Vikrant Shekhawat : Aug 04, 2024, 08:00 AM
US Presidential Election: अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के अब सौ दिन भी नहीं बचे हैं. रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप और उनकी डेमोक्रेट्स प्रतिद्वंद्वी कमला हैरिस के बीच जुबानी जंग ने अमेरिका में माहौल बदल दिया है. अमेरिकी नागरिकों के साथ-साथ पूरी दुनिया का ध्यान इस बात पर लगा है कि डोनाल्ड ट्रंप दोबारा गद्दी पर आसीन होते हैं या अमेरिका के इतिहास में पहली बार किसी महिला को राष्ट्रपति बनने का मौका मिलता है. हालांकि कमला हैरिस बतौर महिला उप-राष्ट्रपति अमेरिकी इतिहास में इस मुकाम को हासिल कर चुकी हैं. अब राष्ट्रपति के रूप में उनकी जीत को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं. उनकी पार्टी भी एक अश्वेत महिला को सर्वोच्च पद पर बैठाने के लिए तैयार है. लेकिन उससे पहले रिपब्लिकन उम्मीदवार ने कमला हैरिस की जातीय पहचान पर हमले करके इस चुनाव को अमेरिकी बनाम गैर-अमेरिकी बना दिया है.अमेरिका का राष्ट्रपति चुनाव दुनिया भर में लोकतंत्र की अपनी मिसाल पेश करता है. यहां भारतीय समेत एशियाई और अफ्रीकी मूल के नागरिकों का वोट बैंक काफी मायने रखता है. आंकड़ों पर गौर करें तो साल 2000 के बाद भारतीय अमेरिकी आबादी में करीब 150 फीसदी की वृद्धि हुई है. करीब 50 लाख भारतीय मूल के अमेरिका में रहते हैं. राजनीतिक तौर पर भारतीय अमेरिकी डेमोक्रेटिक पार्टी के साथ मजबूती से खड़े रहे हैं. पिछले चुनाव में 72 फीसदी भारतीय अमेरिकी मतदाताओं ने जो बाइडेन को वोट दिया था जबकि महज 22 ने ट्रम्प को वोट दिया था.ट्रंप ने कमला को ‘ब्लैक’ कहासाल 2024 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में भारतीयता यानी विदेशी मूल भी एक अहम मुद्दा है, जिस पर डोनाल्ड ट्रंप ने हमले करके इलेक्शन में नया मोड़ दे दिया है. डोनाल्ड ट्रंप ने कमला हैरिस पर नस्लीय टिप्पणी कर दी है, जिसके बाद कमला हैरिस ने भी पलटवार किया. ट्रंप ने कमला हैरिस की उम्मीदवारी पर कहा था कि अमेरिकी लोग उससे कहीं बेहतर हैं. यानी ट्रंप ने अमेरिकी राष्ट्रवाद को आगे बढ़ाते हुए विदेशी मूल का मुद्दा उठा दिया. ट्र्ंप ने ये भी कहा कि कमला जो खुद को पहले ‘भारतीय’ मूल की बताती थीं, कुछ साल पहले ‘ब्लैक’ हो गईं. कमला पर यह ट्रंप का बड़ा तंज था.कमला ने ट्रंप को ‘चरमपंथी’ कहाडोनाल्ड ट्रंप के इस हमले पर कमला हैरिस ने भी तीखा पलटवार किया है. कमला हैरिस ने ट्रंप को दकियानूस, अतीत प्रेमी और नस्लवादी कहकर हमला किया. उन्होंने कहा कि अमेरिका में इन दिनों दो तरह के दृष्टिकोण देखने को मिल रहे हैं. एक भविष्य के एजेंडे से जुड़ा है और दूसरा चरमपंथी है जो केवल बीते दिनों की ओर देखता है. कमला ने कहा कि आज अमेरिका को एक ऐसे नेता की जरूरत है जो सच बोले, शत्रुता को कम करे, सामूहिक ताकत को ऊर्जा का स्रोत समझे न कि विभाजनकारी मानसिकता को बढ़ावा दे. इसी के साथ उन्होंने कहा कि अमेरिकी जनता इस अंतर को बखूबी समझती है. और चुनाव में जनता इस मुद्दे पर सोच विचार करके वोट करेगी.क्या है US चुनाव का ताजा सर्वे?हालांकि कमला हैरिस अभी तक डेमोक्रेट्स की आधिकारिक उम्मीदवार घोषित नहीं की गई हैं लेकिन मौजूदा राष्ट्रपति जो बाइडेन से लेकर पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा तक ने कमला की उम्मीदवारी का समर्थन किया है. उनकी अपनी भी लोकप्रियता है. वह अमेरिकी के साथ एशियाई और अफ्रीकी मूल के नागरिकों में प्रसिद्ध हैं. और ताकतवर महिला की प्रतिनिधि के तौर पर आंकी जाती हैं. लिहाजा अब तक के ज्यादातर सर्वे कमला बनाम ट्रंप के नाम पर किये जा रहे हैं.रायटर्स-इप्सोस के महज तीन दिन पहले किए गए सर्वे के मुताबिक कमला हैरिस डोनाल्ड ट्रंप से लोकप्रियता में एक फीसदी आगे चल रही हैं. ट्रंप को 42 फीसदी जबकि कमला हैरिस को 44 फीसदी लोग पसंद कर रहे हैं. ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि कमला की उम्मीदवारी की आधिकारिक घोषणा के बाद ये फासला और बढ़ सकता है. कमला तेजी से आगे बढ़ रही हैंं.रायटर्स-इप्सोस के अलावा बाकी अन्य सर्वे के आंकड़े भी बता रहे हैं कि जो बाइडेन ने कमला हैरिस को आगे करके सही समय पर सही फैसला किया है. रायटर्स-इप्सोस के अलावा लेजर पोल में कमला ने 3 फीसदी की बढ़त बना ली है. वहीं सिविक्स पोल में 1 फीसदी तो यूगोव सर्वे में 4 फीसदी आगे हैं. हालांकि दो अन्य सर्वे में ट्रंप कमला से 2 फीसदी आगे हैं. यानी दोनों में मुकाबला कांटे का मुकाबला बना हुआ है.भारतीय अमेरिकी की पसंद कौन?हालांकि हालिया समय में कमला हैरिस ने जिस प्रकार खुद को भारतीय पहचान से दूरी बनाई है उसके चलते भारतीय मूल के समुदाय में थोड़ी मायूसी देखी जा रही है, कहीं कहीं नाराजगी भी है. लेकिन सर्वे बताता है इसके बावजूद कमला हैरिस ने अधिकतम भारतीय अमेरिकियों को एकजुट करने का प्रयास किया है. यह एकजुटता उनके लिए सकारात्मक संदेश लेकर आ सकती है. उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी के समय भी भारतीय अमेरिकी समुदाय का एक बड़ा वर्ग उनका समर्थक बनकर खड़ा था. भारतीय ही नहीं बल्कि एशियाई और अफ्रीकी मूल के अमेरिकी नागरिकों का बड़ा वर्ग रिपब्लिकन पार्टी को बहुत पसंद नहीं करता. उनकी नजर में रिपब्लिकन कुछ हद तक अल्पसंख्यक विरोधी होते हैं.वास्तव में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की छवि एक आक्रामक नेता की है. ज्यादातर अमरिकियों का मानना है पिछले दो दशकों के दौरान अमेरिका ने आक्रामकता दिखाकर अपना काफी नुकसान कर लिया है. यही राय बाइडेन को लेकर भी थी. लेकिन बाइडेन ने इसे भांपते हुए महिला नेता को आगे कर दिया. अमेरिकी मानते हैं आज अमेरिका को ऐसे लीडर की जरूरत है तो हमारे वर्तमान के साथ-साथ भविष्य को भी सुरक्षित रख सके. 2024 के राष्ट्रपति चुनाव में यह दृष्टिकोण भी खास मायने रखने वाला है.