Vikrant Shekhawat : Jul 01, 2020, 08:01 PM
New Delhi | कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव और राहुल गांधी की बहन प्रियंका गांधी को अब सरकारी बंगला खाली करना होगा। भारत सरकार के आवास और शहरी मंत्रालय ने उन्हें एक नोटिस जारी करते हुए 1 अगस्त तक मकान खाली करने और समस्त बकाया चुकाने के आदेश दिए हैं।
आवास और शहरी मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले आवास निदेशालय के उप निदेशक जीपी सरकार ने प्रियंका को नोटिस देते हुए कहा कि आपकी एसपीजी सुरक्षा श्रेणी हटा ली गई है। ऐसे में उन्हें इस बंगले में रहने का अधिकार नहीं है। चार साल पहले इस मकान का किराया करीब 81 हजार रुपए प्रतिमाह बताया गया था, जो अभी करीब 35 हजार रुपए दिया जा रहा है।
इससे पहले प्रियंका गांधी वाड्रा ने बुधवार को वाराणसी के बुनकरों के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर निशाना साधा था। प्रियंका ने ट्वीट किया कि प्रधानमंत्री के निर्वाचन क्षेत्र के बुनकर जो वाराणसी की शान हैं, आज वे अपने गहने और घर गिरवी रखकर गुजारा करने को मजबूर हैं। उन्हें आर्थिक मदद का ठोस पैकेज ही तंगहाली से निकाल सकता है।
यूपी चुनाव से ही राजनीति में सक्रिय हैं प्रियंका
हाल के दिनों में उन्होंने लगातार केंद्र सरकार पर हमला बोला है। एक दिन पहले ही ट्वीट कर केंद्र सरकार और बसपा प्रमुख मायावती पर हमला बोला था। प्रियंका ने ट्वीट में लिखा, "जैसे कि मैंने कहा था कि कुछ विपक्ष के नेता भाजपा के अघोषित प्रवक्ता बन गए हैं, जो मेरी समझ से परे है। इस समय किसी राजनीतिक दल के साथ खड़े होने का कोई मतलब नहीं है। हर हिंदुस्तानी को हिंदुस्तान के साथ खड़ा होना होगा, हमारी सरजमीं की अखंडता के साथ खड़ा होना होगा। और जो सरकार, देश की सरज़मीं को गँवा डाले, उस सरकार के ख़िलाफ़ लड़ने की हिम्मत बनानी पड़ेगी।" वाजपेयी सरकार के वक्त कम कराया था किराया
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और वर्तमान कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की बेटी प्रियंका गांधी ने करीब बीस साल पहले वाजपेयी सरकार के समय घर के किराये को लेकर मोलभाव किया और उसे कम भी कराया था। जिसके बाद उन्हें दिल्ली के सबसे पॉश माने जाने वाले लुटियन जोंस में 53,421 रुपये रेंट वाला मकान सिर्फ 8,888 रुपये में दे दिया गया था। इस मामले पर प्रियंका गांधी वाड्रा के ऑफिस की ओर से कहा गया था कि एसपीजी ने प्रियंका को सरकारी बंगले में रहने के लिए कहा था। जिसका किराया अडवांस में दिया गया था। अब प्रियंका गांधी को लोधी स्टेट का बंगला नम्बर 35 खाली करना होगा, जिसके लिए उन्होंने इतनी मशक्कत की थी। बताया जाता है कि प्रियंका गांधी वाड्रा ने लुटियन जोंस के 2765.18 स्क्वायर मीटर के एक मकान के लिए वाजपेयी सरकार से मोलभाव कर कम रेंट देने पर राजी कर लिया था। इस दौरान प्रियंका ने तर्क दिया था कि इतनी धनराशि का भुगतान उनकी हैसियत से ज्यादा है। बता दें कि वर्तमान में प्रियंका गांधी 35, लोधी एस्टेट के टाइप-VI सरकारी आवास में रह रही हैं और इसके लिए वे करीब 31,300 रुपए किराया अदा करती हैं। सरकार ने प्रियंका गांधी और तीन अन्य नागरिकों को सुरक्षा कारणों के चलते वीआईपी इलाके में घर प्रदान किए थे। इसमें प्रियंका गांधी वाड्रा के अलावा पंजाब के पूर्व डीजीपी केपीएस गिल, ऑल इंडिया टेररिस्ट फ्रंट चीफ एमएस बिट्टा और पंजाब केसरी के एडिटर अश्विनी कुमार शामिल थे। गिल और बिट्टा, प्रियंका गांधी के बराबर ही धनराशि का भुगतान कर रहे हैं जबकि अश्विनी कुमार ने 2012 में घर खाली कर दिया था। अब सरकार ने एसपीजी सुरक्षा हटाने की बात कहते हुए यह मकान खाली कराने का नोटिस देते हुए एक माह का समय दिया है।
किराया कम कराने के लिए प्रियंका ने भेजी थी चिट्ठी
7 मई 2002 को सरकार को भेजे अपने खत में प्रियंका गांधी ने लिखा था कि घर के बदले 53,421 रुपये की राशि बहुत ज्यादा है और ये राशि उनकी भुगतान झमता से बाहर है। प्रियंका वाड्रा ने सरकार को लिखा था कि यह घर स्पेशल प्रोटेक्शन फोर्स (एसपीजी) के कहने पर लिया हुआ है और इसके बड़े हिस्सा का इस्तेमाल उनका परिवार नहीं बल्कि एसपीजी खुद कर रही है। उन्होंने सरकार को कहा था कि वह इस घर में अपनी मर्जी से नहीं बल्कि सुरक्षा कारणों के चलते रह रही हैं। प्रियंका ने सरकार से निवेदन किया कि वह 28,451 रुपए प्रति माह के पुराने रेट से किराया अदा कर सकती हैं, बढ़े हुए रेंट 53,421 पर नहीं। इस संबंध में नोएडा के देव आशीष भट्टाचार्य द्वारा दायर आरटीआइ के जवाब में मिले 8 जुलाई 2003 के कैबिनेट कमिटी के नोट से यह सब खुलासा हुआ है। इसके मुताबिक, यह माना गया कि चारों लोग प्राइवेट सिटीजंस हैं और सुरक्षा कारणों के चलते उन्हें तय नियम के हिसाब से घर दिए गए हैं, वे लाइसेंस फीस का मार्केट रेट के हिसाब से रेंट नहीं दे सकते। इसलिए रेंट की समीक्षा की गई। समीक्षा के बाद प्रियंका गांधी के लिए 24 जुलाई 2003 से स्पेशल लाइसेंस फी संशोधित कर 8888 कर दी और बाकी लोगों का रेंट भी कम कर दिया गया। गिल का रेंट 60,741 से घटाकर 10,715 बिट्टा का 55,536 से 10,203 और अश्विनी कुमार का 50,311 घटाकर 8,555 रुपए प्रति माह कर दिया गया। प्रियंका गांधी को घर 1997 में एसपीजी, केंद्रीय सचिवालय और गृह मंत्रालय की सिफारिश पर दिया गया था। डायरेक्टोरेट ऑफ एस्टेट के मुताबिक, 21 फरवरी 1997 को प्रियंका वाड्रा को 5 लोधी एस्टेट में 19,900 के मार्केट रेट पर एक घर आवंटित किया गया। इसका किराया समय-समय पर संशोधित किया गया। उनके मुताबिक अभी मार्केट रेट के हिसाब से इस घर का किराया 81,865 रुपया प्रति माह है। उन्होंने ये भी बताया कि वर्तमान में जोर बाग में प्रियंका वाड्रा के घर के दसवें हिस्से के बराबर घर का किराया 1.5 से 4 लाख रुपये प्रति माह है। उन्होंने ये भी कहा कि फिलहाल प्राइवेट सिटिजंस के लिए दिल्ली के दिल कहे जाने वाले इन इलाकों में इस आकार का कोई घर मौजूद नहीं है।कांग्रेस ने बताया 'बदले की कार्रवाई'कांग्रेस प्रवक्ता चरण सिंह सप्रा ने एक चैनल से बातचीत में कहा कि 'यह कदम बदले की राजनीति को दिखाता है।' उन्होंने कहा कि 'मोदी सरकार का बदले वाला एटिट्यूड है।' उन्होंने कहा कि वे (बीजेपी सरकार) कांग्रेस कार्यकर्ता को डी-मोटिवेट करना चाहते हैं। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि 'प्रियंका गांधी को खतरा तो है ही, वह राजीव गांधी की बेटी हैं जो आतंकी हमले में मारे गए थे। वह इंदिरा गांधी की पोती हैं जिन्हें बेरहमी से मार दिया गया था।' उन्होंने आरोप लगाया कि 'हम हिटलरराज की तरफ बढ़ रहे हैं।'कुछ ही देर में ट्रेंड होने लगा मामला
प्रियंका गांधी के नाम बंगला खाली करने का आदेश सामने आते ही सोशल मीडिया पर हलचल तेज हो गई। कुछ ही देर में ट्विटर पर Priyanka Gandhi पॉलिटिक्स में टॉप पर ट्रेंड करने लगा। कई कांग्रेस समर्थक ट्विटर यूजर्स ने कहा कि केंद्र सरकार मनमानी कर रही है। कई यूजर्स ने इस कदम की तारीफ की और कहा कि चूंकि प्रियंका न तो सांसद हैं, न ही जनप्रतिनिधि इसलिए उन्हें सरकारी बंगला अलॉट नहीं होना चाहिए।
आवास और शहरी मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले आवास निदेशालय के उप निदेशक जीपी सरकार ने प्रियंका को नोटिस देते हुए कहा कि आपकी एसपीजी सुरक्षा श्रेणी हटा ली गई है। ऐसे में उन्हें इस बंगले में रहने का अधिकार नहीं है। चार साल पहले इस मकान का किराया करीब 81 हजार रुपए प्रतिमाह बताया गया था, जो अभी करीब 35 हजार रुपए दिया जा रहा है।
बंगला खाली नहीं किया तो जुर्माना लगेगा
प्रियंका गांधी से एसपीजी सुरक्षा वापस ली गई थी और Z+ सुरक्षा दी गई थी। एसपीजी कवर में सुरक्षा के मद्देनजर सरकारी बंगले का प्रावधान था। Z+ में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। इसलिए अलॉटमेंट कैंसल किया जा रहा है। अगर 1 अगस्त तक बंगला खाली नहीं किया तो उसके बाद जुर्माने के तौर पर किराया लगेगा।प्रियंका के पास अब Z+ सिक्योरिटी कवरकांग्रेस नेता को भेजी गई चिट्ठी में कहा गया है कि 'गृह मंत्रालय के SPG प्रोटेक्शन हटाने के बाद आपको Z+ सिक्योरिटी कवर दिया गया जिसमें सुरक्षा आधार पर सरकारी बंगल के आवंटन/रिटेंशन का प्रावधान नहीं है, इसलिए लोधी एस्टेट का हाउस नंबर 35 का अलॉटमेंट रद्द किया जाता है। आपको एक महीने का कंसेशनल पीरियड दिया जा रहा है।' पिछले साल नवंबर में सरकार ने गांधी परिवार का एसपीजी सिक्योरिटी कवर हटा लिया था। अब कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, उनके बेटे राहुल गांधी और बेटी प्रियंका गांधी की सुरक्षा Z+ कैटेगरी की कर दी गई है जो सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स के जिम्मे है। सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का एसपीजी कवर भी वापस ले लिया था।प्रियंका ने मोदी और योगी पर साधा था निशानाइससे पहले प्रियंका गांधी वाड्रा ने बुधवार को वाराणसी के बुनकरों के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर निशाना साधा था। प्रियंका ने ट्वीट किया कि प्रधानमंत्री के निर्वाचन क्षेत्र के बुनकर जो वाराणसी की शान हैं, आज वे अपने गहने और घर गिरवी रखकर गुजारा करने को मजबूर हैं। उन्हें आर्थिक मदद का ठोस पैकेज ही तंगहाली से निकाल सकता है।
यूपी चुनाव से ही राजनीति में सक्रिय हैं प्रियंका
हाल के दिनों में उन्होंने लगातार केंद्र सरकार पर हमला बोला है। एक दिन पहले ही ट्वीट कर केंद्र सरकार और बसपा प्रमुख मायावती पर हमला बोला था। प्रियंका ने ट्वीट में लिखा, "जैसे कि मैंने कहा था कि कुछ विपक्ष के नेता भाजपा के अघोषित प्रवक्ता बन गए हैं, जो मेरी समझ से परे है। इस समय किसी राजनीतिक दल के साथ खड़े होने का कोई मतलब नहीं है। हर हिंदुस्तानी को हिंदुस्तान के साथ खड़ा होना होगा, हमारी सरजमीं की अखंडता के साथ खड़ा होना होगा। और जो सरकार, देश की सरज़मीं को गँवा डाले, उस सरकार के ख़िलाफ़ लड़ने की हिम्मत बनानी पड़ेगी।" वाजपेयी सरकार के वक्त कम कराया था किराया
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और वर्तमान कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की बेटी प्रियंका गांधी ने करीब बीस साल पहले वाजपेयी सरकार के समय घर के किराये को लेकर मोलभाव किया और उसे कम भी कराया था। जिसके बाद उन्हें दिल्ली के सबसे पॉश माने जाने वाले लुटियन जोंस में 53,421 रुपये रेंट वाला मकान सिर्फ 8,888 रुपये में दे दिया गया था। इस मामले पर प्रियंका गांधी वाड्रा के ऑफिस की ओर से कहा गया था कि एसपीजी ने प्रियंका को सरकारी बंगले में रहने के लिए कहा था। जिसका किराया अडवांस में दिया गया था। अब प्रियंका गांधी को लोधी स्टेट का बंगला नम्बर 35 खाली करना होगा, जिसके लिए उन्होंने इतनी मशक्कत की थी। बताया जाता है कि प्रियंका गांधी वाड्रा ने लुटियन जोंस के 2765.18 स्क्वायर मीटर के एक मकान के लिए वाजपेयी सरकार से मोलभाव कर कम रेंट देने पर राजी कर लिया था। इस दौरान प्रियंका ने तर्क दिया था कि इतनी धनराशि का भुगतान उनकी हैसियत से ज्यादा है। बता दें कि वर्तमान में प्रियंका गांधी 35, लोधी एस्टेट के टाइप-VI सरकारी आवास में रह रही हैं और इसके लिए वे करीब 31,300 रुपए किराया अदा करती हैं। सरकार ने प्रियंका गांधी और तीन अन्य नागरिकों को सुरक्षा कारणों के चलते वीआईपी इलाके में घर प्रदान किए थे। इसमें प्रियंका गांधी वाड्रा के अलावा पंजाब के पूर्व डीजीपी केपीएस गिल, ऑल इंडिया टेररिस्ट फ्रंट चीफ एमएस बिट्टा और पंजाब केसरी के एडिटर अश्विनी कुमार शामिल थे। गिल और बिट्टा, प्रियंका गांधी के बराबर ही धनराशि का भुगतान कर रहे हैं जबकि अश्विनी कुमार ने 2012 में घर खाली कर दिया था। अब सरकार ने एसपीजी सुरक्षा हटाने की बात कहते हुए यह मकान खाली कराने का नोटिस देते हुए एक माह का समय दिया है।
किराया कम कराने के लिए प्रियंका ने भेजी थी चिट्ठी
7 मई 2002 को सरकार को भेजे अपने खत में प्रियंका गांधी ने लिखा था कि घर के बदले 53,421 रुपये की राशि बहुत ज्यादा है और ये राशि उनकी भुगतान झमता से बाहर है। प्रियंका वाड्रा ने सरकार को लिखा था कि यह घर स्पेशल प्रोटेक्शन फोर्स (एसपीजी) के कहने पर लिया हुआ है और इसके बड़े हिस्सा का इस्तेमाल उनका परिवार नहीं बल्कि एसपीजी खुद कर रही है। उन्होंने सरकार को कहा था कि वह इस घर में अपनी मर्जी से नहीं बल्कि सुरक्षा कारणों के चलते रह रही हैं। प्रियंका ने सरकार से निवेदन किया कि वह 28,451 रुपए प्रति माह के पुराने रेट से किराया अदा कर सकती हैं, बढ़े हुए रेंट 53,421 पर नहीं। इस संबंध में नोएडा के देव आशीष भट्टाचार्य द्वारा दायर आरटीआइ के जवाब में मिले 8 जुलाई 2003 के कैबिनेट कमिटी के नोट से यह सब खुलासा हुआ है। इसके मुताबिक, यह माना गया कि चारों लोग प्राइवेट सिटीजंस हैं और सुरक्षा कारणों के चलते उन्हें तय नियम के हिसाब से घर दिए गए हैं, वे लाइसेंस फीस का मार्केट रेट के हिसाब से रेंट नहीं दे सकते। इसलिए रेंट की समीक्षा की गई। समीक्षा के बाद प्रियंका गांधी के लिए 24 जुलाई 2003 से स्पेशल लाइसेंस फी संशोधित कर 8888 कर दी और बाकी लोगों का रेंट भी कम कर दिया गया। गिल का रेंट 60,741 से घटाकर 10,715 बिट्टा का 55,536 से 10,203 और अश्विनी कुमार का 50,311 घटाकर 8,555 रुपए प्रति माह कर दिया गया। प्रियंका गांधी को घर 1997 में एसपीजी, केंद्रीय सचिवालय और गृह मंत्रालय की सिफारिश पर दिया गया था। डायरेक्टोरेट ऑफ एस्टेट के मुताबिक, 21 फरवरी 1997 को प्रियंका वाड्रा को 5 लोधी एस्टेट में 19,900 के मार्केट रेट पर एक घर आवंटित किया गया। इसका किराया समय-समय पर संशोधित किया गया। उनके मुताबिक अभी मार्केट रेट के हिसाब से इस घर का किराया 81,865 रुपया प्रति माह है। उन्होंने ये भी बताया कि वर्तमान में जोर बाग में प्रियंका वाड्रा के घर के दसवें हिस्से के बराबर घर का किराया 1.5 से 4 लाख रुपये प्रति माह है। उन्होंने ये भी कहा कि फिलहाल प्राइवेट सिटिजंस के लिए दिल्ली के दिल कहे जाने वाले इन इलाकों में इस आकार का कोई घर मौजूद नहीं है।कांग्रेस ने बताया 'बदले की कार्रवाई'कांग्रेस प्रवक्ता चरण सिंह सप्रा ने एक चैनल से बातचीत में कहा कि 'यह कदम बदले की राजनीति को दिखाता है।' उन्होंने कहा कि 'मोदी सरकार का बदले वाला एटिट्यूड है।' उन्होंने कहा कि वे (बीजेपी सरकार) कांग्रेस कार्यकर्ता को डी-मोटिवेट करना चाहते हैं। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि 'प्रियंका गांधी को खतरा तो है ही, वह राजीव गांधी की बेटी हैं जो आतंकी हमले में मारे गए थे। वह इंदिरा गांधी की पोती हैं जिन्हें बेरहमी से मार दिया गया था।' उन्होंने आरोप लगाया कि 'हम हिटलरराज की तरफ बढ़ रहे हैं।'कुछ ही देर में ट्रेंड होने लगा मामला
प्रियंका गांधी के नाम बंगला खाली करने का आदेश सामने आते ही सोशल मीडिया पर हलचल तेज हो गई। कुछ ही देर में ट्विटर पर Priyanka Gandhi पॉलिटिक्स में टॉप पर ट्रेंड करने लगा। कई कांग्रेस समर्थक ट्विटर यूजर्स ने कहा कि केंद्र सरकार मनमानी कर रही है। कई यूजर्स ने इस कदम की तारीफ की और कहा कि चूंकि प्रियंका न तो सांसद हैं, न ही जनप्रतिनिधि इसलिए उन्हें सरकारी बंगला अलॉट नहीं होना चाहिए।