देश / डोमिनिका जाकर फंसा चोकसी, वकील ने कहा- कुछ गड़बड़ है, मर्जी से नहीं गए

एंटीगुआ से भाकर क्यूबा जा रहे पीएनबी घोटाले के आरोपी मेहुल चोकसी को डोमिनिका में पकड़ लिया गया है। एंटीगुआ के प्रधानमंत्री गैस्टन ब्राउनी ने कहा है कि उनका देश भगोड़े कारोबारी को स्वीकार नहीं करेगा और उसे सीधे भारत भेजा जाएगा। इस तरह चोकसी को भारतीय एजेंसियों के शिकंजे में आते देख उनके वकील विजय अग्रवाल को इस पूरे घटनाक्रम में गड़बड़ी नजर आने लगी है।

Vikrant Shekhawat : May 27, 2021, 02:45 PM
एंटीगुआ से भाकर क्यूबा जा रहे पीएनबी घोटाले के आरोपी मेहुल चोकसी को डोमिनिका में पकड़ लिया गया है। एंटीगुआ के प्रधानमंत्री गैस्टन ब्राउनी ने कहा है कि उनका देश भगोड़े कारोबारी को स्वीकार नहीं करेगा और उसे सीधे भारत भेजा जाएगा। इस तरह चोकसी को भारतीय एजेंसियों के शिकंजे में आते देख उनके वकील विजय अग्रवाल को इस पूरे घटनाक्रम में गड़बड़ी नजर आने लगी है। अग्रवाल ने कहा, ''मेरी समझ से वह अपनी इच्छा से डोमिनिका नहीं पहुंचे होंगे। मुझे कुछ गड़बड़ गल रहा है, जिस पर अभी कोई ध्यान नहीं दे रहा है कि आखिर वे कैसे डोमिनिका पहुंचे।'' 

एंटीगुआ में लापता होने के बाद चोकसी डोमिनिका में पकड़ा गया। शुरुआत में उसे एंटीगुआ के हवाले करने की तैयारी चल रही थी, लेकिन पीएम ब्राउनी ने कहा कि उसे सीधे भारत प्रत्यर्पित कर दिया जाए। चोकसी को एंटीगुआ की नागरिकता प्राप्त है। भारतीय नागरिकता अधिनियम की धारा 9 का हवाला देते हुए वकील विजय अग्रवाल ने कहा कि चोकसी को केवल एंटीगुआ में प्रत्यर्पित किया जा सकता है, जहां की उनकी वैध नागरिकता है। 

विजय अग्रवाल ने गुरुवार को एक बयान जारी करके कहा, ''जिस वक्त मेहुल चोकसी को एंटीगुआ की नागरिकता मिली उसी वक्त भारत की नागरिकता खत्म हो गई। इसलिए इसलिए आप्रवासन और पासपोर्ट अधिनियम, धारा 17 और 23 के अनुसार उन्हें केवल एंटीगुआ में प्रत्यर्पित किया जा सकता है।'' अग्रवाल ने आगे कहा कि चोकसी को इसलिए भी भारत वापस नहीं लाया जा सकता क्योंकि एंटीगुआ में हाई कोर्ट ने भारत के किसी भी अनुरोध को मानने पर रोक लगा रखी है।  

अग्रवाल ने कहा, ''इसे वैध तरीके से किया जाना है और यह शतरंज का खेल नहीं है। हम किसी मानव का मामला है, प्यादे का नहीं कि यहां से वहां कर दें। यह किसी की इच्छा के मुताबिक नहीं हो सकता है।'' उन्होंने मानवाधिकार का भी हवाला देते हुए कहा कि एक व्यक्ति को केवल उस देश में प्रत्यर्पित किया जा सकता है, जहां का वह नागरिक हो।