Vikrant Shekhawat : Sep 25, 2021, 10:42 AM
अक्सर इस बात को सुनने को मिलता है कि अमुक आदमी ने चांद पर जमीन खरीदी है। कभी सुपरस्टार अभिनेता शाहरूख खान का नाम, तो कभी सुशांत सिंह राजपूत का नाम चांद पर जमीन खरीदने वालों की सूची में पढ़ने को मिला है।सुशांत सिंह राजपूत ने साल 2018 में चांद पर जमीन खरीदी थी। सुशांत ने भूमि इंटरनेशनल लूनर लैंड्स रजिस्ट्री से खरीदी। उनकी यह जमीन चांद के 'सी ऑफ मसकोवी' में है। उन्होंने यह जमीन 25 जून 2018 को अपने नाम करवाई थी।
इसी कड़ी में कल एक और नाम सुर्खियों में ओडिशा के ढेंकानाल जिले के निवासी पेशे से इंजीनियर साजन के रूप में जुड़ा है। जब मुझे पता चला कि मात्र 38 हजार में इस युवक ने चांद पर पांच एकड़ जमीन खरीदी है, तो मेरी भी लालसा बढ़ी और इसकी प्रक्रिया की जानकारी हासिल करने में जुट गया।
आज आधुनिक तकनीकी के जमाने में कुछ भी जानकारी हासिल करना मुश्किल भरा नहीं है। जांच के दायरे में मेरा सबसे पहला सवाल था कि चांद किसकी संपत्ति है और यह किसे विरासत में हासिल हुई है?
इस सवाल का सही जवाब मुझे नहीं मिला। मुझे यह पता नहीं चल पाया कि असली चांद का मालिक कौन था और अब उसकी विरासत किसे मिली है, लेकिन इतना जरूर पता चला कि पृथ्वी पर बसी दुनिया के अधिकांश देशों ने इसे कॉमन हेरिटेज का दर्जा प्रदान किया हुआ है।
अब सवाल उठता है कि कॉमन हरिटेज क्या है, जब इसको तलाशने लगा तो पता चला कि कॉमन हेरिटेज शब्द का प्रयोग सार्वजनिक विरासत के रूप में किया जाता है। इसका मतलब यह हुआ कि कोई भी इसका निजी इस्तेमाल के लिए प्रयोग नहीं कर सकता है।
कॉमन हेरिटेज पूरी मानवता के लिए होता है। अगर इसका कोई भी निजी प्रयोग नहीं कर सकता है तो खरीद-बिक्री कैसे? इसका सामान्य सा जवाब है कि इसकी कोई आधिकारिक मान्यता होगी नहीं।
इसके बाद जांच के दायरे में अगला सवाल रहा कि आखिर चांद की जमीन कौन बेच रहा है? इस सवाल के कई जवाब दिखे, जिसमें सबसे बड़ा नाम इंटरनेशनल लूनर लैंड्स रजिस्ट्री नामक जमीन बेचने वाली वेबसाइट का नाम आया है। इस वेबसाइट पर जाते ही आपको कई भाषाओं में 'अंतर्राष्ट्रीय चंद्र भूमि क्षेत्र चांद में आपका स्वागत है। चंद्र रियल एस्टेट, चंद्रमा पर संपत्ति' लिखा हुआ मिलेगा। अन्य जानकारियां दी गई हैं।
अब सवाल यह उठा कि चांद अगर कॉमन हेरिटेज है, तो यह संपत्ति यह वेबसाइट पर कैसे बिक रही है, इसका सही जवाब नहीं मिल पाया है, लेकिन यू-ट्यूब पर जब सर्च किया तो पता चला कि यह वेबसाइट दावा करती है कि कई देशों ने आउटर स्पेश में इसे जमीन बेचने के लिए अधिकृत किया है।
जब आउटर स्पेश के बारे में जानकारी हासिल किया तो पता चला कि भारत समेत लगभग 110 देशों ने 10 अक्तूबर 1967 को एक समझौता किया, जिसे आउटर स्पेश ट्रीटी के नाम से जाना जाता है। इसके मुताबिक आउटर स्पेश में चांद भी शामिल है, जो कॉमन हरिटेज है, जिसका मतलब होता है कि इसका कोई भी निजी इस्तेमाल के लिए प्रयोग नहीं कर सकता है। कॉमन हेरिजटे पूरी मानवता के लिए होता है।
आउटर स्पेश ट्रीटी औपचारिक रूप से चंद्रमा और अन्य आकाशीय निकायों सहित बाहरी अंतरिक्ष की खोज और उपयोग में देशों की गतिविधियों को नियंत्रित करने वाली सिद्धांतों पर एक संधि है। अब सवाल उठता है कि जब 110 देशों ने ऐसी संधि कर रखी है, चांद पर जमीन की खरीब-बिक्री कितनी मान्य होगी।
कुछ विधि वेत्ताओं से संपर्क किया तो पता चला कि चांद पर जमीन खरीदना भारत में गैरकानूनी है, क्योंकि इसने आउटर स्पेश ट्रीटी में हस्ताक्षर किया है। ऐसी स्थिति में चांद पर जमीन खरीदना एक कागज के टुकड़े की कीमत देना मात्र है।
इसी कड़ी में कल एक और नाम सुर्खियों में ओडिशा के ढेंकानाल जिले के निवासी पेशे से इंजीनियर साजन के रूप में जुड़ा है। जब मुझे पता चला कि मात्र 38 हजार में इस युवक ने चांद पर पांच एकड़ जमीन खरीदी है, तो मेरी भी लालसा बढ़ी और इसकी प्रक्रिया की जानकारी हासिल करने में जुट गया।
आज आधुनिक तकनीकी के जमाने में कुछ भी जानकारी हासिल करना मुश्किल भरा नहीं है। जांच के दायरे में मेरा सबसे पहला सवाल था कि चांद किसकी संपत्ति है और यह किसे विरासत में हासिल हुई है?
इस सवाल का सही जवाब मुझे नहीं मिला। मुझे यह पता नहीं चल पाया कि असली चांद का मालिक कौन था और अब उसकी विरासत किसे मिली है, लेकिन इतना जरूर पता चला कि पृथ्वी पर बसी दुनिया के अधिकांश देशों ने इसे कॉमन हेरिटेज का दर्जा प्रदान किया हुआ है।
अब सवाल उठता है कि कॉमन हरिटेज क्या है, जब इसको तलाशने लगा तो पता चला कि कॉमन हेरिटेज शब्द का प्रयोग सार्वजनिक विरासत के रूप में किया जाता है। इसका मतलब यह हुआ कि कोई भी इसका निजी इस्तेमाल के लिए प्रयोग नहीं कर सकता है।
कॉमन हेरिटेज पूरी मानवता के लिए होता है। अगर इसका कोई भी निजी प्रयोग नहीं कर सकता है तो खरीद-बिक्री कैसे? इसका सामान्य सा जवाब है कि इसकी कोई आधिकारिक मान्यता होगी नहीं।
इसके बाद जांच के दायरे में अगला सवाल रहा कि आखिर चांद की जमीन कौन बेच रहा है? इस सवाल के कई जवाब दिखे, जिसमें सबसे बड़ा नाम इंटरनेशनल लूनर लैंड्स रजिस्ट्री नामक जमीन बेचने वाली वेबसाइट का नाम आया है। इस वेबसाइट पर जाते ही आपको कई भाषाओं में 'अंतर्राष्ट्रीय चंद्र भूमि क्षेत्र चांद में आपका स्वागत है। चंद्र रियल एस्टेट, चंद्रमा पर संपत्ति' लिखा हुआ मिलेगा। अन्य जानकारियां दी गई हैं।
अब सवाल यह उठा कि चांद अगर कॉमन हेरिटेज है, तो यह संपत्ति यह वेबसाइट पर कैसे बिक रही है, इसका सही जवाब नहीं मिल पाया है, लेकिन यू-ट्यूब पर जब सर्च किया तो पता चला कि यह वेबसाइट दावा करती है कि कई देशों ने आउटर स्पेश में इसे जमीन बेचने के लिए अधिकृत किया है।
जब आउटर स्पेश के बारे में जानकारी हासिल किया तो पता चला कि भारत समेत लगभग 110 देशों ने 10 अक्तूबर 1967 को एक समझौता किया, जिसे आउटर स्पेश ट्रीटी के नाम से जाना जाता है। इसके मुताबिक आउटर स्पेश में चांद भी शामिल है, जो कॉमन हरिटेज है, जिसका मतलब होता है कि इसका कोई भी निजी इस्तेमाल के लिए प्रयोग नहीं कर सकता है। कॉमन हेरिजटे पूरी मानवता के लिए होता है।
आउटर स्पेश ट्रीटी औपचारिक रूप से चंद्रमा और अन्य आकाशीय निकायों सहित बाहरी अंतरिक्ष की खोज और उपयोग में देशों की गतिविधियों को नियंत्रित करने वाली सिद्धांतों पर एक संधि है। अब सवाल उठता है कि जब 110 देशों ने ऐसी संधि कर रखी है, चांद पर जमीन की खरीब-बिक्री कितनी मान्य होगी।
कुछ विधि वेत्ताओं से संपर्क किया तो पता चला कि चांद पर जमीन खरीदना भारत में गैरकानूनी है, क्योंकि इसने आउटर स्पेश ट्रीटी में हस्ताक्षर किया है। ऐसी स्थिति में चांद पर जमीन खरीदना एक कागज के टुकड़े की कीमत देना मात्र है।