Vikrant Shekhawat : Apr 08, 2022, 03:52 PM
दुनियाभर में कच्चे तेल के बढ़ते दामों और लगातार बिगड़ते मौसम का असर लोगों की जेब पर पड़ना शुरू हो चुका है। आलम यह है कि जरूरत के सामानों के दाम आसमान छूने लगे हैं। फिर चाहे वह आयात की जाने वाली चीजें हों या घरेलू उत्पादन वाली। कुछ ऐसा ही हाल खाद्य पदार्थों का भी हो रहा है। नींबू, मिर्च से लेकर हरी सब्जी तक बीते दिनों में सब कुछ महंगा हुआ है। आलम तो यह है कि नींबू इस वक्त सेब और अनार जैसे फलों से भी मंहगा हो गया है। मौजूदा समय में नींबू की कीमतें 400 रुपये तक पहुंच गई हैं। इसके अलावा कई सब्जियां लेने के बाद मुफ्त मिलने वाली मिर्च-धनिया के दाम भी 100-200 रुपये प्रति किलो के दायरे में पहुंच गए हैं। कहां कितने बढ़ गए नींबू के दाम?पिछले एक महीने की बात की जाए तो जहां मार्च की शुरुआत में नींबू करीब 70 रुपये प्रति किलो के भाव पर मिल रहा था, वहीं अब यह कीमतें कई जगहों पर 400 रुपये तक पहुंच गई हैं। हालांकि, अलग-अलग मंडियों में दूरी के हिसाब से नींबू की कीमतें अलग-अलग हैं। मौजूदा समय में सबसे सस्ता नींबू 250 रुपये प्रति किलो के हिसाब से लखनऊ की मंडी में मिल रहा है। उधर नींबू की सबसे ज्यादा कीमत दिल्ली और जयपुर में हैं, जहां सब्जी मंडियों में यह 350 से 400 रुपये प्रति किलो के भाव पर बिक रहा है। कितने बढ़े मिर्च के दाम?मौसम की मार मिर्च के दामों पर भी पड़ी है। जहां मार्च के मध्य तक मिर्च की कीमतें 40 रुपये प्रति किलो थी, वहीं अप्रैल की शुरुआत में यह दुकानों में 120 रुपये प्रति किलो के भाव पर आ गई है। यानी एक महीने के अंदर मिर्च के दाम भी तीन गुना बढ़े हैं। धनिया की कीमत में भी काफी इजाफा हुआ है। मार्च में धनिया की 40 रुपये प्रति किलो के करीब बिक रहा था। अब मंडियों में यह 150-200 रुपये प्रति किलो तक बिक रहा है। यानी चार से पांच गुना की बढ़ोतरी।दाम बढ़ने की वजह क्या है?1. मौसम की वजह से नुकसान दिल्ली की ही सब्जी मंडियों में बीते 5 दिन में नींबू की कीमतें 80 रुपये प्रति किलो तक बढ़ी हैं। नींबू कारोबारियों के मुताबिक, नींबू के दाम बढ़ने की वजह पिछले साल गुजरात में आया तूफान है। तूफान की वजह से नींबू के फूल झड़ गए। साथ ही नींबू की झाड़ियों को भी नुकसान पहुंचा। इसके अलावा दो और राज्य तेलंगाना-आंध्र प्रदेश भी नींबू की पैदावार में बड़ा स्थान रखते हैं। वहां भी चक्रवाती तूफानों की वजह से बारिश का ऐसा असर रहा कि नींबू की फसल नष्ट होती चली गई। नींबू के पेड़ों को बड़ा नुकसान पहुंचा।2. कीमत नहीं मिलने से कम हुई खरीदइसके अलावा दो साल से कोरोना काल में नींबू की सही कीमत न मिलने के कारण किसानों ने इस बार नींबू की पैदावार में कोई खास दिलचस्पी भी नहीं दिखाई। इसका नतीजा यह हुआ कि इस बार बाजार में नींबू की आवक काफी कम है। इस समय बीजापुर, गुंटूर, हैदराबाद, विजयवाड़ा से रोजाना 25 से 30 गाड़ियां ही नींबू निकलती हैं। पिछले साल इस समय रोजाना 100 से 150 गाड़ियां निकलती थीं।3. तेल के दाम बढ़ने का भी असरभारत में पेट्रोल-डीजल के लगातार बढ़ते दामों का असर सब्जियों के ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट पर भी पड़ा है। फिलहाल ढुलाई की कीमतों में करीब 15 फीसदी तक के इजाफे की बात कही जा रही है। इसका असर न सिर्फ नींबू के दामों में देखा जा रहा है, बल्कि कई और मौसमी सब्जियां भी लगातार महंगी हो रही हैं। 4. सॉफ्ट ड्रिंक उद्योग और त्योहारों का सीजनइसके अलावा भारत में रमजान और कुछ अन्य त्योहारों की वजह से नींबू की डिमांड में भी बढ़ोतरी हुई है। कम आवक और नींबू खरीद के लिए मची इस मारामारी ने नींबू का दाम बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। दूसरी तरफ गर्मी का सीजन आते ही सॉफ्ट ड्रिंक से जुड़े उद्योगों ने नींबू उत्पादकों को बड़े ऑर्डर देना शुरू कर दिया है, ताकि लेमन ड्रिंक्स बनाने में नींबूओं का इस्तेमाल किया जा सके। सप्लाई और डिमांड के इस अंतर ने भी नींबू की कीमतों में जबरदस्त इजाफा किया है। मौसम की मार से हरी सब्जियों के दाम भी बढ़ेइस साल गर्मी का आलम मार्च से ही शुरू हो गया है। इसका असर हरी सब्जियों की कीमतों में भी पड़ा है, जो कि लगातार ऊंचे दामों पर बिक रही हैं। फसलों पर ज्यादा पानी और खेती की कीमतों में हुई बढ़ोतरी की वजह से भिंडी से लेकर तुरई, शिमला मिर्च की कीमतें भी सौ रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई हैं। परवल भी 80 रुपये किलो बिक रहा है।