News18 : Apr 21, 2020, 04:54 PM
कोरोना वायरस (Coronavirus) से निपटने के लिए देश भर में डॉक्टर्स और सफाई कर्मचारी दिनरात जुटे हैं। वहीं, सरकार ने आम लोगों को संक्रमण से बचाने के लिए दिशानिर्देशों (Guidelines) का सख्ती से पालन की हिदायत दी है। संक्रमण के शुरुआती दौर में आम लोगों को बीमार होने पर ही मास्क और ग्लव्स पहनने को कहा गया था। अब लॉकडाउन-2।0 (Lockdown-2।0) में लोगों को निर्देश दिया गया है कि घर से बाहर निकलते समय फेस मास्क जरूर लगाना है। इस निर्देश के बाद लोगों ने फेस मास्क का इस्तेमाल शुरू कर दिया है। लेकिन, ज्यादातर लोगों को नहीं पता कि वे फेस मास्क और ग्लव्स को कहां फेंके यानी उनका निस्तारण कैसे करें। अमूमन देखा जा रहा है कि लोग मास्क और ग्लव्स उतारकर रोड के किनारे, गलियों में, घर के बाहर गार्डन में, डस्टबिन के आसपास फेंक रहे हैं। वहीं, कुछ लोग घर में इकट्ठे होने वाले कचरे में उसे रखकर सफाई कर्मचरियों को दे रहे हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि ये सभी तरीके गलत हैं। आने वाले समय में COVID-19 का कचरा समस्या बनने वाला है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जारी किए हैं अलग दिशानिर्देश
आम लोगों के अलावा कोरोना वायरस के इलाज, जांच और संदिग्ध व संक्रमित लोगों को क्वारंटीन किए जाने के दौरान कई तरह की चीजों का इस्तेमाल होता है। इनमें ज्यादातर चीजें इस्तेमाल के बाद मेडिकल वेस्ट कहलाती हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, देश के हर राज्य से रोजाना औसतन 1।5 टन कोविड-19 वेस्ट निकल रहा है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने कोविड-19 से संबंधित मेडिकल वेस्ट के निस्तारण के लिए बकायदा अलग से दिशानिर्देश जारी किए हैं। ये नए नियम सिर्फ और सिर्फ कोविड-19 से संबंधित बायोमेडिकल कचरे पर लागू होंगे। ये नियम दूसरे किसी भी कचरे पर लागू नहीं होंगे। अन्य कचरे का निस्तारण एनजीटी के सितंबर, 2019 के आदेश के मुताबिक किया जाना है।बोर्ड के मुताबिक, इस कचरे का निस्तारण सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स-2016, बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट (एमेंडमेंट) रूल्स 2018, 2019 और नेशनल आईपीसी गाइडलाइंस 2020 के साथ ही सीडीसी व डब्ल्यूएचओ आईपीसी के नए नियमों को ध्यान में रखकर कर सकते हैं। अस्पतालों से निकलने वाला हर तरह का कचरा बायोमेडिकल वेस्ट होता है। इसमें सर्जरी, दवाइयों और इलाज के दौरान इस्तेमाल की गई चीजों से निकले कचरे को शामिल किया गया है। सफदरजंग हॉस्पिटल की वेस्ट मैनेजमेंट पॉलिसी में साफ तौर पर जिक्र किया गया है कि कोविड-19 से जुड़े कचरा प्रबंधन पर स्वास्थ्य मंत्रालय के संबंधित अधिकारियों, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के अध्ययन के आधार पर सीपीसीबी ने कठोर दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
अलग-अलग जगह के लिए ये हैं कोविड वेस्ट निस्तारण के नियमराष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC) के नए दिशानिर्देशों के मुताबिक, आइसोलेशन वार्ड्स, कलेक्शन सेंटर्स, टेस्टिंग लैब में कोविड वेस्ट के लिए अलग नियम हैं। वहीं, क्वारंटीन सेंटर्स और होम क्वारंटीन के लिए अलग नियम हैं। निर्देशों में कहा गया है कि आइसोलेशन वार्ड्स, कलेक्शन सेंटर्स, टेस्टिंग लैब्स कोविड-19 वेस्ट के लिए अलग-अलग रंग के और डबल-लेयर्ड बैग या डिब्बे रखे जाने चाहिए। साथ ही उन डिब्बों पर हर कचरे से संबंधित लेबल लगाए जाने का निर्देश दिया गया है।
निर्देशों में कहा गया है कि अस्पताल में दिन में कम से कम दो बार बाहर किसी एक स्थान पर कचरा इकट्ठा करेंगे, जिसे हर बार बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट व्हील उठाकर ले जाएंगे। साथ ही कचरा इकट्ठा करने की जगह को लगातार सैनेटाइज किया जाएगा। वहीं, कोविड वेस्ट ले जाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाले ट्रॉली को किसी दूसरे तरह के कचरे को ले जाने में प्रयोग करने की मनाही है। सरकार की ओर से कहा गया है कि कोविड-19 के कचरे का निस्तारण करने में जुटे सफाई कर्मियों को किसी दूसरी ड्यूटी या दूसरे कचरे के निस्तार के काम में नहीं लगाया जाना चाहिए।
कैसे इकट्ठा करना है बायोमेडिकल वेस्ट, फिर कहां भेजा जाएगा
हेल्थकेयर सिस्टम से संबंधित सभी विभागों को बायोमेडिकल वेस्ट पीले बैग में इकट्ठा करना होगा। इसके बाद उसे बायोमेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट फैसेलिटी में भेजना होगा। वहीं, होम क्वारंटीन किए गए लोगों को भी बायोमेडिकल वेस्ट अलग करके पीले बैग में रखना है। उन्हें ये कचरा स्थानीय प्रशासन की ओर से तैनात किए गए वेस्ट कलेक्शन स्टाफ को ये पीला बैग देना है। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, एम्स में नियमों का पालन किया जा रहा है। वहां कलर कोडिंग वाले बैग्स में बायोमेडिकल वेस्ट को अलग रखा जा रहा है। इस काम के लिए अलग से स्टाफ को जिम्मेदारी दी गई है। कोविड वेस्ट के निस्तारण से जुडे कर्मचरियों के लिए निर्देश है कि वे पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्वीपमेंट (PPE) किट पहनें। लेकिन, एम्स में अधिकतर सफाई कर्मचारी ठेके पर काम करते हैं। एम्सअस्पताल ठेके वाले सफाईकर्मियों को नहीं दे रहे सुरक्षा किट्सज्यादातर अस्पताल ठेके पर कचरा निस्तारण करने वालों को अपना कर्मचारी नहीं मानते हैं। इसलिए उन्हें मास्क और दूसरी चीजों के लिए काफी संघर्ष करना पड़ता है। ज्यादातर अस्पताल कह रहे हैं कि पीपीई किट्स की कमी है। इसलिए पहले हम अपने स्थायी कर्मचारियों को किट्स देंगे। ऐसे में कचरा निस्तारण से जुड़े कर्मचारियों को बहुत मुश्किल पेश आ रही है। हालांकि, अब कुछ अस्पतालों ने सफाई कर्मचारियों को भी पीपीई किट्स में कम से कम ग्लव्स और मास्क देना तो शुरू कर दिया है। वहीं, दूसरी बड़ी समस्या ये है कि कचरा निस्तारण में लगे कर्मचारियों को कोविड वेस्ट के निस्तारण का ना तो प्रशिक्षण मिला है और न ही सुरक्षा किट दी गई हैं। मेट्रो और बड़े शहरों में सुरक्षा किट मिलने लगी हैं, लेकिन छोटे शहरों, कस्बों और गांवों में इस मामले में हालात काफी खराब हैं।
देश में हैं बायोमेडिकल वेस्ट निस्तारण की सिर्फ 250 फैसिलिटीकोविड वेस्ट इकट्ठा करके अलग वाहनों के जरिये कॉमन बायोमेडिकल वेस्ट फैसेलिटी ले जाया जाता है, जहां उच्च तापमान पर इस कचरे को जलाया जाता है। ये फैसेलिटी देश में हर जगह नहीं है। ऑल इंडिया कॉमन बायोमेडिकल वेस्ट फैसिलिटी एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी असद वारसी ने बीबीसी को बताया कि देश में करीब 250 ऐसी फैसिलिटी हैं, जो करीब 700 शहरों के कचरे का निस्तारण करती हैं। हालांकि, कई छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में ये सुविधा नहीं है। टेरी के पर्यावरण और कचरा प्रबंधन डिविजन में फेलो सौरभ मनुजा कहते हैं कि भारत पहले ही अपने बायोमेडिकल वेस्ट को पूरी तरह ट्रीट नहीं कर पाता है। सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने 2017 की एक रिपोर्ट में बताया था कि हर दिन 559 टन बायोमेडिकल वेस्ट निकलता है। इसमें करीब 92 फीसदी का ही निस्तारण हो पाता है। अब ये चुनौती बढ़ गई है। हालांकि, सीपीसीबी के कोरोना वायरस को देखते हुए जारी किए गए नए दिशानिर्देशों में कहा गया है कि वेस्ट फैसिलिटी को ज्यादा घंटे काम करने की अनुमति दी जाएगी। देश के जिन इलाकों में ऐसी फैसिलिटी नहीं है, वहां गहरा गड्ढा बनाकर मेडिकल कचरे को दबाया जाए।होम क्वारंटाइन से वेस्ट कलेक्शन में हो रही हैं कई परेशानियांप्रशासन और स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि होम क्वारंटीन से प्रोटोकॉल के तहत वेस्ट कलेक्शन हो रहा है। इसमें दो तरह की परेशानियां आ रही हैं। पहला इसका कोई डाटा नहीं है कि कौन-से घर क्वारंटाइन में हैं। ऐसे में घर के बाहर लगे क्वारंटाइन स्टीकर देखकर काम किया जा रहा है। अगर स्टीकर नहीं है या हटा दिया गया है तो समस्या हो सकती है। साथ ही उन घरों में जाकर चेक नहीं किया जाता कि वो लोग कोविड-वेस्ट को अलग करके रख रहे हैं या नहीं। आम लोग के साथ ही पुलिस-प्रशासन से जुड़े लोग भी संक्रमण से बचने के लिए मास्क, ग्लव्स का लगातार इस्तेमाल कर रहे हैं। घरों में कचरा एक साथ इकट्ठा किया जाता है। घरों का कचरा उठाने का भी कोई तय सिस्टम नहीं है। वहीं, कुछ लोग लापरवाही से सार्वजनिक जगहों या सड़कों पर इस्तेमाल किए गए मास्क या ग्लव्स फेंक दे रहे हैं। घरों से निकलने वाले कचरे में प्लास्टिक, कार्ड बोर्ड और मेटल जैसी चीजें भी होती हैं। इनकी सतह पर कोरोना वायरस ज्यादा समय तक जिंदा रहता है। इससे कचरा इकट्ठा करने वालों के संक्रमित होने का खतरा ज्यादा हो जाता है।कोविड वेस्ट को लेकर लोगों को जागरूक करने की जरूरत
वेस्ट एक्सपर्ट्स कहते हैं कि लोगों को कोविड वेस्ट के बारे में फिर से जागरूक किए जाने की जरूरत है। उन्हें कचरा अलग-अलग करके रखने को कहा जाना चाहिए। लोगों को बाकायदा अभियान चलाकर बताया जाए कि आपके कचरे में शामिल किस चीज पर ये वायरस कितने समय तक जिंदा रह सकता है। इसलिए गीले, सूखे और मेडिकल कचरे को कैसे अलग-अलग करके रखा जाना है। उन्हें समझाया जाना चाहिए कि कोविड वेस्ट को डस्टबिन में अच्छी तरह बैग या पॉलिथिन में एयरटाइट बंद करके 72 घंटे के लिए छोड़ दें, ताकि वो किसी के संपर्क में ना आए। फिर उस कचरे को कूड़ा लेने आने वाले सफाई कर्मचारी को दें। इससे कचरा निस्तारण भी हो जाएगा और सफाई कर्मी संक्रमित होने से बचा रहेगा। इसके अलावा ऑफिस और काम की जगहों पर भी अलग-अलग तरह के कचरे के लिए अलग बैग्स रखे जाने चाहिए।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जारी किए हैं अलग दिशानिर्देश
आम लोगों के अलावा कोरोना वायरस के इलाज, जांच और संदिग्ध व संक्रमित लोगों को क्वारंटीन किए जाने के दौरान कई तरह की चीजों का इस्तेमाल होता है। इनमें ज्यादातर चीजें इस्तेमाल के बाद मेडिकल वेस्ट कहलाती हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, देश के हर राज्य से रोजाना औसतन 1।5 टन कोविड-19 वेस्ट निकल रहा है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने कोविड-19 से संबंधित मेडिकल वेस्ट के निस्तारण के लिए बकायदा अलग से दिशानिर्देश जारी किए हैं। ये नए नियम सिर्फ और सिर्फ कोविड-19 से संबंधित बायोमेडिकल कचरे पर लागू होंगे। ये नियम दूसरे किसी भी कचरे पर लागू नहीं होंगे। अन्य कचरे का निस्तारण एनजीटी के सितंबर, 2019 के आदेश के मुताबिक किया जाना है।बोर्ड के मुताबिक, इस कचरे का निस्तारण सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स-2016, बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट (एमेंडमेंट) रूल्स 2018, 2019 और नेशनल आईपीसी गाइडलाइंस 2020 के साथ ही सीडीसी व डब्ल्यूएचओ आईपीसी के नए नियमों को ध्यान में रखकर कर सकते हैं। अस्पतालों से निकलने वाला हर तरह का कचरा बायोमेडिकल वेस्ट होता है। इसमें सर्जरी, दवाइयों और इलाज के दौरान इस्तेमाल की गई चीजों से निकले कचरे को शामिल किया गया है। सफदरजंग हॉस्पिटल की वेस्ट मैनेजमेंट पॉलिसी में साफ तौर पर जिक्र किया गया है कि कोविड-19 से जुड़े कचरा प्रबंधन पर स्वास्थ्य मंत्रालय के संबंधित अधिकारियों, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के अध्ययन के आधार पर सीपीसीबी ने कठोर दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
अलग-अलग जगह के लिए ये हैं कोविड वेस्ट निस्तारण के नियमराष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC) के नए दिशानिर्देशों के मुताबिक, आइसोलेशन वार्ड्स, कलेक्शन सेंटर्स, टेस्टिंग लैब में कोविड वेस्ट के लिए अलग नियम हैं। वहीं, क्वारंटीन सेंटर्स और होम क्वारंटीन के लिए अलग नियम हैं। निर्देशों में कहा गया है कि आइसोलेशन वार्ड्स, कलेक्शन सेंटर्स, टेस्टिंग लैब्स कोविड-19 वेस्ट के लिए अलग-अलग रंग के और डबल-लेयर्ड बैग या डिब्बे रखे जाने चाहिए। साथ ही उन डिब्बों पर हर कचरे से संबंधित लेबल लगाए जाने का निर्देश दिया गया है।
निर्देशों में कहा गया है कि अस्पताल में दिन में कम से कम दो बार बाहर किसी एक स्थान पर कचरा इकट्ठा करेंगे, जिसे हर बार बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट व्हील उठाकर ले जाएंगे। साथ ही कचरा इकट्ठा करने की जगह को लगातार सैनेटाइज किया जाएगा। वहीं, कोविड वेस्ट ले जाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाले ट्रॉली को किसी दूसरे तरह के कचरे को ले जाने में प्रयोग करने की मनाही है। सरकार की ओर से कहा गया है कि कोविड-19 के कचरे का निस्तारण करने में जुटे सफाई कर्मियों को किसी दूसरी ड्यूटी या दूसरे कचरे के निस्तार के काम में नहीं लगाया जाना चाहिए।
कैसे इकट्ठा करना है बायोमेडिकल वेस्ट, फिर कहां भेजा जाएगा
हेल्थकेयर सिस्टम से संबंधित सभी विभागों को बायोमेडिकल वेस्ट पीले बैग में इकट्ठा करना होगा। इसके बाद उसे बायोमेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट फैसेलिटी में भेजना होगा। वहीं, होम क्वारंटीन किए गए लोगों को भी बायोमेडिकल वेस्ट अलग करके पीले बैग में रखना है। उन्हें ये कचरा स्थानीय प्रशासन की ओर से तैनात किए गए वेस्ट कलेक्शन स्टाफ को ये पीला बैग देना है। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, एम्स में नियमों का पालन किया जा रहा है। वहां कलर कोडिंग वाले बैग्स में बायोमेडिकल वेस्ट को अलग रखा जा रहा है। इस काम के लिए अलग से स्टाफ को जिम्मेदारी दी गई है। कोविड वेस्ट के निस्तारण से जुडे कर्मचरियों के लिए निर्देश है कि वे पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्वीपमेंट (PPE) किट पहनें। लेकिन, एम्स में अधिकतर सफाई कर्मचारी ठेके पर काम करते हैं। एम्सअस्पताल ठेके वाले सफाईकर्मियों को नहीं दे रहे सुरक्षा किट्सज्यादातर अस्पताल ठेके पर कचरा निस्तारण करने वालों को अपना कर्मचारी नहीं मानते हैं। इसलिए उन्हें मास्क और दूसरी चीजों के लिए काफी संघर्ष करना पड़ता है। ज्यादातर अस्पताल कह रहे हैं कि पीपीई किट्स की कमी है। इसलिए पहले हम अपने स्थायी कर्मचारियों को किट्स देंगे। ऐसे में कचरा निस्तारण से जुड़े कर्मचारियों को बहुत मुश्किल पेश आ रही है। हालांकि, अब कुछ अस्पतालों ने सफाई कर्मचारियों को भी पीपीई किट्स में कम से कम ग्लव्स और मास्क देना तो शुरू कर दिया है। वहीं, दूसरी बड़ी समस्या ये है कि कचरा निस्तारण में लगे कर्मचारियों को कोविड वेस्ट के निस्तारण का ना तो प्रशिक्षण मिला है और न ही सुरक्षा किट दी गई हैं। मेट्रो और बड़े शहरों में सुरक्षा किट मिलने लगी हैं, लेकिन छोटे शहरों, कस्बों और गांवों में इस मामले में हालात काफी खराब हैं।
देश में हैं बायोमेडिकल वेस्ट निस्तारण की सिर्फ 250 फैसिलिटीकोविड वेस्ट इकट्ठा करके अलग वाहनों के जरिये कॉमन बायोमेडिकल वेस्ट फैसेलिटी ले जाया जाता है, जहां उच्च तापमान पर इस कचरे को जलाया जाता है। ये फैसेलिटी देश में हर जगह नहीं है। ऑल इंडिया कॉमन बायोमेडिकल वेस्ट फैसिलिटी एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी असद वारसी ने बीबीसी को बताया कि देश में करीब 250 ऐसी फैसिलिटी हैं, जो करीब 700 शहरों के कचरे का निस्तारण करती हैं। हालांकि, कई छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में ये सुविधा नहीं है। टेरी के पर्यावरण और कचरा प्रबंधन डिविजन में फेलो सौरभ मनुजा कहते हैं कि भारत पहले ही अपने बायोमेडिकल वेस्ट को पूरी तरह ट्रीट नहीं कर पाता है। सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने 2017 की एक रिपोर्ट में बताया था कि हर दिन 559 टन बायोमेडिकल वेस्ट निकलता है। इसमें करीब 92 फीसदी का ही निस्तारण हो पाता है। अब ये चुनौती बढ़ गई है। हालांकि, सीपीसीबी के कोरोना वायरस को देखते हुए जारी किए गए नए दिशानिर्देशों में कहा गया है कि वेस्ट फैसिलिटी को ज्यादा घंटे काम करने की अनुमति दी जाएगी। देश के जिन इलाकों में ऐसी फैसिलिटी नहीं है, वहां गहरा गड्ढा बनाकर मेडिकल कचरे को दबाया जाए।होम क्वारंटाइन से वेस्ट कलेक्शन में हो रही हैं कई परेशानियांप्रशासन और स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि होम क्वारंटीन से प्रोटोकॉल के तहत वेस्ट कलेक्शन हो रहा है। इसमें दो तरह की परेशानियां आ रही हैं। पहला इसका कोई डाटा नहीं है कि कौन-से घर क्वारंटाइन में हैं। ऐसे में घर के बाहर लगे क्वारंटाइन स्टीकर देखकर काम किया जा रहा है। अगर स्टीकर नहीं है या हटा दिया गया है तो समस्या हो सकती है। साथ ही उन घरों में जाकर चेक नहीं किया जाता कि वो लोग कोविड-वेस्ट को अलग करके रख रहे हैं या नहीं। आम लोग के साथ ही पुलिस-प्रशासन से जुड़े लोग भी संक्रमण से बचने के लिए मास्क, ग्लव्स का लगातार इस्तेमाल कर रहे हैं। घरों में कचरा एक साथ इकट्ठा किया जाता है। घरों का कचरा उठाने का भी कोई तय सिस्टम नहीं है। वहीं, कुछ लोग लापरवाही से सार्वजनिक जगहों या सड़कों पर इस्तेमाल किए गए मास्क या ग्लव्स फेंक दे रहे हैं। घरों से निकलने वाले कचरे में प्लास्टिक, कार्ड बोर्ड और मेटल जैसी चीजें भी होती हैं। इनकी सतह पर कोरोना वायरस ज्यादा समय तक जिंदा रहता है। इससे कचरा इकट्ठा करने वालों के संक्रमित होने का खतरा ज्यादा हो जाता है।कोविड वेस्ट को लेकर लोगों को जागरूक करने की जरूरत
वेस्ट एक्सपर्ट्स कहते हैं कि लोगों को कोविड वेस्ट के बारे में फिर से जागरूक किए जाने की जरूरत है। उन्हें कचरा अलग-अलग करके रखने को कहा जाना चाहिए। लोगों को बाकायदा अभियान चलाकर बताया जाए कि आपके कचरे में शामिल किस चीज पर ये वायरस कितने समय तक जिंदा रह सकता है। इसलिए गीले, सूखे और मेडिकल कचरे को कैसे अलग-अलग करके रखा जाना है। उन्हें समझाया जाना चाहिए कि कोविड वेस्ट को डस्टबिन में अच्छी तरह बैग या पॉलिथिन में एयरटाइट बंद करके 72 घंटे के लिए छोड़ दें, ताकि वो किसी के संपर्क में ना आए। फिर उस कचरे को कूड़ा लेने आने वाले सफाई कर्मचारी को दें। इससे कचरा निस्तारण भी हो जाएगा और सफाई कर्मी संक्रमित होने से बचा रहेगा। इसके अलावा ऑफिस और काम की जगहों पर भी अलग-अलग तरह के कचरे के लिए अलग बैग्स रखे जाने चाहिए।