Vikrant Shekhawat : Dec 10, 2024, 02:20 PM
RBI New Governor: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) में आज एक नया अध्याय शुरू होने जा रहा है। मौजूदा गवर्नर शक्तिकांत दास का कार्यकाल आज समाप्त हो रहा है, और कल से संजय मल्होत्रा केंद्रीय बैंक के 26वें गवर्नर के रूप में पदभार संभालेंगे। शक्तिकांत दास ने अपने छह साल लंबे कार्यकाल में कई आर्थिक संकटों का सामना किया, जबकि संजय मल्होत्रा की प्राथमिकता अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाई पर ले जाने की होगी।
आने वाले समय में उनकी नीतियां और नेतृत्व यह तय करेंगे कि भारतीय रिजर्व बैंक न केवल मौजूदा चुनौतियों का सामना कर सके, बल्कि आर्थिक वृद्धि के नए आयाम भी स्थापित कर सके।
संजय मल्होत्रा: नए दृष्टिकोण के संकेत
संजय मल्होत्रा ने गवर्नर बनने से पहले अपनी प्राथमिकताओं को स्पष्ट करते हुए कहा कि उनका उद्देश्य भारतीय अर्थव्यवस्था की गति को तेज करना होगा।- आर्थिक वृद्धि पर जोर: मल्होत्रा ने कहा कि GDP की रफ्तार को बढ़ाने के लिए हर संभव कदम उठाए जाएंगे।
- समग्र दृष्टिकोण: उन्होंने यह भी कहा कि नए पद पर काम शुरू करने से पहले वह RBI के कामकाज को गहराई से समझेंगे और सभी दृष्टिकोणों को ध्यान में रखते हुए फैसले लेंगे।
- साझेदारी पर जोर: उनकी छवि समन्वयकारी और सहयोगात्मक है, जो केंद्रीय बैंक और सरकार के बीच बेहतर तालमेल को बढ़ावा देने में सहायक हो सकती है।
शक्तिकांत दास: विदाई और अनुभव
अपनी विदाई के मौके पर, शक्तिकांत दास ने कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपने विचार साझा किए।- महंगाई नियंत्रण: दास ने कहा कि महंगाई को काबू में रखना RBI के लिए सबसे बड़ी चुनौती है और उनके उत्तराधिकारी को इस पर विशेष ध्यान देना होगा।
- नई प्रौद्योगिकियां: उन्होंने साइबर सुरक्षा और केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (CBDC) जैसी नई तकनीकों को अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
- वित्तीय समावेशन: दास ने वित्तीय समावेशन और यूनिफाइड लेंडिंग इंटरफेस (ULI) जैसी पहलों को आगे बढ़ाने की उम्मीद जताई।
चुनौतियां और प्राथमिकताएं
भारत की आर्थिक स्थिति के संदर्भ में नए गवर्नर के सामने कई चुनौतियां होंगी:- महंगाई और वृद्धि का संतुलन: ब्याज दरों को संतुलित रखते हुए आर्थिक वृद्धि को बनाए रखना एक बड़ी जिम्मेदारी होगी।
- वैश्विक प्रभावों का प्रबंधन: वैश्विक आर्थिक परिस्थितियां और भू-राजनीतिक तनाव भारतीय अर्थव्यवस्था पर असर डाल रहे हैं, जिनसे निपटने के लिए रणनीतिक दृष्टिकोण जरूरी होगा।
- रेपो दर पर दबाव: आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिए रेपो दर में कटौती का दबाव है, जिसे संतुलित तरीके से संभालना होगा।
RBI की नीतियों का असर
शक्तिकांत दास के कार्यकाल में भारतीय रिजर्व बैंक ने कई अहम कदम उठाए:- COVID-19 संकट का प्रबंधन: महामारी के दौरान वित्तीय स्थिरता बनाए रखना उनकी बड़ी उपलब्धि रही।
- मौद्रिक नीति: उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि आर्थिक वृद्धि और महंगाई के बीच संतुलन बना रहे।
- साझा दृष्टिकोण: दास ने वित्त मंत्रालय और RBI के बीच बेहतर समन्वय स्थापित किया, जिससे नीतिगत फैसलों में तेजी आई।
संजय मल्होत्रा की चुनौतीपूर्ण शुरुआत
संजय मल्होत्रा ऐसे समय RBI की बागडोर संभाल रहे हैं जब वैश्विक और घरेलू दोनों स्तरों पर अनिश्चितताएं हैं।- मुद्रास्फीति: महंगाई को नियंत्रित करना और कीमतों को स्थिर रखना उनकी प्राथमिकता होगी।
- आर्थिक सुधार: वह आर्थिक वृद्धि को समर्थन देने के लिए संरचनात्मक सुधारों को बढ़ावा देंगे।
- ब्याज दर नीतियां: रेपो दर में कटौती के लिए बढ़ते दबाव को देखते हुए उन्हें अपने निर्णयों में सतर्कता बरतनी होगी।
निष्कर्ष
RBI में नेतृत्व परिवर्तन भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है। शक्तिकांत दास ने अपनी कुशलता से RBI की विश्वसनीयता को मजबूत किया, और अब संजय मल्होत्रा के सामने इस विरासत को आगे ले जाने की चुनौती है।आने वाले समय में उनकी नीतियां और नेतृत्व यह तय करेंगे कि भारतीय रिजर्व बैंक न केवल मौजूदा चुनौतियों का सामना कर सके, बल्कि आर्थिक वृद्धि के नए आयाम भी स्थापित कर सके।