Vikrant Shekhawat : Aug 13, 2019, 07:00 PM
दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में आयोजित श्रद्धांजलि समारोह में सम्बोधित करते हुए भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि सुषमा स्वराज का व्यक्तित्व विविधताओं से भरा था। जिम्मेदारियों को निभाने के लिए उन्होंने अपने आपको सदा समर्पित भाव से तैयार रखा। उत्तम कार्यकर्ता, श्रेष्ठ साथी के रूप में वे हमें बहुत कुछ देकर गई हैं। सुषमाजी आज नहीं है, लेकिन विरासत और अमानत देकर गईं। उसे हम अक्षुण्ण रखेंगे। यही उनको सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
उन्होंने कहा कि 370 के मुद्दे से जुड़ाव था सुषमाजी था। ऐसा लगा कि उनके जीवन का इतना बड़ा लक्ष्य पूरा हो गया हो और खुशी समाती नहीं हो। मोदी ने बताया कि उन्हें बांसुरी ने कहा कि इतनी खुशी—खुशी वो गईं हैं कि जिसकी शायद कोई कल्पना कर सकता है। उनका मन खुशी से नाच रहा था। उसी खुशी को जीते—जीते वो श्रीकृष्ण के चरणों में पहुंच गईं। अपने पद को अपनी व्यवस्था में जो काम मिला, उसमें श्रेष्ठ परम्पराओं को बनाते हुए समकालीन परिवर्तन लाना उनकी विशेषता रही है। विदेश मंत्रालय का अर्थ कोट—पेंट—टाई प्रोटोकॉल ही रहा, लेकिन सुषमाजी ने इस प्रोटोकॉल की परिभाषा को पीपल्स कॉल में बदल दिया। वसुधैव कुटुम्बकम का भाव उन्होंने विदेश मंत्रालय संभालते हुए साबित किया। विदेश मंत्रालय के पूरे चरित्र में उन्होंने परिवर्तन लाया। यह बदलाव कहने में सरल लगता है, लेकिन सुषमाजी ने पल—पल एक—एक चीज को गढ़ा। मोदी ने अपनी महत्वपूर्ण विदेश यात्रा का जिक्र करते हुए कहा कि उन्हें लिखकर पढ़ना मुश्किल होता है, लेकिन सुषमाजी ने बैठकर रात को बैठकर स्पीच तैयार किया। उनका बड़ा आग्रह था कि आप कितने ही बड़े वक्ता क्यों न हो और विचारों की साधना भले ही हो, लेकिन कुछ फोरम की मर्यादाएं होती हैं और उन्हें निभानी होती है। यह सुषमाजी ने समझाया। इस मौके पर देशभर की सभी पार्टियों के नेताओं, संतों आदि ने अपने विचार व्यक्त किए। इस मौके बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्ढा, गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथसिंह, मंत्री रामदास अठावले, पूर्व मंत्री दिनेश त्रिवेदी, आनंद शर्मा, सुषमा स्वराज के पति स्वराज कौशल, उनकी बेटी बांसुरी समेत कई लोग मौजूद थे। गौरतलब है कि सुषमा स्वराज को छह अगस्त को हृदय गति रुकने से निधन हो गया था। अगले दिन उनका अंतिम संस्कार किया गया था।
उन्होंने कहा कि 370 के मुद्दे से जुड़ाव था सुषमाजी था। ऐसा लगा कि उनके जीवन का इतना बड़ा लक्ष्य पूरा हो गया हो और खुशी समाती नहीं हो। मोदी ने बताया कि उन्हें बांसुरी ने कहा कि इतनी खुशी—खुशी वो गईं हैं कि जिसकी शायद कोई कल्पना कर सकता है। उनका मन खुशी से नाच रहा था। उसी खुशी को जीते—जीते वो श्रीकृष्ण के चरणों में पहुंच गईं। अपने पद को अपनी व्यवस्था में जो काम मिला, उसमें श्रेष्ठ परम्पराओं को बनाते हुए समकालीन परिवर्तन लाना उनकी विशेषता रही है। विदेश मंत्रालय का अर्थ कोट—पेंट—टाई प्रोटोकॉल ही रहा, लेकिन सुषमाजी ने इस प्रोटोकॉल की परिभाषा को पीपल्स कॉल में बदल दिया। वसुधैव कुटुम्बकम का भाव उन्होंने विदेश मंत्रालय संभालते हुए साबित किया। विदेश मंत्रालय के पूरे चरित्र में उन्होंने परिवर्तन लाया। यह बदलाव कहने में सरल लगता है, लेकिन सुषमाजी ने पल—पल एक—एक चीज को गढ़ा। मोदी ने अपनी महत्वपूर्ण विदेश यात्रा का जिक्र करते हुए कहा कि उन्हें लिखकर पढ़ना मुश्किल होता है, लेकिन सुषमाजी ने बैठकर रात को बैठकर स्पीच तैयार किया। उनका बड़ा आग्रह था कि आप कितने ही बड़े वक्ता क्यों न हो और विचारों की साधना भले ही हो, लेकिन कुछ फोरम की मर्यादाएं होती हैं और उन्हें निभानी होती है। यह सुषमाजी ने समझाया। इस मौके पर देशभर की सभी पार्टियों के नेताओं, संतों आदि ने अपने विचार व्यक्त किए। इस मौके बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्ढा, गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथसिंह, मंत्री रामदास अठावले, पूर्व मंत्री दिनेश त्रिवेदी, आनंद शर्मा, सुषमा स्वराज के पति स्वराज कौशल, उनकी बेटी बांसुरी समेत कई लोग मौजूद थे। गौरतलब है कि सुषमा स्वराज को छह अगस्त को हृदय गति रुकने से निधन हो गया था। अगले दिन उनका अंतिम संस्कार किया गया था।