India : Aug 24, 2020, 08:36 AM
लद्दाख (Ladakh) में LAC पर चीन के अड़ियल रवैये को देखते हुए सैन्य मोर्चे के साथ-साथ उसे आर्थिक क्षेत्र में भी सबक सिखाने के लिए मोदी सरकार लगातार सक्रिय है। सेना को पीछे हटाने की प्रक्रिया पर हामी भरने के बावजूद चीन अपनी स्थिति से पीछे होने को तैयार नहीं हो रहा। इस बीच चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल बिपिन रावत (General Bipin Rawat) ने कहा है कि चीन के साथ बातचीत चल रही है और अगर यह फेल हुई तो सैन्य विकल्प मौजूद है, रावत ने कहा कि ‘लद्दाख में चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) द्वारा किए गए बदलावों से निपटने के लिए सैन्य विकल्प मौजूद है।’जनरल रावत ने कहा, ‘LAC के साथ हुए बदलाव अलग-अलग धारणाओं के कारण होते हैं। रक्षा सेवाओं पर निगरानी रखने, निगरानी करने और घुसपैठ को रोकने के लिए ऐसे अभियानों को रोकने का काम सौंपा जाता है। किसी भी ऐसी गतिविधि को शांतिपूर्वक हल करने और घुसपैठ को रोकने के लिए सरकार के संपूर्ण दृष्टिकोण को अपनाया जाता है। रक्षा सेवाएं हमेशा सैन्य कार्यों के लिए तैयार रहती हैं, फिर चाहें उसमें LAC के साथ यथास्थिति को बहाल करने के सभी प्रयासों का सफल न होना ही शामिल क्यों न हो।’पूर्व सेना प्रमुख ने कहा कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल (NSA Ajit Doval) और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जिम्मेदार सभी लोग इस उद्देश्य के साथ सभी विकल्पों की समीक्षा कर रहे हैं कि पीएलए लद्दाख में यथास्थिति बहाल करें।उधर, बीते शनिवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पूर्वी लद्दाख में समग्र सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की। अधिकारियों ने बताया कि यह समीक्षा बैठक भारत और चीन के बीच सीमा पर जारी गतिरोध को सुलझाने के लिए राजनयिक स्तर पर हुई वार्ता के दो दिन बाद हुई है। इस बीच सेना ने बताया कि 20 और 21 अगस्त को सेना के कमांडरों की बैठक उत्तरी और पश्चिमी मोर्चों पर सुरक्षा स्थिति और सैन्य तैयारियों की समीक्षा के लिए हुई थी।राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल, प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (CDS) जनरल बिपिन रावत, थल सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे, नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह और वायु सेना प्रमुख आर के एस भदौरिया ने बैठक में शिरकत की थी। सूत्रों ने बताया कि पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ सीमा विवाद के सभी महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा की गई। उन्होंने बताया कि हालात से निपटने के लिए भविष्य के कदमों पर विचार-विमर्श किया गया ।सूत्रों ने बताया कि जनरल नरवणे ने भारत की सैन्य तैयारियों, हथियारों और सैनिकों की तैनाती, वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) सहित सभी संवेदनशील इलाकों में कड़ाके की सर्दी के बीच सैनिकों की तैनाती बनाए रखने को लेकर प्रस्तुति दी। सरकारी सूत्रों ने बताया कि भारत किसी भी हाल में सैनिकों की संख्या कम नहीं करने जा रहा है। उन्होंने बताया कि भारतीय सेना ने चीन के साथ बातचीत में मजबूती के साथ कहा कि विवाद को सुलझाने के लिए अप्रैल से पहले वाली स्थिति बहाल होनी चाहिए। सूत्रों ने बताया कि सेना का आकलन है कि चीनी सैनिक सीमा विवाद को सुलझाने के लिए गंभीर नहीं हैं।यह माना जा रहा है कि दो दिवसीय सम्मेलन में सेना के कमांडरों ने चीन और पाकिस्तान के साथ सीमा पर उत्पन्न होने वाली संभावित चुनौतियों और उनसे प्रभावी तरीके से निपटने पर चर्चा की। भारत और चीन के बीच पिछले ढाई महीने में सैन्य और राजनयिक स्तर पर कई चरण की बातचीत हो चुकी है लेकिन पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद के समाधान के लिए कोई महत्वपूर्ण प्रगति नहीं हो पायी है ।