Zee News : Aug 16, 2020, 09:25 AM
म्यामांर: पाकिस्तान (Pakistan) की खुफिया एजेंसी आईएसआई (ISI) म्यांमार में भी आतंकवादी समूहों को ट्रेनिंग दे रही है। उसका मकसद सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देकर भारत को दूसरी दिशा में उलझाने की कोशिश हो रही है। ब्रसेल्स में दक्षिण एशिया डेमोक्रेटिक फोरम के रिसर्च डायरेक्टर डॉ। सीगफ्राइड ओ वुल्फ का मानना है कि जमात उल मुजाहिदीन बांग्लादेश (JMB) द्वारा 40 रोहिंग्याओं को आतंकी प्रशिक्षण देने में आईएसआई की संलिप्तता हो सकती है। वह आतंकवाद को पाल-पोस कर अफगानिस्तान व भारत जैसे देशों में हमले कराकर क्षेत्रीय अस्थिरता पैदा करना चाहता है।
JMB का आतंकी कनेक्शनजेएमबी ने 2016 में ढाका के एक कॉफी शॉप में हमला कर 22 लोगों की हत्या कर दी थी। इनमें ज्यादातर विदेशी थे। इस आतंकी संगठन की हरकतों की वजह म्यांमार की सीमा से लगे बांग्लादेश के कॉक्स बाजार में रोहिंग्या शरणार्थी शिविर आतंकी समूहों के निशाने पर आ चुके हैं।बांग्लादेश की रायबांग्लादेश के सुरक्षा विशेषज्ञ अब्दुल राशिद बताते हैं पिछले कुछ समय में चरमपंथी रोहिंग्याओं ने कुछ कोशिशें की थीं। लेकिन, बांग्लादेश ने उन्हें आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने से रोक दिया था। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान आतंकी समूहों को मदद कर भारत को अस्थिर करने की कोशिश कर सकता है। राशिद ने ये भी कहा कि ऐसे मामलों में बांग्लादेश भारत की मदद करता आया है, ताकि उत्तर-पूर्व भारत में होने वाली साजिश को रोका जा सके। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान आतंकी समूहों को मदद कर भारत को अस्थिर करने के नापाक मंसूबे पाल रहा है।बांग्लादेश के विदेशमंत्री शहरियार आलम (Bangladeshi Foreign Minister Shahriar Alam)के मुताबिक चरमपंथ फैलाने की कई कोशिशें हुई लेकिन उन्हे कोई बड़ी कामयाबी नहीं मिली। म्यांमार के सैन्य अधिकारियों के मुताबिक, बांग्लादेश-म्यांमार सीमा में सक्रिय रोहिंग्या विद्रोही समूह अराकान रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी (ARSA) ने अपनी गतिविधियां बढ़ा दी हैं। इसके सदस्य शरणार्थी शिविरों में सक्रिय हैं, पाकिस्तान इनकी लगातार मदद कर रहा है।अराकान रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी के लोग रात में शरणार्थी कैंप में एक्टिव रहते हैं और दिन में गायब हो जाते हैं , इसका लीडर अता उल्लाह पाकिस्तान में पैदा हुआ लेकिन उसका सऊदी कनेक्शन भी है। इसकी पूरी टीम सैन्य रणनीति में माहिर है, इनके पास अत्याधुनिक हथियार भी हैं। बांग्लादेश-म्यांमार सीमा पर एक्टिव इस संगठन को पाकिस्तानी आतंकी संगठन तहरीक ए तालिबान (पाकिस्कान) से ट्रेनिंग मिली है।कॉक्स बाजार पर नजर रख रहे विदेशी राजनयिकों के मुताबिक, ARSA और JMB की गतिविधियों से जुड़े वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल किए जाते हैं। जिसमें ARSA के लोग पुराने मॉडल की AK-47s, M-21s, M-22s और M-16 रायफल के साथ नजर आते हैं।
JMB का आतंकी कनेक्शनजेएमबी ने 2016 में ढाका के एक कॉफी शॉप में हमला कर 22 लोगों की हत्या कर दी थी। इनमें ज्यादातर विदेशी थे। इस आतंकी संगठन की हरकतों की वजह म्यांमार की सीमा से लगे बांग्लादेश के कॉक्स बाजार में रोहिंग्या शरणार्थी शिविर आतंकी समूहों के निशाने पर आ चुके हैं।बांग्लादेश की रायबांग्लादेश के सुरक्षा विशेषज्ञ अब्दुल राशिद बताते हैं पिछले कुछ समय में चरमपंथी रोहिंग्याओं ने कुछ कोशिशें की थीं। लेकिन, बांग्लादेश ने उन्हें आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने से रोक दिया था। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान आतंकी समूहों को मदद कर भारत को अस्थिर करने की कोशिश कर सकता है। राशिद ने ये भी कहा कि ऐसे मामलों में बांग्लादेश भारत की मदद करता आया है, ताकि उत्तर-पूर्व भारत में होने वाली साजिश को रोका जा सके। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान आतंकी समूहों को मदद कर भारत को अस्थिर करने के नापाक मंसूबे पाल रहा है।बांग्लादेश के विदेशमंत्री शहरियार आलम (Bangladeshi Foreign Minister Shahriar Alam)के मुताबिक चरमपंथ फैलाने की कई कोशिशें हुई लेकिन उन्हे कोई बड़ी कामयाबी नहीं मिली। म्यांमार के सैन्य अधिकारियों के मुताबिक, बांग्लादेश-म्यांमार सीमा में सक्रिय रोहिंग्या विद्रोही समूह अराकान रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी (ARSA) ने अपनी गतिविधियां बढ़ा दी हैं। इसके सदस्य शरणार्थी शिविरों में सक्रिय हैं, पाकिस्तान इनकी लगातार मदद कर रहा है।अराकान रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी के लोग रात में शरणार्थी कैंप में एक्टिव रहते हैं और दिन में गायब हो जाते हैं , इसका लीडर अता उल्लाह पाकिस्तान में पैदा हुआ लेकिन उसका सऊदी कनेक्शन भी है। इसकी पूरी टीम सैन्य रणनीति में माहिर है, इनके पास अत्याधुनिक हथियार भी हैं। बांग्लादेश-म्यांमार सीमा पर एक्टिव इस संगठन को पाकिस्तानी आतंकी संगठन तहरीक ए तालिबान (पाकिस्कान) से ट्रेनिंग मिली है।कॉक्स बाजार पर नजर रख रहे विदेशी राजनयिकों के मुताबिक, ARSA और JMB की गतिविधियों से जुड़े वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल किए जाते हैं। जिसमें ARSA के लोग पुराने मॉडल की AK-47s, M-21s, M-22s और M-16 रायफल के साथ नजर आते हैं।