Delhi AQI Index / दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति गंभीर, ज्यादातर इलाकों में AQI 350 के पार, हेल्थ को लेकर खतरा

दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर शनिवार को और गंभीर हो गया। समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 360 तक पहुंच गया, जो 'अत्यधिक खराब' श्रेणी में आता है। प्रदूषण के कारण स्वास्थ्य जोखिम बढ़ा है। विभिन्न इलाकों में AQI खतरनाक स्तर पर है। विशेषज्ञों ने लोगों को मास्क पहनने की सलाह दी है।

Vikrant Shekhawat : Nov 09, 2024, 10:10 AM
Delhi AQI Index: दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है, और शनिवार को इसका असर और भी गंभीर हो गया। राष्ट्रीय राजधानी का समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 360 पर दर्ज किया गया, जो कि 'अत्यधिक खराब' श्रेणी में आता है। दिल्लीवासियों को अब स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, खासकर बच्चों, बुजुर्गों और श्वसन समस्याओं से ग्रस्त व्यक्तियों के लिए यह स्थिति और भी जोखिमपूर्ण है। शहर में कई इलाकों में लोगों को सुबह टहलने से बचने और बाहर निकलते समय मास्क का उपयोग करने की सलाह दी जा रही है।

दिल्ली के इलाकों में AQI का स्तर

दिल्ली के विभिन्न इलाकों में प्रदूषण स्तर बेहद खतरनाक स्थिति में पहुंच चुका है। नीचे विभिन्न इलाकों का AQI दर्ज किया गया है:

  • आनंद विहार: 393 (अत्यधिक खराब)
  • अशोक विहार: 382 (अत्यधिक खराब)
  • अलीपुर: 386 (अत्यधिक खराब)
  • बवाना: 409 (गंभीर)
  • बुराड़ी: 354 (अत्यधिक खराब)
  • मथुरा रोड: 333 (खराब)
  • द्वारिका: 360 (अत्यधिक खराब)
  • आईजीआई एयरपोर्ट: 345 (अत्यधिक खराब)
  • जहांगीरपुरी: 389 (अत्यधिक खराब)
  • आईटीओ: 324 (खराब)
  • लोधी रोड: 310 (खराब)
  • मुंडका: 376 (अत्यधिक खराब)
  • मंदिर मार्ग: 340 (अत्यधिक खराब)
  • ओखला: 370 (अत्यधिक खराब)
  • पटपड़गंज: 388 (अत्यधिक खराब)
  • पंजाबी बाग: 389 (अत्यधिक खराब)
  • रोहिणी: 401 (गंभीर)
  • विवेक विहार: 383 (अत्यधिक खराब)
  • वजीरपुर: 397 (गंभीर)
  • नजफगढ़: 385 (अत्यधिक खराब)
  • नोएडा: 257 (खराब)
ये आंकड़े दर्शाते हैं कि दिल्ली के अधिकांश इलाकों में AQI स्तर 'अत्यधिक खराब' और 'गंभीर' श्रेणी में पहुंच चुका है। हवा की ऐसी गुणवत्ता में लंबे समय तक बाहर रहने से नागरिकों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

प्रदूषण बढ़ने के मुख्य कारण

दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में बढ़ोतरी के कई मुख्य कारण हैं। इनमें प्रमुख कारण हैं:

  1. पराली जलाना: अक्टूबर-नवंबर के महीनों में हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश में किसान खेतों में फसल कटाई के बाद बची पराली जलाते हैं। इस पराली से उठने वाला धुआं दिल्ली तक पहुंचकर प्रदूषण स्तर को और बढ़ा देता है।

  2. वाहनों से निकलने वाला धुआं: दिल्ली में वाहनों की संख्या अत्यधिक है, जिससे निकलने वाला धुआं वायु गुणवत्ता को गंभीर रूप से प्रभावित करता है।

  3. निर्माण कार्यों से उत्पन्न धूल: दिल्ली और उसके आसपास विभिन्न स्थानों पर चल रहे निर्माण कार्य भी प्रदूषण का बड़ा कारण हैं। निर्माण स्थलों से निकलने वाली धूल वायु में घुलकर हवा को और अधिक प्रदूषित कर देती है।

  4. मौसम की स्थितियां: सर्दियों के मौसम में ठंडी और स्थिर हवा के कारण वायु में प्रदूषक कण लंबे समय तक निचले वातावरण में ही बने रहते हैं, जिससे प्रदूषण और अधिक बढ़ जाता है।

नागरिकों के लिए स्वास्थ्य सलाह

वायु प्रदूषण के गंभीर स्तर को देखते हुए स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने दिल्लीवासियों को कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं:

  • मास्क का उपयोग करें: घर से बाहर निकलते समय N95 या अन्य प्रदूषण रोधी मास्क का उपयोग करें।
  • सुबह की सैर से बचें: प्रदूषण का स्तर सुबह के समय और अधिक हो सकता है, इसलिए सुबह की सैर से बचें।
  • घर में वायु शुद्धिकरण उपकरणों का उपयोग करें: घर के अंदर भी वायु गुणवत्ता बनाए रखने के लिए वायु शुद्धिकरण उपकरणों का उपयोग करें।
  • संवेदनशील व्यक्तियों का विशेष ध्यान रखें: बच्चों, बुजुर्गों और अस्थमा के रोगियों को विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्हें यथासंभव घर के अंदर ही रहने की सलाह दी गई है।

समाधान की दिशा में कदम

प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सरकार द्वारा कुछ कदम उठाए जा रहे हैं, जैसे कि निर्माण कार्यों पर प्रतिबंध, प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों पर रोक, और पानी का छिड़काव। हालांकि, दीर्घकालिक समाधान के लिए सभी नागरिकों, सरकारी एजेंसियों और निजी संस्थानों को मिलकर एक ठोस कार्य योजना बनानी होगी ताकि दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों को एक स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण मिल सके।