News18 : Aug 24, 2020, 06:50 AM
Delhi: ऐसे कई लोग हैं जो अलग अलग संस्थानों में काम करते हैं, जिस दौरान अलग अलग पीएफ अकाउंट (PF Account) हो जाते हैं। जिसकी वजह से पुराना पीएफ अकाउंट इन ऑपरेटिव हो जाता है। एम्पलॉइज़ प्रोविडेंट फंड (Employees provident fund) को लेकर अधिकांश ऐसे मामले हैं जिनमें EPFO सिस्टम में कंपनी छोड़ने की तारीख नहीं होने से फंड निकालने या ट्रांसफर करना अटका रहता था। कई बार कंपनी बंद होने पर भी आपका PF खाता अपने आप बंद हो सकता है, जिसके कारण आपका पैसा भी अटक जाता है। साथ ही कंपनी बंद होने पर आपके पास खाते को सर्टिफाई कराने का रास्ता भी बंद हो जाता है। ऐसा होने पर PF खाते से पैसा निकालना काफी मुश्किल है।
आइए आपको बताते हैं क्या है ये EPF खाते के नियम।।।कब बंद होता है EPF खाता- आपकी पुरानी कंपनी अगर बंद हो गई है और आपने अपना पैसा नई कंपनी के अकाउंट में ट्रांसफर नहीं किया या फिर अकाउंट में 36 महीनों तक कोई ट्रांजेक्शन नहीं हुआ तो नियम अनुसार आपका खाता खुद बंद हो जाएगा। EPFO ऐसे खातों को निष्क्रिय (इनएक्टिव) कैटेगरी में डाल देता है। निष्क्रिय होने पर अकाउंट से पैसा निकालने में भी दिक्कत होती है। इसके लिए अकाउंट को एक्टिव रखने के लिए EPFO में संपर्क करना पड़ेगा। हालांकि, निष्क्रिय होने पर भी खाते में पड़े पैसे पर ब्याज मिलता रहता है।बैंक की मदद से निकाल सकते हैं पैसा- अगर आपकी पुरानी कंपनी बंद हो गई है और आपने अपना पैसा नई कंपनी के अकाउंट में ट्रांसफर नहीं कराया या फिर इस खाते में 36 महीनों तक कोई ट्रांजेक्शन नहीं हुई तो 3 साल बाद ये खाता खुद बंद हो जाएगा और EPF के निष्क्रिय खातों से जुड़ जाएगा। इस पैसे को बैंक की मदद से KYC के जरिए आप पैसा निकाल सकते हैं।कंपनी बंद होने पर ऐसे कराएं सर्टिफाई - EPFO ने अपने एक सर्कुलर में इस नियम को लेकर कुछ प्वाइंट जारी किए थे। EPFO के मुताबिक, निष्क्रिय खातों से जुड़े क्लेम को निपटाने के लिए सावधानी रखना जरूरी है। इस बात का पूरा ध्यान रखा जाना चाहिए कि धोखाधड़ी से संबंधित जोखिम कम हो और सही दावेदारों को क्लेम का भुगतान हो। निष्क्रिय पीएफ खातों (इनएक्टिव पीएफ खाते) से संबंधित क्लेम को निपटाने के लिए जरूरी है कि उस क्लेम को कर्मचारी का नियोक्ता सर्टिफाइड करे। हालांकि, जिन कर्मचारियों की कंपनी बंद हो चुकी है और क्लेम सर्टिफाइड करने के लिए कोई नहीं है तो ऐसे क्लेम को बैंक KYC दस्तावेजों के आधार पर सर्टिफाई किया जा सकता है।कौन से दस्तावेज होंगे जरूरी?- केवाईसी दस्तावेजों में पैन कार्ड, वोटर आइडेंटिटी कार्ड, पासपोर्ट, राशन कार्ड, ईएसआई आइडेंटिटी कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस शामिल हैं। इसके अलावा सरकार की तरफ से जारी किए गए किसी दूसरी पहचान पत्र जैसे आधार का इस्तेमाल भी किया जा सकता है। इसके बाद असिस्टेंट प्रॉविडेंट फंड कमिश्नर या दूसरे अधिकारी (राशि के मुताबिक) से विथड्रॉल या ट्रांसफर की मंजूरी ले सकते हैं।
आइए आपको बताते हैं क्या है ये EPF खाते के नियम।।।कब बंद होता है EPF खाता- आपकी पुरानी कंपनी अगर बंद हो गई है और आपने अपना पैसा नई कंपनी के अकाउंट में ट्रांसफर नहीं किया या फिर अकाउंट में 36 महीनों तक कोई ट्रांजेक्शन नहीं हुआ तो नियम अनुसार आपका खाता खुद बंद हो जाएगा। EPFO ऐसे खातों को निष्क्रिय (इनएक्टिव) कैटेगरी में डाल देता है। निष्क्रिय होने पर अकाउंट से पैसा निकालने में भी दिक्कत होती है। इसके लिए अकाउंट को एक्टिव रखने के लिए EPFO में संपर्क करना पड़ेगा। हालांकि, निष्क्रिय होने पर भी खाते में पड़े पैसे पर ब्याज मिलता रहता है।बैंक की मदद से निकाल सकते हैं पैसा- अगर आपकी पुरानी कंपनी बंद हो गई है और आपने अपना पैसा नई कंपनी के अकाउंट में ट्रांसफर नहीं कराया या फिर इस खाते में 36 महीनों तक कोई ट्रांजेक्शन नहीं हुई तो 3 साल बाद ये खाता खुद बंद हो जाएगा और EPF के निष्क्रिय खातों से जुड़ जाएगा। इस पैसे को बैंक की मदद से KYC के जरिए आप पैसा निकाल सकते हैं।कंपनी बंद होने पर ऐसे कराएं सर्टिफाई - EPFO ने अपने एक सर्कुलर में इस नियम को लेकर कुछ प्वाइंट जारी किए थे। EPFO के मुताबिक, निष्क्रिय खातों से जुड़े क्लेम को निपटाने के लिए सावधानी रखना जरूरी है। इस बात का पूरा ध्यान रखा जाना चाहिए कि धोखाधड़ी से संबंधित जोखिम कम हो और सही दावेदारों को क्लेम का भुगतान हो। निष्क्रिय पीएफ खातों (इनएक्टिव पीएफ खाते) से संबंधित क्लेम को निपटाने के लिए जरूरी है कि उस क्लेम को कर्मचारी का नियोक्ता सर्टिफाइड करे। हालांकि, जिन कर्मचारियों की कंपनी बंद हो चुकी है और क्लेम सर्टिफाइड करने के लिए कोई नहीं है तो ऐसे क्लेम को बैंक KYC दस्तावेजों के आधार पर सर्टिफाई किया जा सकता है।कौन से दस्तावेज होंगे जरूरी?- केवाईसी दस्तावेजों में पैन कार्ड, वोटर आइडेंटिटी कार्ड, पासपोर्ट, राशन कार्ड, ईएसआई आइडेंटिटी कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस शामिल हैं। इसके अलावा सरकार की तरफ से जारी किए गए किसी दूसरी पहचान पत्र जैसे आधार का इस्तेमाल भी किया जा सकता है। इसके बाद असिस्टेंट प्रॉविडेंट फंड कमिश्नर या दूसरे अधिकारी (राशि के मुताबिक) से विथड्रॉल या ट्रांसफर की मंजूरी ले सकते हैं।