देश / पीएम मोदी ने केदारनाथ में ₹130 करोड़ की पुनर्विकास परियोजनाओं का किया उद्घाटन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केदारनाथ धाम (उत्तराखंड) में ₹130 करोड़ की पुनर्विकास परियोजनाओं का उद्घाटन किया। इनमें श्री आदिगुरु शंकराचार्य की समाधि, सरस्वती नदी के तट पर बाढ़ सुरक्षा कार्य व घाट, तीर्थ पुरोहितों के आवास, मंदाकनी नदी के तट पर बाढ़ सुरक्षा कार्य व पुल शामिल हैं। बकौल प्रधानमंत्री, केदारनाथ में आगामी समय में केबल कार योजना शुरू होगी।

Vikrant Shekhawat : Nov 05, 2021, 04:34 PM
PM Modi at Kedarnath: पीएम नरेंद्र मोदी शुक्रवार को केदारनाथ धाम पहुंचे, जहां उन्होंने 130 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का उद्धाटन किया. पीएम ने इस दौरान लोगों को संबोधित भी किया. उन्होंने कहा, आप सभी आदि शंकराचार्य की समाधि के उद्धाटन के साक्षी हैं. उनके भक्त यहां उत्साह के साथ मौजूद हैं. देश के सभी मठ और  ज्योतिर्लिंग आज हमारे साथ जुड़े हैं. पीएम मोदी ने कहा कि केदारनाथ आते ही यहां के कण-कण से जुड़ जाता हूं. उन्होंने कहा कि आदि शंकराचार्य की प्रतिमा का दृश्य अद्भुत था. उस समाधि के आगे बैठना दिव्य अनुभूति है. आइए आपको बताते हैं पीएम मोदी के संबोधन की बड़ी बातें.

1. पीएम मोदी ने कहा, आज सभी मठों, 12 ज्योतिर्लिंगों, अनेक शिवालयों, शक्ति धाम,अनेक तीर्थ क्षेत्रों पर देश के गणमान्य महापुरुष, पूज्य शंकराचार्य परंपरा से जुड़े हुए सभी वरिष्ठ ऋषि, मनीषी और अनेक श्रद्धालु भी देश के हर कोने से केदारनाथ की इस पवित्र भूमि के साथ हमें आशीर्वाद दे रहे हैं. 

2. पीएम ने कहा, हमारे उपनिषदों में, आदि शंकराचार्य जी की रचनाओं में कई जगह नेति-नेति कहकर एक भाव विश्व का विस्तार दिया गया है. रामचरित मानस को भी हम देखें तो इसमें में अलग तरीके से ये भाव दोहराया गया है. रामचरित मानस में कहा गया है-'अबिगत अकथ अपार, नेति-नेति नित निगम कह'.यानी कुछ अनुभव इतने अलौकिक, इतने अनंत होते हैं कि उन्हें शब्दों से व्यक्त नहीं किया जा सकता. बाबा केदारनाथ की शरण में आकर मेरी अनुभूति ऐसी ही होती है.

3. पीएम मोदी ने कहा, बरसों पहले जो नुकसान यहां हुआ था, वो अकल्पनीय था. जो लोग यहां आते थे, वो सोचते थे कि क्या ये हमारा केदार धाम फिर से उठ खड़ा होगा? लेकिन मेरे भीतर की आवाज कह रही थी की ये पहले से अधिक आन-बान-शान के साथ खड़ा होगा. इस आदि भूमि पर शाश्वत के साथ आधुनिकता का ये मेल, विकास के ये काम भगवान शंकर की सहज कृपा का ही परिणाम हैं.

4. पीएम मोदी ने आगे कहा, मैं दिल्ली में अपने दफ्तर से लगातार केदारनाथ में विकास कार्यों का जायजा लेता रहता था.  ड्रोन फुटेज के जरिए मैंने विकास कार्यों की समीक्षा की.

5. पीएम मोदी ने कहा, शंकर का संस्कृत में अर्थ है- “शं करोति सः शंकरः” यानी, जो कल्याण करे, वही शंकर है.

इस व्याकरण को भी आचार्य शंकर ने प्रत्यक्ष प्रमाणित कर दिया. उनका पूरा जीवन जितना असाधारण था, उतना ही वो जन-साधारण के कल्याण के लिए समर्पित थे.

6. एक समय था जब आध्यात्म को, धर्म को केवल रूढ़ियों से जोड़कर देखा जाने लगा था. लेकिन, भारतीय दर्शन तो मानव कल्याण की बात करता है, जीवन को पूर्णता के साथ, समग्र नजरिए में देखता है. आदि शंकराचार्य ने समाज को इस सत्य से परिचित कराने का काम किया.

7. उन्होंने कहा, चारधाम सड़क परियोजना का काम तेजी से चल रहा है. भविष्य में यहां केदारनाथ जी तक श्रद्धालु केबल कार के जरिए आ सकें, इससे जुड़ी प्रक्रिया भी शुरू हो गई है. यहां पास में ही पवित्र हेमकुंड साहिब जी भी हैं. हेमकुंड साहिब जी के दर्शन आसान हों, इसके लिए वहां भी रोप-वे बनाने की तैयारी है. 

8. पीएम मोदी ने कहा, यूपी में काशी का कायाकल्प हो रहा है तो वहीं मथुरा-वृंदावन में भी विकास कार्यों पर जोर है. दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेस वे बनने से यात्रियों के लिए सफर और सुगम हो जाएगा. आने वाले वर्षों में उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था बदलने वाली है. पीएम मोदी ने कहा कि उत्तराखंड में पलायन रोकने की योजना पर काम हो रहा है. अब पहाड़ का पानी और पहाड़ की जवानी पहाड़ वालों के काम आएगी. यह दशक नौजवानों का है. 

9. पीएम मोदी ने यह भी कहा, अभी दो दिन पहले ही अयोध्या में दीपोत्सव का भव्य आयोजन पूरी दुनिया ने देखा. आज अयोध्या में भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर पूरे गौरव के साथ बन रहा है, अयोध्या को उसका गौरव वापस मिल रहा है. भारत का प्राचीन सांस्कृतिक स्वरूप कैसा रहा होगा, आज हम इसकी कल्पना कर सकते हैं. अब देश अपने लिए बड़े लक्ष्य तय करता है, कठिन समय सीमाएं निर्धारित करता है, तो कुछ लोग कहते हैं कि इतने कम समय में ये सब कैसे होगा! होगा भी या नहीं होगा!  तब मैं कहता हूं कि - समय के दायरे में बंधकर भयभीत होना अब भारत को मंजूर नहीं है. 

10. पीएम मोदी ने कहा, उत्तराखंड ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई में जिस तरह का अनुशासन दिखाया, वो  भी बहुत सराहनीय है. भौगोलिक कठिनाइयों को पार कर आज उत्तराखंड ने, उत्तराखंड के लोगों ने 100 प्रतिशत सिंगल डोज़ का लक्ष्य हासिल कर लिया है. ये उत्तराखंड की ताकत है, सामर्थ्य है.