Vikrant Shekhawat : Nov 12, 2021, 08:22 AM
नई दिल्ली: देश के रक्षा प्रमुख (CDS) बिपिन रावत ने गुरुवार को स्पष्ट शब्दों में कहा कि चीन के भारतीय सीमावर्ती क्षेत्रों में घुसने और नए गांव बसाने की बातें गलत हैं। उन्होंने कहा कि नए गांव वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के चीन के हिस्से में बनाए गए हैं। इससे पहले विदेश मंत्रालय ने भी इस मामले में गुरुवार को दिन में सफाई दी। जनरल रावत ने साफ शब्दों में कहा कि चीन ने एलएसी को लेकर भारतीय दृष्टिकोण का उल्लंघन नहीं किया है। दरअसल, अमेरिकी रक्षा विभाग (पेंटागन) द्वारा हाल ही में जारी की गई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चीन ने उसके तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र और भारत के अरुणाचल प्रदेश के विवादित हिस्से में एक बड़ा गांव बना लिया है। इसके बाद से यह विवाद भारत में भी तूल पकड़ने लगा है। कांग्रेस ने इस मामले में केंद्र सरकार को घेरा व सवाल दागे हैं। एक मीडिया संस्थान के कार्यक्रम में जनरल रावत ने कहा, 'जहां तक हमारा सवाल है, एलएसी के हमारे हिस्से में ऐसा कोई गांव नहीं बनाया गया है। ताजा विवाद कि चीन सीमा पार कर हमारे इलाके में घुस आया है और उसने नया गांव बना लिया है, यह सही नहीं है।' सीडीएस रावत ने कहा कि इस मामले में मेरा कहना है कि चीन संभवतः एलएसी के साथ-साथ अपने नागरिकों या अपनी सेना के लिए गांवों का निर्माण कर रहा है। खासकर, सीमा पर हाल ही में दोनों देशों के आमने सामने आने के बाद यह स्थिति बनी है। जनरल रावत ने यह भी कहा कि भारतीय और चीनी दोनों सेनाओं की एलएसी पर अपने इलाकों में अपनी चौकियां हैं।सीडीएस रावत ने कहा, 'जहां भी चीन ने अपनी चौकियां बनाई हैं, हमने उस क्षेत्र में मौजूद कुछ पुरानी जर्जर झोपड़ियों को देखा है। इसलिए, उनमें से कुछ झोपड़ियों को तोड़ दिया गया है और नए ढांचे का निर्माण किया जा रहा है। कुछ आधुनिक झोपड़ियां भी वहां आ रही हैं। हो सकता है कि उनमें से कुछ गांवों का आकार बढ़ गया हो। जनरल रावत से पहले विदेश मंत्रालय ने पेंटागन की रिपोर्ट पर अपनी आधिकारिक प्रतिक्रिया में कहा कि भारत अपनी सीमा में चीन के किसी अवैध कब्जे और न ही चीन के किसी अवैधानिक दावे को स्वीकार करता है। गुरुवार को अपनी साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि चीन ने बीते कई सालों में सीमावर्ती क्षेत्रों में निर्माण कार्य शुरू किया है। इसमें वह इलाके भी शामिल हैं, जो उसने दशकों में कब्जा किए हैं। भारत ऐसे किसी अवैध कब्जे को न तो स्वीकार करता है और न ही वह चीन के अनुचित दावों को कबूल करता है।