देश / लोकसभा से पास हुआ राज्यों व यूटी को अपनी ओबीसी सूची बनाने की शक्ति देने वाला बिल

राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अपनी ओबीसी सूची बनाने की शक्ति देने के लिए संविधान का 127वां संशोधन विधेयक-2021 मंगलवार को लोकसभा में पारित हो गया। कुल 385 सदस्यों ने विधेयक के समर्थन में मतदान किया जबकि किसी ने इसका विरोध नहीं किया। सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री वीरेंद्र कुमार ने सोमवार को बिल पेश किया था।

Vikrant Shekhawat : Aug 11, 2021, 08:02 AM
नई दिल्ली: राज्य सरकारों को ओबीसी आरक्षण के लिए जातियों की सूची तैयार करने का अधिकार देने वाले बिल पर लोकसभा ने मुहर लगा दी है। लोकसभा ने इस विधेयक को 386 मतों से पारित किया है, वहीं इसके खिलाफ कोई मतदान नहीं पड़ा। संविधान में 127वें संशोधन के लिए लाए गए विधेयक के तहत राज्यों को अपने मुताबिक ओबीसी आरक्षण के लिए सूची तैयार करने की ताकत मिलेगी।

अब इस बिल को राज्यसभा में मंजूरी के लिए पेश किया जाएगा। उसके बाद राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह देश भर में कानून के तौर पर लागू हो जाएगा। इस नए कानून से महाराष्ट्र समेत कई राज्यों को स्थानीय स्तर पर जातियों को ओबीसी आरक्षण की सूची में शामिल करने का मौका मिलेगा। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की ओर से मराठा आरक्षण पर रोक लगा दी गई थी। इसके बाद यह फैसला लिया गया है।

अधीर रंजन, अखिलेश, ओवैसी ने की 50% लिमिट खत्म करने की मांग

इस बिल पर बहस के दौरान कांग्रेस समेत कई दलों ने केंद्र सरकार से जाति आधारित जनगणना कराए जाने की भी मांग की है। इसके अलावा आरक्षण की सीमा को भी 50 फीसदी से ज्यादा किए जाने की मांग की है। समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव, कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी और एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी समेत कई नेताओं ने यह मांग की है। अखिलेश यादव ने कहा कि यह समय की मांग है कि जाति आधारित जनगणना कराई जाए। यदि ऐसा आप नहीं कराते हैं तो फिर यूपी में समाजवादी सरकार बनाने के बाद हम ऐसा करेंगे।

जेडीयू ने भी दोहराई जातिवार जनगणना की मांग

यही नहीं बीजेपी को केंद्र और बिहार में समर्थन दे रही जेडीयू ने भी जातिवार जनगणना की मांग की है। संसद में जेडीयू के सांसद राजीव रंजन सिंह ने यह मांग दोहराई। इससे पहले जेडीयू के मुखिया और बिहार के सीएम नीतीश कुमार भी कई बार ऐसी मांग कर चुके हैं।