इतिहास के नाम पर डोटा / अकबर के बाद शिक्षा मंत्री डोटासरा के विभाग ने तैमूर और चंगेज खां को भी महान बता दिया

हल्दीघाटी के युद्ध का विजेता कौन रहा ये पढ़ाना जरूरी नहीं और न ही प्रताप एवं अकबर में से महान कौन है ये पढ़ाना जरूरी है जैसा बयान देकर चर्चा में आए शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा का महकमा अब एक और गलती कर बैठा है। राजस्थान शिक्षा विभाग की एक किताब में अब लुटेरे तैमूर लंगड़ा और चंगेज खान को भी महान बता दिया है।

Vikrant Shekhawat : Jul 09, 2020, 05:39 PM

जयपुर | राजस्थान के शिक्षा विभाग में सब गोलमाल है। जब परीक्षा में विद्यार्थी को उत्तर नहीं आते तो कुछ देर वह छत की पट्टियां ताकता है और बाद में हारकर मारवाड़ी कहावत के अनुसार 'डोटा' मारता है। 'डोटा' मारना का मतलब है आंख बंद करके मन मर्जी से कुछ भी उत्तर पुस्तिका में लिख देना। इसी तरह के 'डोटा' राजस्थान शिक्षा विभाग और माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की किताबों में मारे गए हैं। उसी शिक्षा विभाग में जिसके मंत्री गोविंदसिंह 'डोटासरा' हैं। यह केवल नम्बर लेने की कोशिशें नहीं है इतिहास को कलंकित करने वाले कुत्सित प्रयास हैं। अकबर और महाराणा प्रताप में से महान कौन है? हल्दीघाटी के युद्ध का विजेता कौन रहा ये पढ़ाना जरूरी नहीं और न ही प्रताप एवं अकबर में से महान कौन है ये पढ़ाना जरूरी है जैसा बयान देकर चर्चा में आए शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा का महकमा अब एक और गलती कर बैठा है। राजस्थान शिक्षा विभाग की एक किताब में अब लुटेरे तैमूर लंगड़ा और चंगेज खान को भी महान बता दिया है। 

राजपूत समाज के विभिन्न संगठनों का कहना है कि राजस्थान का शिक्षा विभाग प्रदेश के गौरवशाली इतिहास को कलंकित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। राजस्थान के शिक्षा विभाग की नजर में महानता की कसौटी आखिर क्या है? यह सवाल पूछा है क्षात्र पुरुषार्थ फाउण्डेशन ने। एक किताब में लिखा है कि बाबर तैमूर और चंगेज खां जैसे महान शासकों का वंशज था। ऐसे में शिक्षा विभाग ने महानता की परिभाषा पर ही सवाल उठा दिया है। क्या नगरों, बस्तियों, फसलों को जलाने वाले, हजारों निर्दोषों का कत्लेआम करने वाले लुटेरे चंगेज खां व तेमूर लंग महान विजेता थे? इसी तरह राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की कक्षा 10 की इतिहास की पुस्तक के पहले अध्याय के पृष्ठ संख्या 14 के अनुसार उमादे भटियाणी मारवाड़ के मालदेव जी से इसलिए नाराज हुई थी कि उनके पिता जैसलमेर लूणकरण मालदेव को मरवाना चाहते थे। जबकि उमादे मालदेव से व्यक्तिगत कारणों से नाराज हुई थीं और जीवनभर उनसे अलग रही, लेकिन बाद में मालदेव की चिता पर सती भी हुईं।

अधूरे तथ्य और तोड़ मरोड़कर इतिहास को पेश करने की लगातार कोशिशों के चलते चंडीगढ़ के प्रशासक व पंजाब के राज्यपाल वीपी सिंह बदनौर ने राजस्थान के राज्यपाल को पत्र भी लिखा है। दूसरी ओर डोटासरा अपने बयानों में इसे बीजेपी की साजिश बता रही है। हालांकि पाठ्यक्रम में बदलावों को लेकर क्षात्र पुरुषार्थ फाउण्डेशन कांग्रेस से शिकायत रखता है। राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने 25 जून को माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के सचिव को सीधे पत्र लिखकर सवाल पूछे हैं। इससे साफ है कि मुख्यमंत्री इस मामले में अब शिक्षा विभाग पर भरोसा नहीं रख रहे हैं और वे डोटासरा की भूमिका से भी खुश नहीं हैं। वहीं डोटासरा द्वारा एक समिति के गठन और उससे क्लीन चिट पर भी सवाल खड़े हुए हैं। मेवाड़ के एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मिलकर पाठ्यक्रम में बदलाव की मांग कर चुका है।