- भारत,
- 21-Apr-2025 02:34 PM IST
Pope Francis Passed Away: दुनिया भर के करोड़ों कैथोलिक अनुयायियों और मानवता के लिए यह दिन अत्यंत शोकपूर्ण है। वेटिकन से जारी आधिकारिक बयान में बताया गया है कि पोप फ्रांसिस का ईस्टर सोमवार के दिन, 88 वर्ष की आयु में वेटिकन सिटी स्थित कासा सांता मार्टा में निधन हो गया। वे हाल ही में फेफड़ों के जटिल संक्रमण और इसके चलते हुई गुर्दे की खराबी से जूझ रहे थे। कुछ दिन पहले उन्हें रोम के जेमेली अस्पताल में भर्ती किया गया था, जहां पहले भी 2021 में उनका इलाज हुआ था।
सादगी और करुणा का प्रतीक
पोप फ्रांसिस, जिनका असली नाम जॉर्ज मारियो बर्गोलियो था, सादगी, दया और मानवीय मूल्यों के प्रतीक माने जाते थे। उन्होंने हमेशा गरीबों, वंचितों और शरणार्थियों के अधिकारों की बात की। अपने जीवनशैली में भी उन्होंने वैभव के बजाय सरलता को अपनाया — वे पारंपरिक पोप महलों के बजाय सांता मार्टा के सामान्य निवास में रहे और अत्यधिक औपचारिकता से दूरी बनाए रखी।
सामाजिक न्याय के योद्धा
पोप फ्रांसिस न केवल धार्मिक नेता थे, बल्कि सामाजिक न्याय, पर्यावरण संरक्षण और अंतरधार्मिक संवाद के सशक्त प्रवक्ता भी रहे। उन्होंने लगातार जलवायु परिवर्तन की गंभीरता को रेखांकित किया और वैश्विक नेताओं को पर्यावरणीय जिम्मेदारी निभाने का आह्वान किया।
चर्च में किए ऐतिहासिक सुधार
पोप फ्रांसिस का कार्यकाल सुधारों के लिए याद किया जाएगा। उन्होंने वेटिकन में पारदर्शिता, धार्मिक जवाबदेही और आधुनिक युग के साथ तालमेल बैठाने की दिशा में कई कदम उठाए। उनका मानना था कि चर्च को केवल परंपराओं में नहीं, बल्कि वर्तमान की चुनौतियों को समझते हुए आगे बढ़ना चाहिए।
अंतिम बार जनता के सामने
अपने अंतिम दिनों में भी पोप ने अपने कर्तव्य को नहीं छोड़ा। ईस्टर रविवार को उन्होंने सेंट पीटर्स स्क्वायर में हजारों श्रद्धालुओं को आशीर्वाद दिया। इस मौके पर अमेरिका के उपराष्ट्रपति जे डी वेंस ने उनसे भेंट की थी। उन्होंने लोगों से कहा, “भाइयो और बहनों, ईस्टर की शुभकामनाएं!” — यह शब्द अब उनके आखिरी सार्वजनिक संबोधन के रूप में याद किए जाएंगे।
शोक की लहर
दुनिया भर के राष्ट्राध्यक्ष, धार्मिक नेता और आम जनमानस पोप फ्रांसिस के निधन पर शोक जता रहे हैं। उनके द्वारा शुरू किए गए कार्यों, विचारों और मानवीय मूल्यों की विरासत आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।