AajTak : Apr 27, 2020, 10:21 AM
कोरोना वायरस के कारण हुए लॉकडाउन के चलते पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुंचा है। अर्थव्यवस्था को फिर से दुरुस्त करने के लिए कई देशों में इम्युनिटी पासपोर्ट और जोखिम मुक्त सर्टिफिकेट के आधार पर लॉकडाउन में ढील देने के बारे में विचार किया जा रहा है। हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इस कदम को पूरी दुनिया के लिए बड़ा खतरा बताकर चेताया है।
WHO ने बताया कि दुनियाभर में ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं जब कोरोना पीड़ित ठीक होने के बाद फिर से संक्रमित हो गए हैं। ऐसे में इस बात को कैसे माना जा सकता है कि लोग दोबारा इस संक्रमण के शिकार नहीं होंगे और वे पूरी तरह सुरक्षित हैं।
स्वास्थ्य संगठन ने कहा, 'इस प्रकार की योजनाएं दुनियाभर में कोरोना के खतरे को बढ़ाएंगी। साथ ही अपने इम्यून को लेकर लोग एहतियात बरतना बंद कर देंगे।' कुछ सरकारें ऐसे लोगों के काम पर लौटने की अनुमति देने पर विचार कर चुकी हैं
दुनियाभर में अब तक तकरीबन साढ़े 29 लाख से भी ज़्यादा कोरोना वायरस पॉजीटिव मामले सामने आ चुके हैं। इनमें तकरीबन दो लाख से भी ज्यादा लोगों की मौत हुई है। अभी तक इस बात के साक्ष्य नहीं मिले हैं कि जिन लोगों में संक्रमण से ठीक होने के बाद एंटीबॉडी विकसित हो गया है, उन पर ये वयारस दोबारा अटैक नहीं करेगा।
WHO ने बताया कि अधिकांश मामलों में कोरोना संक्रमित मरीजों को दोबारा इस रोग ने नहीं घेरा है। इन लोगों के खून में एंटीबॉडी मौजूद है। वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनमें एंटीबॉडी का लेवल काफी कम पाया गया है और ये वायरस उन्हीं लोगों पर दोबारा अटैक कर रहा है।
एक निष्कर्ष यह भी पता चला कि शरीर की रोग प्रतिरक्षा-प्रणाली में मौजूद टी-सेल्स भी संक्रमित सेल्स से लड़ने में कारगर होते हैं। हालांकि अभी तक इसकी पुष्टि नहीं हुई है कि एंटीबॉडी की मौजूदगी में इम्यून आगे भी वायरस के संक्रमण को रोकने में क्षमता प्रदान करेगा।
कोरोना वायरस को लेकर दुनियाभर में जारी गाइडलाइंस किसी न किसी अध्ययन पर आधारित है। चूंकि इस वायरस को लेकर हर रोज कोई न कोई नई जानकारी सामने आ रही है, इसलिए समय के साथ दिशा-निर्देशों में बदलाव भी किया जा सकता है।ऐसे में सभी देशों की सरकारों को खतरा टलने से पहले गिरती अर्थव्यवस्था को लेकर ऐसे नियम बनाने से बचना चाहिए। जिन लोगों के अंदर इसकी एंटीबॉडी विकसित हो गई है, उन्हें इम्युनिटी पासपोर्ट के तहत पाबंदियों से रियायत देना जोखिम भरा होगा।पिछले सप्ताह चिली की सरकार ने दुनिया में तेजी से फैलती इस महामारी के बीच फैसला लेते हुए कहा है कि जो लोग संक्रमण के बाद ठीक हो गए हैं उन्हें 'हेल्थ पासपोर्ट' जारी करेगी। अधिकारियों का कहना था कि जिन लोगों के शरीर में वायरस का एंटीबॉडी पाया जाएगा वो काम पर लौट सकते हैं।इसी तरह स्वीडन में भी पाबंदियों को सख्ती से नहीं लिया गया है। इस देश में खुद वैज्ञानिकों का कहना है कि जो लोग ज़्यादा पाबंदियों में रह रहे हैं उनकी तुलना में कम पाबंदियों में रहने वाले लोगों का इम्युनिटी लेवल ज्यादा बेहतर होगा।
WHO ने बताया कि दुनियाभर में ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं जब कोरोना पीड़ित ठीक होने के बाद फिर से संक्रमित हो गए हैं। ऐसे में इस बात को कैसे माना जा सकता है कि लोग दोबारा इस संक्रमण के शिकार नहीं होंगे और वे पूरी तरह सुरक्षित हैं।
स्वास्थ्य संगठन ने कहा, 'इस प्रकार की योजनाएं दुनियाभर में कोरोना के खतरे को बढ़ाएंगी। साथ ही अपने इम्यून को लेकर लोग एहतियात बरतना बंद कर देंगे।' कुछ सरकारें ऐसे लोगों के काम पर लौटने की अनुमति देने पर विचार कर चुकी हैं
दुनियाभर में अब तक तकरीबन साढ़े 29 लाख से भी ज़्यादा कोरोना वायरस पॉजीटिव मामले सामने आ चुके हैं। इनमें तकरीबन दो लाख से भी ज्यादा लोगों की मौत हुई है। अभी तक इस बात के साक्ष्य नहीं मिले हैं कि जिन लोगों में संक्रमण से ठीक होने के बाद एंटीबॉडी विकसित हो गया है, उन पर ये वयारस दोबारा अटैक नहीं करेगा।
WHO ने बताया कि अधिकांश मामलों में कोरोना संक्रमित मरीजों को दोबारा इस रोग ने नहीं घेरा है। इन लोगों के खून में एंटीबॉडी मौजूद है। वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनमें एंटीबॉडी का लेवल काफी कम पाया गया है और ये वायरस उन्हीं लोगों पर दोबारा अटैक कर रहा है।
एक निष्कर्ष यह भी पता चला कि शरीर की रोग प्रतिरक्षा-प्रणाली में मौजूद टी-सेल्स भी संक्रमित सेल्स से लड़ने में कारगर होते हैं। हालांकि अभी तक इसकी पुष्टि नहीं हुई है कि एंटीबॉडी की मौजूदगी में इम्यून आगे भी वायरस के संक्रमण को रोकने में क्षमता प्रदान करेगा।
कोरोना वायरस को लेकर दुनियाभर में जारी गाइडलाइंस किसी न किसी अध्ययन पर आधारित है। चूंकि इस वायरस को लेकर हर रोज कोई न कोई नई जानकारी सामने आ रही है, इसलिए समय के साथ दिशा-निर्देशों में बदलाव भी किया जा सकता है।ऐसे में सभी देशों की सरकारों को खतरा टलने से पहले गिरती अर्थव्यवस्था को लेकर ऐसे नियम बनाने से बचना चाहिए। जिन लोगों के अंदर इसकी एंटीबॉडी विकसित हो गई है, उन्हें इम्युनिटी पासपोर्ट के तहत पाबंदियों से रियायत देना जोखिम भरा होगा।पिछले सप्ताह चिली की सरकार ने दुनिया में तेजी से फैलती इस महामारी के बीच फैसला लेते हुए कहा है कि जो लोग संक्रमण के बाद ठीक हो गए हैं उन्हें 'हेल्थ पासपोर्ट' जारी करेगी। अधिकारियों का कहना था कि जिन लोगों के शरीर में वायरस का एंटीबॉडी पाया जाएगा वो काम पर लौट सकते हैं।इसी तरह स्वीडन में भी पाबंदियों को सख्ती से नहीं लिया गया है। इस देश में खुद वैज्ञानिकों का कहना है कि जो लोग ज़्यादा पाबंदियों में रह रहे हैं उनकी तुलना में कम पाबंदियों में रहने वाले लोगों का इम्युनिटी लेवल ज्यादा बेहतर होगा।