मुम्बई | बीते तीन दिन से चल रही आरबीआई की मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक ने आज नतीजों की घोषणा कर दी है। गर्वनर का कहना है कि दुनिया में अर्थव्यवस्था गिर रही है, जबकि भारत में रिकवरी शुरू हुई है। गवर्नर की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति की तीन दिन की बैठक चार अगस्त को शुरू हुई थी। आज समिति बैठक के नतीजों की घोषणा की गई है। आरबीआई ने दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। रेपो रेट 4 फीसदी पर बरकरार रखा है। वहीं रिवर्स रेपो रेट 3.35 पर स्थिर रखा है। जबकि लोन ईएमआई पर छूट पर उन्होंने कुछ भी नहीं कहा। इसका मतलब लोन पर ईएमआई पर छूट इस महीने के बाद नहीं मिलेगी। इसकी अवधि 31 अगस्त को समाप्त होने जा रही है। बैंक अधिकारी इसके दुरूपयोग की आशंका को लेकर इसकी मियाद बढ़ाये जाने का विरोध कर रहे थे। उम्मीद की जा रही थी कि आरबीआई गवर्नर इस मुद्दे को लेकर कोई बड़ा ऐलान कर सकते हैं. बैंकों की ओर से लगातार इसे आगे नहीं बढ़ाने की गुजारिश की जा रही है. अब रिजर्व बैंक के मौद्रिक नीति समीक्षा की बैठक अक्टूबर में होने वाली है।
गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया कि MPC ने सर्वसम्मति से ये फैसला लिया है। उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में रिकवरी शुरू हो गई है। विदेशी मुद्रा भंडार में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। जबकि, दुनियाभर की अर्थव्यवस्था में तेज गिरावट आई है। जनवरी से लेकर जून तक बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की आर्थिक स्थिति बेहद खराब रही।
दूसरी छमाही में महंगाई बढ़ने का अनुमान
आरबीआई को दूसरी छमाही में महंगाई बढ़ने का अनुमान है। खाद्य पदार्थों के दाम बढ़ सकते हैं। आरबीआई गवर्नर दास ने कहा कि आपूर्ति श्रृंखला में बाधायें बरकरार हैं जिससे विभिन्न क्षेत्रों में महंगाई का दबाव बना हुआ है। उन्होंने कहा कि इस साल जून में वार्षिक महंगाई दर मार्च के 5.84 फीसद के मुकाबले बढ़कर 6.09 फीसद हो गई। यह RBI के मीडियम टर्म टारगेट से ज्यादा है। RBI का यह टारगेट 2-6 फीसदी है।
GDP ग्रोथ निगेटिव रहने का अनुमान
उन्होंने कहा कि FY21 में GDP ग्रोथ निगेटिव रहने का अनुमान है। इकोनॉमिक रिवाइवल के लिए महंगाई पर नजर बनी है। वैश्विक आर्थिक गतिविधियां कमजोर बनी हुई है, कोविड-19 मामलों में उछाल ने पुनरुद्धार के शुरुआती संकेतों को कमजोर किया है। गवर्नर मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद शक्तिकांत दास ने कहा कि आरबीआई का रुख उदार बना रहेगा। गोल्ड ज्वैलरी पर 90 फीसद तक लोन बैंक दे सकेंगे। आरबीआई गवर्नर दास ने कहा कि एनएचबी, नाबार्ड द्वारा 10,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त नकदी सुविधा मुहैया कराई जाएगी। आरबीआई ने कोविड-19 के प्रभाव से राहत देने के लिए कंपनियों, व्यक्तिगत कर्जदारों के ऋणों का पुनर्गठन करने के लिए कर्जदाताओं को सुविधा उपलब्ध कराने की अनुमति दी।
रिजर्व बैंक अर्थव्यवस्था पर कोरोना वायरस महामारी तथा इसकी रोकथाम के लिए लागू लॉकडाउन के असर को सीमित करने के लिए पिछले कुछ समय से लगातार सक्रियता से कदम उठा रहा है। तेजी से बदलती वृहद आर्थिक परिस्थिति तथा वृद्धि के बिगड़ते परिदृश्य के कारण रिजर्व बैंक की दर निर्धारण समिति को पहले मार्च में और फिर मई में समय से पहले ही बैठक करने की जरूरत पड़ी थी। वहीं, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले सप्ताह कहा था, हमारा ध्यान पुनर्गठन पर है। वित्त मंत्रालय आरबीआई के इस बारे में बातचीत कर रहा है। इसके अलावा केंद्रीय बैंक कर्ज लौटाने को लेकर दी गई मोहलत के संदर्भ में दिशानिर्देश जारी कर सकता है।
रिजर्व बैंक के अन्य बड़े फैसले...
- आरबीआई गवर्नर ने एक बार फिर कहा है कि वित्त वर्ष 2020—21 में जीडीपी ग्रोथ रेट निगेटिव रहेगी।
- रिजर्व बैंक के गवर्नर ने कहा कि गोल्ड ज्वेलरी पर कर्ज की वैल्यू बढ़ा दी गई है। अब 90 फीसदी तक कर्ज मिल सकेगा। वर्तमान में सोने की कुल वैल्यू का 75 फीसदी तक ही लोन मिलता है।
- आरबीआई गवर्नर ने कहा कि ग्लोबल इकोनॉमी अब भी कमजोर है। हालांकि, विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़त का सिलसिला जारी है।
- आरबीआई गवर्नर ने कहा कि खुदरा महंगाई दर नियंत्रण में है।
- आरबीआई गवर्नर के मुताबिक कोरोना की मार के बाद देश की इकोनॉमी अब ट्रैक पर लौट रही है। गवर्नर ने कहा कि अच्छी पैदावार से ग्रामीण इकोनॉमी में रिकवरी है।
- MSMEs के कर्ज रीस्ट्रक्चरिंग की मोहलत बढ़ा दी गई है। अब रीस्ट्रक्चरिंग अवधि 31 मार्च 2021 तक है।
- इस बीच, शेयर बाजार में बढ़त बरकरार है। 12 बजे के बाद सेंसेक्स 200 अंक मजबूत और निफ्टी 11,150 अंक के आगे कारोबार करता दिखा।
- आरबीआई NABARD और National Housing Bank अतिरिक्त लिक्विडिटी सपोर्ट देने की घोषणा की है। गवर्नर ने कहा कि NABARD और National Housing Bank को 10,000 करोड़ का अतिरिक्त स्पेशल लिक्विडिटी सपोर्ट दिया जाएगा।
- सिस्टम में तरलता बढ़ाने के लिए आरबीआई की ओर से घोषित कदमों से बैंकों में जमा राशि पर ब्याज दरों में कमी का दबाव बनेगा। जानकारों के मुताबिक, बैंक एक बार फिर जमा और एफडी पर ब्याज दरों में कटौती कर सकते हैं। पहले ही बैंक जमा पर ब्याज दरों में काफी कटौती कर चुके हैं।
दोबारा पेमेंट हैबिट शुरू करना मुश्किल: रघुराम राजन
वहीं रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन चेता रहे हैं कि बैंकों को मोरटोरियम की सुविधा तुरंत खत्म कर देना चाहिए। उन्होंने आंध्र प्रदेश के माइक्रोफाइनेंस का उदाहरण देते हुए कहा कि अगर बैंक यह सुविधा नहीं बंद करते हैं तो कुछ दिनों में फिर उसी तरह का संकट पैदा हो सकता है। राजन ने कहा, "एक बार अगर आप लोगों को यह कहते हैं कि EMI चुकाने की जरूरत नहीं है तो उनमें दोबारा पेमेंट हैबिट शुरू करना मुश्किल हो जाता है, क्योंकि वो बचत नहीं करते हैं। उनके पास आगे पेमेंट करने के लिए कोई फंड नहीं होता है।"
कोरोना काल में तीसरी बैठक
कोरोना काल में रिजर्व बैंक के मौद्रिक नीति समीक्षा की तीसरी बैठक थी। बता दें कि कोरोना संकट की वजह से दो बार समय से पहले बैठक हो चुकी है। पहली बैठक मार्च में और उसके बाद मई, 2020 में दूसरी बैठक हुई। इन दोनों बैठकों में रिजर्व बैंक की रेपो रेट में कुल मिला कर 1.15 फीसदी की कटौती की। बीते साल यानी फरवरी, 2019 के बाद रेपो रेट में 2.50 फीसदी की कटौती हो चुकी है।
रिज़र्व बैंक के मुताबिक, जीडीपी (सकल घरेलू वृद्धि) को लेकर भी तस्वीर बहुत सकारात्मक नहीं है। गवर्नर ने बताया कि पहली तिमाही में असली जीडीपी फिलहाल कॉन्ट्रैक्शन ज़ोन में बनी रहेगी. उन्होंने कहा कि 2022-21 में जीडीपी ग्रोथ निगेटिव ज़ोन में ही रहेगी। गवर्नर ने कहा कि कोविड के मामलों के चलते ग्लोबल इकॉनमिक ग्रोथ को लेकर परिदृश्य कमजोर दिख रहा है। वहीं, भारत में कोविड-19 के बढ़ते मामलों और लॉकडाउन के बीच ग्रोथ की संभावना थोड़ी मद्धम हुई है।
क्या है रिवर्स रेपो रेट?
दिनभर के कामकाज के बाद बैंकों के पास जो रकम रकम बच जाती है उसे भारतीय रिजर्व बैंक में रख देते हैं। इस रकम पर रिजर्व बैंक उन्हें ब्याज देता है। भारतीय रिजर्व बैंक इस रकम पर जिस दर से बैंकों को ब्याज देता है, उसे रिवर्स रेपो रेट कहा जाता है। रिवर्स रेपो रेट में कमी का मतलब है कि बैंकों को अपना अतिरिक्त पैसा रिजर्व बैंक के पास जमा कराने पर कम ब्याज मिलेगा। बैंक अपनी नकदी को फौरी तौर पर रिजर्व बैंक के पास रखने को कम इच्छुक होंगे। इससे उनके पास नकदी की उपलब्धता बढ़ेगी। बैंक अर्थव्यवस्था के उत्पादक क्षेत्रों को अधिक कर्ज देने को प्रोत्साहित होंगे। बैंक अपने अतिरिक्त धन को रिजर्व बैंक के पास जमा कराने की बजाय लोन के बांटकर अधिक ब्याज कमाने पर जोर देंगे। बैंक लोन पर ब्याज दरों में कटौती कर सकते हैं।
राज्यों के लिए 60 फीसदी तक अग्रिम सुविधा
इसके साथ ही दास ने राज्यों पर खर्च के बढ़ते दबाव को देखते हुए उनके लिए अग्रिम की सुविधा को 60 प्रतिशत तक बढ़ा दिया है। अभी तक इसके लिए 30 प्रतिशत की सीमा थी। इससे राज्यों को इस कठिन समय में संसाधन उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी। रिजर्व बैंक ने राज्यों के उनके खर्चों के लिए अग्रिम की सीमा को 31 मार्च 2020 की स्थिति के ऊपर बढ़ाते हुए उन्हें 1 अप्रैल से 30 सितंबर 2020 तक बढ़ी हुई 60 प्रतिशत की सुविधा प्रदान की है।
एनबीएफसी को मदद
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि सरकारी व्यय बढ़ने और आरबीआई द्वारा नकदी बढ़ाने के लिए किए गए विभिन्न उपायों से बैंकिंग प्रणाली में अधिशेष तरलता बढ़ी है। केंद्रीय बैंक इसके साथ ही लक्षित दीर्घकालिक रेपो परिचालन (टीएलटीआरओ) के जरिए अतिरिक्त 50,000 करोड़ रुपये की राशि आर्थिक तंत्र में उपलब्ध कराएगा। यह काम किस्तों में किया जाएगा। उन्होंने कहा, ''टीएलटीआरओ 2.0 के तहत बैंकों में प्राप्त धनराशि को निवेश श्रेणी के बांड, वाणिज्यिक पत्रों और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के गैर परिवर्तनीय ऋण पत्रों में निवेश किया जाना चाहिए, जिसमें कुल प्राप्त धनराशि में से कम से कम 50 प्रतिशत छोटे और मझोले आकार के एनबीएफसी और सूक्ष्म वित्त संस्थानों (एमएफआई) को मिलना चाहिए।
नाबार्ड, सिडबी, आवास वित्त कंपनियों को मदद
आरबीआई गवर्नर ने नाबार्ड, सिडबी और नेशनल हाउसिंग बैंक (एनएचबी) के लिए कुल 50,000 करोड़ रुपये की रीकैपिटलाइजेशन की घोषणा भी की, ताकि उन्हें क्षेत्रीय ऋण संबंधी जरूरतों को पूरा करने में सक्षम बनाया जा सके। आरबीआई गवर्नर ने कहा, ''इस राशि में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, सहकारी बैंकों और सूक्ष्म वित्त संस्थानों का नई पूंजी उपलब्ध कराने के लिए नाबार्ड को 25,000 करोड़ रुपये, ऋणों के पुन: वित्तपोषण के लिए सिडबी को 15,000 करोड़ रुपए और आवास वित्त कंपनियों की मदद करने के लिए एनएचबी को 10,000 करोड़ रुपए दिए जाएंगे।
बैंकों के लिए राहत
रिजर्व बैंक के गवर्नर ने कहा कि किसी कर्ज को फंसा कर्ज घोषित करने का 90 दिन का नियम बैंकों के मौजूदा कर्ज की किस्त वापसी पर लगाई गई रोक पर लागू नहीं होगा। उल्लेखनीय है कि कर्जदारों को बैंकों के कर्ज की किस्त भुगतान पर तीन माह के लिये छूट दी गई है। इस छूट के चलते बैंकों के कर्ज को एनपीए घोषित नहीं किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी से पैदा हुई वित्तीय दबाव के हालात के मद्देनजर बैंकों को आगे किसी भी अन्य लाभांश भुगतान से छूट दी जाती है।