संसद सदस्य वेतन, भत्ता और पेंशन विधेयक (Salaries and Allowances of Ministers Amendment Bill, 2020) लोकसभा में पास हो चुका है. इसके तहत एक साल तक सांसदों की सैलरी 30 फीसदी कटकर मिलेगी. इसके अलावा प्रत्येक सांसदों को हर साल 5 करोड़ रुपये उनकी सांसद निधि के तहत मिलता है जो अब 2 साल के लिए स्थगित कर दी गई है. इससे बचे पैसों का इस्तेमाल कोरोना वायरस (Covid-19) महामारी के कारण पैदा हुई स्थिति से लड़ने के लिए किया जाएगा.
सोमवार को लोकसभा में संसदीय मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी (Pralhad Joshi) ने निचले सदन में संसद सदस्यों के वेतन, भत्ता एवं पेंशन संशोधन विधेयक 2020 को पेश किया गया था. यह विधेयक संसद सदस्यों के वेतन, भत्ता एवं पेंशन अध्यादेश 2020 का स्थान लेगा. आर्टिकल 106 के तहत सरकार ने ये संशोधन किया है. जिन सांसदों की सैलरी में एक साल तक कटौती होगी, उनमें प्रधानमंत्री, कैबिनेट मंत्री, राज्यमंत्री और सांसद शामिल हैं. विधेयक के तहत सैलरी में कटौती एक अप्रैल 2020 से अगले वित्तीय वर्ष तक प्रभावी रहेगी. आइए जानते हैं 30 फीसदी कटौती के बाद अब सांसदों और मंत्रियों को कितनी सैलरी मिलेगी...
कितनी है सांसद की सैलरी?
फिक्स्ड सैलरी और भत्ते को जोड़ें तो एक सांसद एक महीने में 2,91,833 रुपये वेतन पाता है, यानी देश को एक सांसद पर सालाना 35 लाख रुपये खर्च करने पड़ते हैं. लेकिन कोविड-19 संकट में 30 फीसदी कटौती के बाद अब एक सांसद को महीने में 70 हजार रुपये बतौर सैलरी मिलेंगे, जो पहले एक लाख थी. सांसदों की सांसद निधि में भी कटौती हुई है. इसे अब 49 हजार कर दिया गया है. पहले ये 70 हजार रुपये प्रतिमाह थी. सांसदों को कार्यालय व्यय भत्ता भी मिलता है. यह पहले 60,000 रुपये था, अब 54,000 रुपये हो गया है. इसमें सांसद 40,000 रुपये सचिवीय सहायता के रूप में और 14,000 रुपये कार्यालय खर्च के रूप में ले सकते हैं.
प्रधानमंत्री और मंत्रियों के भत्ते में कितनी हुई कटौती
मंत्रियों के वेतन और भत्ते (संशोधन) विधेयक, 2020 में समतुल्य भत्ते में कटौती की गई है. प्रधानमंत्री का समतुल्य भत्ता अब 2100 कर दिया गया है. पहले ये 3000 रुपये प्रति माह था. वहीं, कैबिनेट मंत्रियों का समतुल्य भत्ता अब 1400 रुपये प्रतिमाह होगा. ये पहले 2,000 रुपये मासिक था. राज्य मंत्रियों को अब तक 1000 रुपये समतुल्य भत्ता मिलता था, जो अब 700 रुपये होगा.
वेतन कटौती से कितना पैसा बचेगा
संसद के दोनों सदनों में 790 सांसदों (लोकसभा के 545 और राज्यसभा के 245 सांसद) की व्यवस्था है. वर्तमान समय में लोकसभा में 542 और राज्यसभा में 238 सदस्य हैं. इस तरह से संसद में 780 सांसद हैं और प्रत्येक सांसदों की सैलरी से अब 30 हजार रुपये कटेंगे और इस तरह से हर महीने 2 करोड़ 34 लाख रुपये की बचत होगी.
परोपकार की शुरुआत घर से होती है- प्रह्लाद जोशी
संसदीय मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि कोविड-19 के कारण उत्पन्न स्थिति को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं. यह कदम उनमें से एक है. उन्होंने कहा कि परोपकार की शुरुआत घर से होती है. ऐसे में संसद सदस्य यह योगदान दे रहे हैं और यह छोटी या बड़ी राशि का सवाल नहीं है, बल्कि भावना का है.
एमपीलैड पर सरकार ने क्या कहा?
सांसद क्षेत्र विकास निधि (एमपीलैड) के बारे में सदस्यों के सवालों के जवाब में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सांसद निधि को अस्थायी रूप से दो वर्षो के लिए निलंबित किया गया है. उन्होंने कहा कि लोगों की मदद के लिए कुछ कड़े फैसले लेने की जरूरत थी.
कब लाया गया था ये अध्यादेश
इस अध्यादेश को छह अप्रैल को मंत्रिमंडल की मंजूरी मिली थी. सात अप्रैल को ये लागू हुआ था. इस अध्यादेश में कहा गया था कि कोरोना वायरस महामारी ने तुरंत राहत और सहायता के महत्व को प्रदर्शित किया है. इसलिए महामारी को फैलने से रोकने के लिए कुछ आपात कदम उठाए जाने जरूरी हैं.
भारतीय सांसदों को बेहतर भत्ते मिलते हैं?
बता दें कि भारत में, कानूनविद हर पांच साल में अपने वेतन को संशोधित करते हैं. ये संशोधन मुद्रास्फीति पर आधारित होता है. नई दिल्ली स्थित थिंक टैंक पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च के अनुसार, यूके, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे देशों में सांसदों का वेतन स्वतंत्र अधिकारियों द्वारा तय किया जाता है.