गगनयान / PM मोदी का सपना होगा पूरा, रूस में भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों ने पूरी की ट्रेनिंग

भारत के पहले मानवयुक्त अंतरिक्ष अभियान गगनयान के लिए चुने गए चार भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों ने रूस में असामान्य स्थिति में लैडिंग करने के लिए एक विशेष मॉड्यूल पर प्रशिक्षण पूरा कर लिया है। रूस की अंतरिक्ष एजेंसी रॉस्कॉस्मोस ने गुरुवार को यह जानकारी दी। चारों भारतीय अंतरिक्ष यात्री स्वस्थ हैं और दृढ़ निश्चयी हैं।

News18 : Aug 08, 2020, 07:20 AM
मॉस्को। भारत के पहले मानवयुक्त अंतरिक्ष अभियान गगनयान के लिए चुने गए चार भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों (Indian Astronauts) ने रूस में असामान्य स्थिति में लैडिंग करने के लिए एक विशेष मॉड्यूल पर प्रशिक्षण (Training) पूरा कर लिया है। रूस की अंतरिक्ष एजेंसी रॉस्कॉस्मोस ने गुरुवार को यह जानकारी दी। रूसी अंतरिक्ष निगम रॉस्कॉस्मोस ने एक बयान में कहा, गागरिन रिसर्च एंड टेस्ट कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर (जीसीटीसी) ने 12 मई को ग्लाव्कॉस्मोस, जेएससी (सरकारी अंतरिम निगम रॉस्कॉस्मोस का हिस्सा) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के मानव अंतरिक्ष यान केंद्र के बीच हुए अनुबंध के तहत भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों का प्रशिक्षण फिर से शुरू किया था।

चारों भारतीय अंतरिक्ष यात्री स्वस्थ हैं और दृढ़ निश्चयी हैं। ग्लाव्कॉस्मोस ने कहा कि भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों ने विशेष मॉड्यूल लैंडिंग के लिए सर्दियों में जंगली और दलदली क्षेत्रों के प्रशिक्षण को इस साल फरवरी में पूरा कर लिया था। पानी की सतह पर रहने के अभ्यास को जून में पूरा कर लिया। जून में ही भारहीनता मोड के लिए विशेष प्रयोगशाला आईएल-76एमडीके में सवार हुए। इस पर विभिन्न दुर्गम स्थितियों में लैडिंग करने वाले मॉड्यूल के बारे में प्रशिक्षण दिया गया, जिसे उन्होंने जुलाई में पूरा कर लिया। बता दें कि इसरो मानवयुक्त अंतरिक्ष अभियान गगनयान को 2022 में लॉन्च करने की योजना पर काम कर रहा है।

मनुष्य को अंतरिक्ष में भेजने वाले देश

चंद्रयान-2 की आंशिक असफलता से रोवर प्रज्ञान के जरिये चांद की सतह की जानकारी इकट्ठा करने में बेशक बाधा आई, मगर ऑर्बिटर लगातार चंद्रमा से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां भेज रहा है। इसरो ने साल-दर - साल नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं। लेकिन स्वयं के अंतरिक्ष यान से किसी भारतीय को अंतरिक्ष भेजने का सपना पूरा नहीं हुआ है। अभी तक रूस, अमेरिका और चीन ने ही मनुष्य को अंतरिक्ष में भेजने में सफलता पाई है। अगर सब कुछ योजना के मुताबिक हुआ तो भारत भी 2022 तक मानव को अंतरिक्ष में भेजने की क्षमता रखने वाले देशों में शामिल हो जाएगा।


‘गगनयान मिशन’

अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजना और उन्हें सकुशल धरती पर लाना बेहद चुनौतीपूर्ण और दुरूह कार्य है। यदि इस अभियान में इसरो सफल हो जाता है तो वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी स्वदेशी तकनीकी शक्ति का लोहा पूरी दुनिया को मनवा सकता है। 15 अगस्त 2018 को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'गगनयान मिशन' के माध्यम से 2022 में या उससे पहले अंतरिक्ष में भारतीय अंतरिक्ष यात्री भेज देने की घोषणा की थी। हालांकि इसरो काफी लंबे समय से इस अभियान में जुटा हुआ है, मगर प्रधानमंत्री की उक्त घोषणा ने समानवीय अंतरिक्ष उड़ान की एक निश्चित समय सीमा तय कर दी है।