PM Modi US Visit / पीएम मोदी ने किया UN में समिट ऑफ द फ्यूचर को संबोधित, कहा-वैश्विक संस्थाओं में सुधार जरूरी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र के 'समिट ऑफ द फ्यूचर' में सतत विकास, मानव कल्याण, और ग्लोबल संस्थाओं में सुधार पर जोर दिया। उन्होंने गरीबी उन्मूलन में भारत की सफलता साझा की और वैश्विक चुनौतियों, जैसे आतंकवाद, साइबर क्राइम और स्पेस संघर्षों के समाधान हेतु वैश्विक एक्शन की आवश्यकता बताई।

Vikrant Shekhawat : Sep 23, 2024, 11:06 PM
PM Modi US Visit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र के 'समिट ऑफ द फ्यूचर' में जोरदार भाषण दिया, जहां उन्होंने मानवता के भविष्य और सतत विकास पर भारत के दृष्टिकोण को प्रस्तुत किया।

भारत का विकास मॉडल और सतत विकास की सफलता

अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि 250 मिलियन लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में भारत ने सफलता प्राप्त की है। यह भारत की सतत विकास की नीतियों का परिणाम है, जो मानव केंद्रित दृष्टिकोण पर आधारित है। उन्होंने कहा कि सतत विकास से सफलता संभव है, और इस अनुभव को भारत ग्लोबल साउथ के अन्य देशों के साथ साझा करने को तैयार है।

ग्लोबल संस्थाओं में सुधार की आवश्यकता

प्रधानमंत्री मोदी ने जोर देकर कहा कि वैश्विक शांति और विकास के लिए अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं में सुधार आवश्यक है। उन्होंने कहा, "रिफॉर्म इज द की टू रिलेवेंस"। प्रधानमंत्री ने यह भी याद दिलाया कि अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में स्थायी सदस्यता दिलाना इसी दिशा में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम था। उन्होंने इसे ग्लोबल संस्थाओं को और अधिक समावेशी और प्रासंगिक बनाने का महत्वपूर्ण प्रयास बताया।

वैश्विक चुनौतियों पर प्रधानमंत्री का दृष्टिकोण

प्रधानमंत्री मोदी ने वैश्विक शांति और सुरक्षा के सामने मौजूद चुनौतियों की ओर ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने कहा कि आतंकवाद एक बड़ा खतरा है, जो वैश्विक शांति को नुकसान पहुंचा रहा है। इसके अलावा, साइबर क्राइम, मैरीटाइम सुरक्षा और स्पेस जैसे क्षेत्रों में भी नए संघर्ष उभर रहे हैं, जो वैश्विक सहयोग और एक्शन की मांग करते हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि इन सभी मुद्दों पर वैश्विक स्तर पर समन्वित कार्रवाई की आवश्यकता है।

प्रौद्योगिकी और डिजिटल गवर्नेंस पर संतुलन की आवश्यकता

प्रौद्योगिकी के बढ़ते प्रभाव पर बोलते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सुरक्षित और जिम्मेदार उपयोग के लिए प्रौद्योगिकी पर संतुलित विनियमन आवश्यक है। उन्होंने जोर देकर कहा कि डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर को दुनिया के देशों के बीच एक पुल के रूप में काम करना चाहिए, न कि बाधा के रूप में। मोदी ने इस बात पर भी जोर दिया कि वैश्विक डिजिटल गवर्नेंस को राष्ट्रीय संप्रभुता और अखंडता का सम्मान करना चाहिए।

मानव केंद्रित दृष्टिकोण की प्राथमिकता

प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि जब हम वैश्विक भविष्य की बात करते हैं, तो मानव केंद्रित दृष्टिकोण को सर्वोच्च प्राथमिकता मिलनी चाहिए। उन्होंने विकास के साथ-साथ मानव कल्याण, भोजन और स्वास्थ्य सुरक्षा पर भी जोर दिया। उनका संदेश स्पष्ट था कि भविष्य की योजनाओं और नीतियों में मानवता और सतत विकास की प्रमुखता होनी चाहिए।

निष्कर्ष

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह संबोधन अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत की भूमिका और दृष्टिकोण को स्पष्ट रूप से प्रस्तुत करता है। उन्होंने एक ओर भारत की उपलब्धियों को वैश्विक मंच पर रखा, तो दूसरी ओर वैश्विक चुनौतियों पर सामूहिक कार्रवाई का आह्वान किया। ग्लोबल संस्थाओं में सुधार, तकनीकी संतुलन, और मानव केंद्रित दृष्टिकोण जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर दिए गए उनके विचार विश्व के लिए एक सार्थक दिशा प्रदान करते हैं।