News18 : Aug 27, 2020, 03:40 PM
इंदौर। विसुवियस इंडिया लिमिटेड नाम की एक कंपनी ने दुनिया के सामने एक ऐसा उदाहरण पेश किया है, जो बिरले ही देखने को मिलता है। कोलकाता में स्थित इस कंपनी ने अपने एक मैनेजिंग डायरेक्टर की मौत के बाद उनका पार्थिव शरीर इंदौर (Indore) में उनके घर तक पहुंचाने के लिए 180 सीटर प्लेन (180 Seater Flight) बुक कर दिया। परिजन बताते हैं कि जब प्लेन कोलकाता में नहीं मिला तो दिल्ली से व्यवस्था की गई। इसके लिए कंपनी ने परिवार से किसी भी तरह से मदद नहीं ली। परिवार का कहना है कि उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि कंपनी ऐसा कोई कदम उठाएगी। कंपनी ने करीब 50 से 60 लाख रुपए खर्च कर परिवार को बॉडी के साथ इंदौर भेजा। कंपनी के दो पदाधिकारी भी तीन दिन तक इंदौर में रहे और सभी कार्यक्रम संपन्न करवाने के बाद वापस लौटे।
कोलकाता में हार्ट अटैक से हुई थी मौतइंदौर के उषा नगर एक्टेंशन निवासी रितेश डूंगरवाल कोलकाता में कंपनी में मैनेजिंग डायरेक्टर थे। वे कंपनी से दो साल से ज्यादा समय से जुड़े हुए थे। रितेश के साले बादल चौरड़िया ने बताते हैं कि जीजाजी की 19 अगस्त को हार्टअटैक से मौत हो गई थी। परिवार उनकी बॉडी को लाने की व्यवस्था में लगा था, लेकिन इसी दौरान कंपनी ने एक अचंभित करने वाला निर्णय लिया। परिवार के सपोर्ट के लिए कंपनी ने तत्काल 30 कर्मचारी उनके घर पर भेज दिए। उसी दिन उन्होंने बॉडी को इंदौर भिजवाने के लिए प्लेन की व्यवस्था की।
बादल बताते हैं कि रितेश ने कंपनी के लिए बहुत काम किया होगा, लेकिन मृत्यु के बाद कंपनी ने जो किया, वह एक नजीर है। उन्होंने कहा कि कंपनी की यह सोच समाज और देश के लिए उदाहरण है। उन्होंने बताया कि अंदाजा लगाया जाए तो 50 से 60 लाख रुपए पूरी प्रक्रिया में कंपनी ने खर्च किए होंगे। क्योंकि रुटीन में करीब 5 हजार रुपए एक व्यक्ति का किराया होता है। ऐसे में तीन अलग-अलग लोकेशन से मॉनीटर कर इंदौर भेजना, फिर खाली प्लेन का वापस जाना, इतना खर्च तो आया ही होगा। कंपनी ने जो उदाहरण पेश किया, वह हमारे लिए सोच से परे था।परिजनों की इच्छा थी- इंदौर में हो अंतिम संस्काररितेश के भाई सौरभ डूंगरवाल कहते हैं कि हम नहीं चाहते थे कि कोलकाता में अंतिम संस्कार हो। इंदौर भाई की कर्मभूमि थी, इसलिए हम चाहते थे कि इंदौर में ही अंतिम संस्कार किया जाए। शुरुआत में हमने प्राइवेट जेट से लाने की कोशिश की। जिसमें भैया के साथ भाभी और दो बच्चे आ सकें। प्राइवेट जेट का दिल्ली से कोलकाता और फिर इंदौर लाने की प्रोसेस चल रहा था, लेकिन इसमें समय लग रहा था। इसी बीच कंपनी ने अपनी ओर से एक पूरा प्लेन बुक कर दिया। सौरभ ने बताया कि भैया ने निजी कॉलेज से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की। इसके बाद आईटी मुंबई से एमटेक किया। फिर एमबीए किया। शुरुआत उन्होंने कमिंग्स से की। वे काफी मिलनसार थे। कंपनी ने इतना बड़ा कदम उठाया, यह बहुत बड़ी बात है।रितेश के ससुर राजेंद्र चौरड़िया ने बताया कि 19 अगस्त को सुबह बाथरूम जाते समय एक अटैक सा आया और वे बाथरूम में ही गिर पड़े। इससे उनका निधन हो गया। पूरा परिवार तो इंदौर में था, बस कोलकाता में रितेश और उनकी पत्नी दो बच्चों के साथ थीं। कोलकाता में लॉकडाउन होने से उन्हें इंदौर तक लाना बड़ी समस्या थी। हम उन्हें लाने के लिए बात कर ही रहे थे कि कंपनी वालों ने आश्चर्यजनक काम करते हुए पूरा 180 सीटर प्लेन बुक कर दिया। इसी दिन दोपहर 3 बजे प्लेन में दो कर्मचारी समेत रितेश और उनके परिवार को इंदौर भेज दिया।
कोलकाता में हार्ट अटैक से हुई थी मौतइंदौर के उषा नगर एक्टेंशन निवासी रितेश डूंगरवाल कोलकाता में कंपनी में मैनेजिंग डायरेक्टर थे। वे कंपनी से दो साल से ज्यादा समय से जुड़े हुए थे। रितेश के साले बादल चौरड़िया ने बताते हैं कि जीजाजी की 19 अगस्त को हार्टअटैक से मौत हो गई थी। परिवार उनकी बॉडी को लाने की व्यवस्था में लगा था, लेकिन इसी दौरान कंपनी ने एक अचंभित करने वाला निर्णय लिया। परिवार के सपोर्ट के लिए कंपनी ने तत्काल 30 कर्मचारी उनके घर पर भेज दिए। उसी दिन उन्होंने बॉडी को इंदौर भिजवाने के लिए प्लेन की व्यवस्था की।
बादल बताते हैं कि रितेश ने कंपनी के लिए बहुत काम किया होगा, लेकिन मृत्यु के बाद कंपनी ने जो किया, वह एक नजीर है। उन्होंने कहा कि कंपनी की यह सोच समाज और देश के लिए उदाहरण है। उन्होंने बताया कि अंदाजा लगाया जाए तो 50 से 60 लाख रुपए पूरी प्रक्रिया में कंपनी ने खर्च किए होंगे। क्योंकि रुटीन में करीब 5 हजार रुपए एक व्यक्ति का किराया होता है। ऐसे में तीन अलग-अलग लोकेशन से मॉनीटर कर इंदौर भेजना, फिर खाली प्लेन का वापस जाना, इतना खर्च तो आया ही होगा। कंपनी ने जो उदाहरण पेश किया, वह हमारे लिए सोच से परे था।परिजनों की इच्छा थी- इंदौर में हो अंतिम संस्काररितेश के भाई सौरभ डूंगरवाल कहते हैं कि हम नहीं चाहते थे कि कोलकाता में अंतिम संस्कार हो। इंदौर भाई की कर्मभूमि थी, इसलिए हम चाहते थे कि इंदौर में ही अंतिम संस्कार किया जाए। शुरुआत में हमने प्राइवेट जेट से लाने की कोशिश की। जिसमें भैया के साथ भाभी और दो बच्चे आ सकें। प्राइवेट जेट का दिल्ली से कोलकाता और फिर इंदौर लाने की प्रोसेस चल रहा था, लेकिन इसमें समय लग रहा था। इसी बीच कंपनी ने अपनी ओर से एक पूरा प्लेन बुक कर दिया। सौरभ ने बताया कि भैया ने निजी कॉलेज से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की। इसके बाद आईटी मुंबई से एमटेक किया। फिर एमबीए किया। शुरुआत उन्होंने कमिंग्स से की। वे काफी मिलनसार थे। कंपनी ने इतना बड़ा कदम उठाया, यह बहुत बड़ी बात है।रितेश के ससुर राजेंद्र चौरड़िया ने बताया कि 19 अगस्त को सुबह बाथरूम जाते समय एक अटैक सा आया और वे बाथरूम में ही गिर पड़े। इससे उनका निधन हो गया। पूरा परिवार तो इंदौर में था, बस कोलकाता में रितेश और उनकी पत्नी दो बच्चों के साथ थीं। कोलकाता में लॉकडाउन होने से उन्हें इंदौर तक लाना बड़ी समस्या थी। हम उन्हें लाने के लिए बात कर ही रहे थे कि कंपनी वालों ने आश्चर्यजनक काम करते हुए पूरा 180 सीटर प्लेन बुक कर दिया। इसी दिन दोपहर 3 बजे प्लेन में दो कर्मचारी समेत रितेश और उनके परिवार को इंदौर भेज दिया।