Chandigarh University MMS Video / जानिए चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के लीक MMS का अब क्या होगा

16 सितंबर 2022, जगह चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी गर्ल्स हॉस्टल। कई छात्राओं ने आत्महत्या की कोशिश की। वजह- इन छात्राओं का नहाते हुए वीडियो उनके साथ रहने वाली एक छात्रा ने लीक कर दी थी। हॉस्टल वार्डन ने पूछताछ की, तो आरोपी लड़की ने वीडियो को अपने फ्रेंड को भेजने की बात कबूल की। फिलहाल पुलिस ने वीडियो लीक करने वाली लड़की को गिरफ्तार कर लिया है। साथ ही जिन दो लड़कों ने इस वीडियो को वायरल किया, उन्हें भी गिरफ्तार किया जा चुका है।

Vikrant Shekhawat : Sep 20, 2022, 10:18 AM
Chandigarh University MMS Video: तारीख 16 सितंबर 2022, जगह चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी गर्ल्स हॉस्टल। कई छात्राओं ने आत्महत्या की कोशिश की। वजह- इन छात्राओं का नहाते हुए वीडियो उनके साथ रहने वाली एक छात्रा ने लीक कर दी थी। हॉस्टल वार्डन ने पूछताछ की, तो आरोपी लड़की ने वीडियो को अपने फ्रेंड को भेजने की बात कबूल की। फिलहाल पुलिस ने वीडियो लीक करने वाली लड़की को गिरफ्तार कर लिया है। साथ ही जिन दो लड़कों ने इस वीडियो को वायरल किया, उन्हें भी गिरफ्तार किया जा चुका है। मामले की जांच के लिए SIT का गठन किया है।

सवाल-1: चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी वीडियो लीक जैसे मामलों में पुलिस सबसे पहले क्या करती है?

जवाब: जांच एजेंसी यानी पुलिस का सबसे पहला काम है, लड़कियों के इन वीडियोज को किसी भी प्लेटफॉर्म पर वायरल होने से बचाना। ऐसे कंटेंट को ऑब्जेक्शनेबल कंटेट कहा जाता है। ऑब्जेक्शनेबल कंटेट में आपत्तिजनक वीडियो, फोटोज, वॉयस रिकॉर्डिंग जैसे मटेरियल शामिल हैं।

सवाल-2: सोशल मीडिया तो बहुत बड़ा है। उसके मल्टिपल प्लेटफॉर्म हैं, तो पुलिस कैसे उस प्लेटफॉर्म की पहचान करती है?

जवाब: पुलिस सबसे पहले उस प्लेटफॉर्म की पहचान करती है जहां से आपत्तिजनक कंटेंट शेयर किया गया है। इसके लिए उसका पहला सोर्स आरोपी होता है, जिसने वो फोटो या वीडियो शेयर किया है।

अगर वो कंटेंट मल्टिपल प्लेटफॉर्म पर शेयर किया गया हो, तो पुलिस फेसबुक, वॉट्सऐप, ट्विटर जैसे प्लेटफॉर्म से संपर्क करती है।

सवाल-3: जिन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वीडियो वायरल हुआ है, उसकी पहचान होने के बाद पुलिस क्या करती है?

जवाब: इसके बाद पुलिस ऐसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स की रेगुलेटिंग अथॉरिटी/हेडक्वार्टर से कॉन्टैक्ट करती है। इसके लिए वो दो तरीके अपनाती है-

पहला- इमरजेंसी डिसक्लोजर- इसके तहत पुलिस रेगुलेटिंग अथॉरिटी से उस डिवाइस का फोन नंबर और IP एड्रेस मांगती है, जिसके जरिए आपत्तिजनक कंटेंट क्रिएट और शेयर किया गया हो। आमतौर पर जिन मामलों में अर्जेंसी नहीं होती, उसे डील करने के लिए ये प्रोसेस पुलिस अपनाती है।

दूसरा- इमरजेंसी रिस्पॉन्स- इस तरह के केस में सोशल मीडिया रेगुलेटिंग अथॉरिटी को फौरन आपत्तिजनक कंटेंट हटाना होता है। नेशनल सिक्योरिटी, इंसान की जान के लिए खतरा और चाइल्ड एब्यूज के मामले इसमें शामिल हैं।

हालांकि, इसके लिए पुलिस को रेगुलेटिंग अथॉरिटी को कन्विंस करना पड़ता है कि ऐसे कंटेंट को तुरंत हटाना जरूरी है। इसके बाद वे अपने प्लेटफॉर्म से आपत्तिजनक कंटेंट को तुरंत हटा देते हैं।

सवाल-4: क्या कोई व्यक्ति सीधे सोशल मीडिया से बात करके किसी आपत्तिजनक कंटेंट को हटवा सकता है?

जवाब: हां, कोई भी व्यक्ति सीधे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से अप्रोच कर सकता है। IT रूल्स 2021 के मुताबिक फेसबुक, वॉट्सऐप, ट्विटर सहित तमाम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को भारत में अपने ग्रीवेंस रिड्रेसल ऑफिसर नियुक्त करना होता है।

ऐसे में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को 24 घंटे के भीतर केस पर संज्ञान लेना पड़ता है। साथ ही 15 दिनों के भीतर मामले का निपटारा करना होता है। इस केस में भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ये जांचता है कि कंटेंट आपत्तिजनक है या नहीं। शिकायत सही पाई गई, तो वो उस कंटेंट को अपने प्लेटफॉर्म से हटा देता है।

सवाल-5: क्या सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से आपत्तिजनक कंटेंट हटाया जा सकता है?

जवाब: नहीं, कुछ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से कंटेंट आसानी नहीं हटाया जा सकता है। साइबर एक्सपर्ट्स का कहना है कि फेसबुक और ट्विटर से आपत्तिजनक कंटेंट को हटाना ज्यादा मुश्किल नहीं होता है। पुलिस या जांच एजेंसी अपराधी की पहचान उसके अकाउंट के जरिए कर सकती है, चाहे वह फेक ही क्यों न हो। इसके बाद वो उस कंटेंट को रिमूव कर सकती है।

वॉट्सऐप और टेलीग्राम जैसे मैसेजिंग ऐप से कंटेंट हटाना मुश्किल टास्क है। यहां वीडियो या फोटो या वॉयस मैसेज एक बार में कई लोगों तक पहुंच जाता है। इस केस में अगर पुलिस ओरिजिनल सोर्स का पता भी लगा लेती है और वहां से कंटेंट हटवा देती है, तो भी कई लोगों के मोबाइल में ये सेव रह जाते हैं।

सवाल-6: चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी MMS लीक मामले में पुलिस कौन से कानून के तहत कार्रवाई कर रही है?

जवाब: वीडियो बनाने वाली लड़की के खिलाफ IPC की धारा 354-C और IT एक्ट की धारा 66E के तहत FIR दर्ज की गई है। इसके तहत किसी महिला या लड़की की गैरकानूनी तरीके से फोटो खींचना या वीडियो बनाना क्राइम माना जाता है। FIR की कॉपी नीचे देख सकते हैं...

सवाल-7: यदि आरोपी ने फोन से वीडियो डिलीट कर दिया, तो अपराध कैसे साबित होगा?

जवाब: सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील विराग गुप्ता कहते हैं कि अपराध साबित करने के लिए वीडियो का होना जरूरी है। इसके लिए फोरेंसिक जांच करना पड़ेगा। साथ ही वॉट्सऐप या दूसरी सोशल मीडिया कंपनियों की मदद लेनी पड़ेगी। नए IT एक्ट के मुताबिक भारत स्थित उनके दफ्तर इसमें जांच एजेसियों की मदद करेंगे।

अगर इससे भी मामले का निपटारा नहीं होता है, तो विदेशी कंपनी से मदद मांगनी पड़ सकती है। ऐसे में पुलिस को गृह या विदेश मंत्रालय से रिक्वेस्ट करनी पड़ेगी।

सवाल-8: आपत्तिजनक वीडियो वायरल करने पर कितने साल तक की सजा हो सकती है?

जवाब: किसी आपत्तिजनक कंटेंट से अगर किसी महिला या लड़की की गरिमा को गंभीर ठेस पहुंचती है, तो ऐसे में मामलों में IPC की धारा 354 के तहत कार्रवाई की जाती है। इसमें 1 से 5 साल तक की सजा हो सकती है। साथ ही जुर्माना भी लगाया जा सकता है।

किसी व्यक्ति की निजी फोटो या वीडियो बिना उसकी सहमति के खींचना, किसी और को भेजना, वायरल करना नए IT एक्ट की धारा 66 E के तहत आता है। इसमें दोषी पाए जाने पर 3 साल की जेल और 2 लाख रुपए तक का जुर्माना हो सकता है। चलते-चलते....

क्या खुद का न्यूड वीडियो बनाकर भेजना भी अपराध है?

दो वयस्क एक दूसरे को खुद का न्यूड फोटो या वीडियो भेज सकते हैं। इसके लिए दोनों की सहमति जरूरी है। इनमें से अगर कोई उस वीडियो को सोशल मीडिया पर शेयर कर देता है, तो उसे क्राइम माना जाएगा।