Ayodhya / राम मंदिर निर्माण के लिए PM मोदी करें भूमि पूजन, जल्द भेजेंगे निमंत्रण: ट्रस्ट

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष नृत्यगोपाल दास के उत्तराधिकारी महंत कमल नयन दास ने कहा कि वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखकर, राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन का निमंत्रण भेजेंगे। महंत कमल नयन दास के मुताबिक वो जल्द ही पीएम मोदी को इस संबंध में निमंत्रण पत्र भेजने वाले हैं। उन्होंने कहा कि हमलोग सावन मास के दौरान ही राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन कराना चाहते हैं।

AajTak : Jun 28, 2020, 08:40 PM
Ayodhya: श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष नृत्यगोपाल दास के उत्तराधिकारी महंत कमल नयन दास ने कहा कि वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखकर, राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन का निमंत्रण भेजेंगे। महंत कमल नयन दास के मुताबिक वो जल्द ही पीएम मोदी को इस संबंध में निमंत्रण पत्र भेजने वाले हैं।

महंत कमल नयन दास ने बताया कि श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष नृत्यगोपाल दास, सोमवार या मंगलवार को पीएम मोदी को निमंत्रण पत्र भेजेंगे। उन्होंने कहा कि हमलोग सावन मास के दौरान ही राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन कराना चाहते हैं। इसलिए हमारी चाहत है कि राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन प्रधानमंत्री मोदी के हाथों हो।

बता दें, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को ही श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास से मुलाकात की थी। इस दौरान उनके बीच कुछ चर्चा भी हुई। सीएम योगी रविवार को अयोध्या दौरा पर पहुंचे थे। इस मौके पर उन्होंने राम जन्मभूमि स्थल पर जाकर रामलला के भी दर्शन किए। साथ ही मंदिर के निर्माण कार्यों का भी जायजा लिया।

विश्व हिंदू परिषद ने अयोध्या में राममंदिर निर्माण में आम भारतीयों की भूमिका को लेकर भी रणनीति बनाई है। यानी लोग आर्थिक और शारीरिक सहयोग से राम मंदिर बनाएंगे। विश्व हिंदू परिषद ने तय किया है कि एक बार कोरोना संकट टल जाए फिर कारसेवा भी होगी और जनता चंदा भी देगी।

विश्व हिंदू परिषद उपाध्यक्ष और श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र न्यास के महासचिव चंपत राय के मुताबिक, आम भारतीय को भावनात्मक रूप से श्री रामलला मंदिर निर्माण के साथ जोड़ने के लिए तन-मन-धन से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है।

हालांकि अयोध्या में रामलला के भव्य और दिव्य मंदिर निर्माण के लिए धन की कोई कमी कभी नहीं रही और भविष्य में भी नहीं होगी। लेकिन आम श्रद्धालु जनता को भावनात्मक रूप से इस ऐतिहासिक कार्य के साथ जोड़ने के लिए यह निर्णय लिया गया कि हर भारतीय दस रुपए का सहयोग करे। ताकि सबकी भागीदारी सुनिश्चित की जा सके।