के लिए बड़ा झटका है। दरअसल, अमेरिका से भारत की नजदीकी और ईरान से तेल न खरीदने के दबाव का फायदा चीन ने उठाने की कोशिश की है।

Live Hindustan : Jul 15, 2020, 08:04 AM
India-Iran: चीन के दबाव में ईरान ने चाबहार रेल परियोजना से भारत को बाहर कर दिया है। चाबहार से जाहेदान तक की महत्वपूर्ण रेल परियोजना भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण है और इससे बाहर होना भारत के लिए बड़ा झटका है। दरअसल, अमेरिका से भारत की नजदीकी और ईरान से तेल न खरीदने के दबाव का फायदा चीन ने उठाने की कोशिश की है।

चीन के राष्ट्रपति ने पिछले दिनों ईरान के राष्ट्रपति से चाबहार प्रोजेक्ट को लेकर बात की थी। चीन ने ईरान से वादा किया है कि वह उसका पूरा तेल खरीद सकता है। उसने ईरान को हथियार देने का भी वायदा किया है। दावा किया जा रहा है कि भारत ने परियोजना के लिए फंड देने में देरी की। इसलिए ईरान इस प्रोजेक्ट को अकेले ही पूरा करेगा।

भारत करेगा संतुलन का प्रयास

सूत्रों का कहना है कि भारत के लिए दरवाजे पूरी तरह बंद नहीं हुए हैं, लेकिन चीन और ईरान की जुगलबंदी भारत के लिए परेशानी की वजह जरूर हो सकती है। भारत ईरान से समझौते का प्रयास जरूर करेगा।

परेशानी की कई वजहें

भारत की परेशानी की कई वजहें हैं। एक तो इस फैसले से अफगानिस्तान के रास्ते मध्य एशियाई देशों तक कारोबार करने की भारत की रणनीति को गहरा धक्का लगा है। दूसरा, ईरान ने संकेत दिए हैं कि समूचे चाबहार सेक्टर में चीन की कंपनियों को बड़ी भागीदारी दी जा सकती है, जबकि चाबहार प्रोजेक्ट को भारत में चीन पाकिस्तान के सीपीईसी प्रोजेक्ट का जवाब माना जाता है।

चीन ने किया है भारी निवेश का वादा

ईरान ने कुछ दिन पहले ही चीन के साथ एक समझौता किया है, जिसके तहत वहां चीनी कंपनियां अगले 25 वर्षों में 400 अरब डॉलर का भारी-भरकम निवेश करेंगी।

कई तरह के नुकसान

चाबहार पोर्ट भारत की अफगानिस्तान नीति और अफगान में पाकिस्तान की घुसपैठ कम करने के लिहाज से भी अहम है। जिस रेल प्रोजेक्ट से भारत को अलग किया गया है, वह भविष्य में भारतीय उत्पादों को रेल मार्ग से यूरोप तक बहुत ही कम समय में और कम लागत पर भेजने का काम करने वाला था। यह रेल प्रोजेक्ट चाबहार पोर्ट से जाहेदान के बीच है। भारत की तैयारी इसे जाहेदान से आगे तुर्केमिनिस्तान की सीमा साराख तक ले जाने की थी।