AajTak : Jan 18, 2020, 07:07 AM
नई दिल्ली | दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने निर्भया के चारों गुनहगारों को फांसी पर लटकाने के लिए डेथ वारंट जारी किया, तो एक गुनहगार पवन कुमार गुप्ता सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। शुक्रवार को उसने दिल्ली हाई कोर्ट के उस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, जिसमें उसको नाबालिग मानने से इनकार कर दिया गया था। निर्भया के दोषी पवन कुमार गुप्ता ने एडवोकेट ए. पी. सिंह के जरिए सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपनी अपील में खुद के नाबालिग होने की दलील दी है।शीर्ष अदालत में याचिका दायर कर निर्भया के गुनहगार पवन कुमार गुप्ता ने कहा कि 16 दिसंबर 2012 को जब निर्भया के साथ गैंगरेप हुआ, उस समय वह नाबालिग था। इतना ही नहीं, पवन कुमार गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट से यह भी अपील की कि तिहाड़ जेल प्रशासन को निर्देश जारी किया जाए, ताकि उसको एक फरवरी को फांसी न दी जाए।आपको बता दें कि दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने निर्भया के दोषियों को फांसी देने का नया डेथ वारंट जारी किया है। नए डेथ वारंट में निर्भया के दोषियों विनय शर्मा (26), मुकेश कुमार (32), अक्षय कुमार सिंह (31) और पवन कुमार गुप्ता को एक फरवरी को सुबह 6 बजे फांसी पर लटकाने का समय तय किया गया है।शुक्रवार को निर्भया के दोषी पवन कुमार गुप्ता ने दिल्ली हाईकोर्ट के 19 दिसंबर के उस फैसले को चुनौती दी है, जिसमें अदालत ने फर्जी दस्तावेज जमा करने और हाजिर नहीं होने के लिए उनके वकील की निंदा भी की थी।अभी निर्भया के दोषियों के पास कितने विकल्प?इससे पहले शुक्रवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी निर्भया के गुनहगार मुकेश कुमार की दया याचिका को खारिज कर दिया है। हालांकि अभी निर्भया के तीन गुनहगारों के पास राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दाखिल करने का विकल्प बचा हुआ है।इससे पहले निर्भया के दोषी अक्षय और पवन के पास सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल करने का भी विकल्प है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने 14 जनवरी को दो दोषियों विनय और मुकेश की क्यूरेटिव पिटीशन को खारिज कर दिया था।आपको बता दें कि 16 दिसंबर 2012 को हुए निर्भया कांड ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। 23 वर्षीय निर्भया के साथ चलती बस में गैंगरेप किया गया था और उसकी बुरी तरफ पिटाई की थी। बाद में अस्पताल में निर्भया की मौत हो गई थी। इसके बाद दिल्ली पुलिस ने मामले में 6 लोगों को गिरफ्तार किया था, जिनमें से एक नाबालिग था। नाबालिग को किशोर अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया गया, जबकि राम सिंह ने तिहाड़ जेल में फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली थी। इसके अलावा बाकी 4 दोषियों को फांसी की सजा सुनाई गई है।