Zee News : Aug 12, 2020, 07:10 AM
नई दिल्ली: लद्दाख (Laddakh) में चीन के साथ चल रहे तनाव को देखते हुए भारत लगातार अपनी सुरक्षा मजबूत करने में लगा हुआ है। रफाल विमानों की खरीद के बाद रक्षा मंत्रालय (Defence ministry) ने 106 स्वदेशी ट्रेनर एयरक्राफ्ट खरीदने की मंजूरी दे दी है। ये विमान हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) से खरीदे जाएंगे। इसके अलावा सेना और कोस्ट गार्ड के लिए भी साजो सामान की खरीद को मंजूरी दी गई है।
सूत्रों के मुताबिक HAL से खरीदे जाने वाले ये विमान HTT-40 बेसिक ट्रेनर होंगे। इसके साथ ही टैंक भेदी गोले खरीदने को भी मंजूरी दी गई है। कोस्ट गार्ड के जहाजों में लगने वाली तोपों की खरीद को भी रक्षा मंत्रालय ने अपनी स्वीकृति दी है। इन रक्षा सौदों पर कुल 8722।88 करोड़ रुपये खर्च होंगे। बता दें कि गर्मियों में युद्धाभ्यास के बहाने चीन ने लद्दाख में सेना का जमावड़ा किया और उसके बाद पैंगोंग झील, देपसांग प्लेन, गोगरा, गलवान समेत कई हिस्सों में अतिक्रमण कर लिया। गलवान में 15 जून को दोनों देशों की सेनाओं में हिंसक झड़प और लगातार बातचीत के बाद चीन गोगरा, गलवान और हॉट स्प्रिंग में डिसएंगेजमेंट करने को सहमत हो गया। लेकिन पैंगोंग झील और देपसांग इलाके में चीन ने अभी तक अपने सैनिकों को पीछे नहीं हटाया है और लगातार हथियारों की संख्या बढ़ाने में लगा है। उसके खतरनाक इरादों को भांपकर भारत भी लगातार अपनी सेनाओं को अस्त्र- शस्त्र से चाक चौबंद करने में लगा हुआ है।
सूत्रों के मुताबिक HAL से खरीदे जाने वाले ये विमान HTT-40 बेसिक ट्रेनर होंगे। इसके साथ ही टैंक भेदी गोले खरीदने को भी मंजूरी दी गई है। कोस्ट गार्ड के जहाजों में लगने वाली तोपों की खरीद को भी रक्षा मंत्रालय ने अपनी स्वीकृति दी है। इन रक्षा सौदों पर कुल 8722।88 करोड़ रुपये खर्च होंगे। बता दें कि गर्मियों में युद्धाभ्यास के बहाने चीन ने लद्दाख में सेना का जमावड़ा किया और उसके बाद पैंगोंग झील, देपसांग प्लेन, गोगरा, गलवान समेत कई हिस्सों में अतिक्रमण कर लिया। गलवान में 15 जून को दोनों देशों की सेनाओं में हिंसक झड़प और लगातार बातचीत के बाद चीन गोगरा, गलवान और हॉट स्प्रिंग में डिसएंगेजमेंट करने को सहमत हो गया। लेकिन पैंगोंग झील और देपसांग इलाके में चीन ने अभी तक अपने सैनिकों को पीछे नहीं हटाया है और लगातार हथियारों की संख्या बढ़ाने में लगा है। उसके खतरनाक इरादों को भांपकर भारत भी लगातार अपनी सेनाओं को अस्त्र- शस्त्र से चाक चौबंद करने में लगा हुआ है।