News18 : Jun 26, 2020, 08:24 AM
नई दिल्ली। कोरोना वायरस (Coronavirus) के संक्रमण का इलाज कोरोनिल (Coronil) दवा से करने का दावा करने वाले योग गुरु रामदेव (Yoga Guru Ramdev) की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही हैं। पतंजलि आयुर्वेद (Patanjali Ayurved) के साथ कोरोना की दवा का क्लीनिकल ट्रायल करने वाले निम्स विश्वविद्यालय के मालिक और चेयरमैन बीएस तोमर अब पलट गए हैं। उन्होंने कहा है कि उनके अस्पतालों में कोरोना की दवा का कोई भी क्लीनिकल ट्रायल नहीं किया गया है।तोमर ने कहा कि हमने कोरोना के मरीजों को इम्यूनिटी बूस्टर के रूप में अश्वगंधा, गिलोय और तुलसी दिया था। इस संबंध में अभी मैं कुछ नहीं कह सकता कि योग गुरु रामदेव ने इसे कोरोना का शत प्रतिशत इलाज करने वाली दवा कैसे बता दिया। इसके बारे में सिर्फ रामदेव ही बता सकते हैं।खास बात ये हैं कि निम्स विश्वविद्यालय ने सीटीआरआई से 20 मई को औषधियों के इम्युनिटी टेस्टिंग के लिए इजाजत ली थी। इसके बाद निम्स में इन औषधियों का ट्रायल भी शुरू किया गया था। 23 मई से शुरू हुए ट्रायल के एक महीने बाद ही 23 जून को योग गुरु रामदेव के साथ मिलकर दवा लॉन्च कर दी गई। ये मामला जब तूल पकड़ने लगा है तो अब निम्स के चेयरमैन कहना है कि हमारी फाइंडिंग अभी 2 दिन पहले ही आई थी। योग गुरु रामदेव ने कोरोनिल दवा कैसे बनाई है ये तो वही जानते हैं। इस बारे में मैं कुछ भी नहीं कह सकता हूं।दरअसल, कोरोना वायरस के संक्रमण को पूरी तरह से खत्म करने का दावा करने वाले योग गुरु रामदेव की दवा कोरोनिल पर अब आयुष मंत्रालय ने रोक लगा दी है। इस पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए पतंजलि से दवा का टेस्ट सैंपल, लाइसेंस आदि की पूरी जानकारी भी मांगी है। इस पर अब पतंजलि ने जवाब देते हुए कहा है कि इस दवाई को कोरोना वायरस से पीड़ित किसी गंभीर मरीज पर टेस्ट नहीं किया गया है, कम लक्षण वाले मरीजों पर टेस्ट किया गया था।आचार्य बालकृष्ण ने कहा, सभी प्रक्रियाओं का किया पालनपतंजलि आयुर्वेद के सीईओ आचार्य बालकृष्ण ने कहा है कि हमने कोरोनिल बनाने के लिए सभी प्रक्रियाओं का पालन किया है और लाइसेंस प्राप्त करते समय कुछ भी गलत नहीं किया है। बालकृष्ण ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई से कहा कि हमने कोरोनिल बनाने के लिए सभी प्रक्रियाओं का पालन किया है।बालकृष्ण ने कहा कि हमने कोरोनिल बनाने के लिए सभी प्रक्रियाओं का पालन किया है। हमने दवा में इस्तेमाल कंपाउंड्स के शास्त्रीय साक्ष्य के आधार पर लाइसेंस के लिए आवेदन किया था। हमने लोगों के सामने कंपाउंड्स परीक्षणों पर काम किया और क्लीनिकल ट्रायल के परिणाम सामने रखे।