देश / लू के कारण देश में 1971 से 2019 तक 17,000 लोगों की मौत हुई: अध्ययन

मौसम वैज्ञानिकों के एक शीर्ष समूह के अध्ययन के अनुसार, देश में 1971 से 2019 तक लू के कारण 17,000 लोगों की मौत हुई। वहीं, एक्सट्रीम वेदर इवेंट्स (ईडब्ल्यूई) के कारण कुल 1,41,308 मौतें दर्ज हुईं। इस शोध पेपर के लेखकों में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम. राजीवन व वैज्ञानिक कमलजीत रे शामिल हैं।

Vikrant Shekhawat : Jul 05, 2021, 08:01 AM
नई दिल्ली: भारत में इन दिनों गर्मी अपने चरम स्तर पर है। उत्तर भारत के राज्यों में गर्मी भीषण हो रही है। ऐसे में लू के गर्म थपेड़ों ने लोगों का बुरा हाल किया हुआ है। इस बीच देश में भीषण गर्मी के प्रकोप को लेकर हैरान करने वाली रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें दावा किया गया है कि 1971 के बाद से यानी इन 50 सालों में भारत में हीटवेव से 17,000 से अधिक लोगों की जान गई हैं। साथ ही यह भी बताया गया है कि 1971 से 2019 के बीच लू चलने की 706 घटनाएं हुई हैं।

1971 के बाद से 141,308 लोगों की मौत

टॉप मौसम विज्ञानियों की एक टीम के एक अध्ययन में दावा किया गया है कि 1971 के बाद से हीटवेव ने देश में 17,000 से अधिक लोगों की जान ले ली हैं। 1971-2019 तक देश में लू की घटनाओं का विश्लेषण करने वाले पेपर में कहा गया है कि इस दरमियान 706 ऐसी घटनाएं हुईं। स्टडी के अनुसार एक्सट्रीम वैदर इवेंट (ईडब्ल्यूई) के कारण 1971 के बाद से 141,308 लोगों की मौत हुई हैं। इनमें से 17,362 लोग हीटवेव के कारण मारे गए, जिसे ईडब्ल्यूई के रूप में वर्गीकृत किया गया है, अध्ययन में कहा गया है कि यह पिछले 50 वर्षों में ईडब्ल्यूई के कारण हुई कुल मौतों का 12% है।

इन राज्यों में सबसे ज्यादा मौतें

यहीं नहीं स्टडी में यह भी सामने आया है कि आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और ओडिशा में लू से सबसे ज्यादा मौतें दर्ज की गईं है। रिसर्च पेपर को केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम राजीवन ने वैज्ञानिक कमलजीत रे, एसएस रे, आरके गिरी और एपी डिमरी के साथ लिखा था। कमलजीत रे इस साल की शुरुआत में पब्लिश पेपर के मुख्य लेखक हैं। यह स्टडी इसलिए भी अहमियत रखती है कि हाल ही के दिनों में संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा सहित उत्तरी गोलार्ध के कुछ हिस्सों में भीषण गर्मी के कारण लोगों की जान गई है।

पहाड़ों पर भी तेज लू का असर महसूस

पिछले दिनों से भारत में उत्तरी मैदानी इलाकों में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर चढ़ गया है। पहाड़ों पर भी तेज लू का असर महसूस किया गया है। बता दें कि हीटवेव घोषित करने के लिए कई पैरामीटर हैं। मैदानी और पहाड़ी क्षेत्रों में हीटवेव तब घोषित की जाती है, जब किसी मौसम केंद्र का वास्तविक तापमान क्रमशः 40 डिग्री सेल्सियस और 30 डिग्री सेल्सियस होता है। ऐसे ही तटीय क्षेत्रों में अधिकारियों के लिए एक हीटवेव की घोषणा करने के लिए एक स्टेशन पर अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए, जबकि अन्य स्टेशनों के लिए इसकी सीमा 45 डिग्री सेल्सियस है।

इन राज्यों में लू बरसा रही कहर

वहीं एक हीटवेव तब भी घोषित की जाती है जब वास्तविक अधिकतम तापमान सामान्य तापमान से अधिक हो, जो 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक होना चाहिए। बता दें कि इन दिनों देश के ज्यादातर राज्यों में गर्मी अपने भयंकर स्तर पर पहुंच गई है। सूरज आसमान से आग बरसा रही है।वहीं पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, यूपी, एसपी, गुजरात, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना उन राज्यों की लिस्ट में है, जहां भीषण लू (हीटवेव)के केस सबसे ज्यादा देखने को मिलते हैं।