जोधपुर. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शनिवार को जोधपुर में राजस्थान हाईकोर्ट की मुख्यपीठ के नए भवन का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि न्याय प्रणाली बहुत महंगी हो चुकी है। गरीब आदमी के लिए सुप्रीम व हाईकोर्ट तक पहुंचना बेहद मुश्किल हो चला है। ऐसे में हम सभा को सामुहिक रूप से प्रयास करना होगा कि देश के सभी व्यक्तियों को सस्ता व त्वरित न्याय कैसे सुलभ हो सके। साथ ही गरीब व्यक्ति को नि:शुल्क कानूनी सहायता उपलब्ध कराने का दायरा बढ़ाना होगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि सत्य ही हमारे गणतंत्र का आधार है और संविधान ने सत्य की रक्षा करने का महत्वपूर्ण दायित्व न्यायपालिका को सौंपी है। ऐसे में न्यायपालिका की जिम्मेदारी बढ़ जाती है। हमारे देश में पुराने दौर में राजा-महाराजाओं से न्याय मांगने के लिए कोई भी व्यक्ति उनके निवास के बाहर लगी घंटी को बजा सकता था और उसे न्याय मिलता था। लेकिन अब हालात बदल चुके है। न्याय प्रणाली बहुत महंगी हो चुकी है। देश के किसी भी गरीब व्यक्ति के लिए हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचना मुश्किल हो गया है। ऐसे में हम सभी की जिम्मेदारी है कि देश के प्रत्येक नागरिक को सस्ता न्याय सुलभ हो। इस दिशा में सभी को मिलकर प्रयास करने होंगे।
राष्ट्रपति ने कहा कि राजस्थान हाईकोर्ट का नया भवन बहुत बेहतरीन बनकर तैयार हुआ है। प्रदेश की ऐतिहासिक इमारतों में इसका नाम भी शामिल हो गया है। इसे देखकर अन्य हाईकोर्ट के वकीलों को अवश्य जलन महसूस होगी। जोधपुर में बार व बेंच की बहुत समृद्ध परम्परा रही है। इस परम्परा को आगे ले जाने की जिम्मेदारी अब युवा पीढ़ी की है। उन्होंने राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायधीशों से आग्रह किया कि यहां दिए जाने वाले फैसलों की जानकारी हिन्दी में भी उपलब्ध कराए जाए। तकनीक का बेहतरीन इस्तेमाल करते हुए सुप्रीम कोर्ट अपने फैसलों की जानकारी नौ भाषाओं में उपलब्ध करवा रहा है।
युवा प्रतिभाओं को आना होगा न्यायपालिका में
केन्द्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि समाज के प्रतिभाशाली लोगों को न्यायपालिका के क्षेत्र में आना चाहिये। देशभर की प्रतिभाओं को न्यायिक क्षेत्र में समान अवसर मिले इसके लिए अखिल भारतीय स्तर पर न्यायिक अधिकारियों की भर्ती होनी चाहिये। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट के मार्गदर्शन में संघ लोक सेवा आयोग के माध्यम से परीक्षा आयोजित करवाई जा सकती है। वकील कोटे से हाईकोर्ट में न्यायाधीश नियुक्त करने की जिम्मेदारी कॉलेजियम की है, लेकिन उन्हें ऐसे लोगों के बारे में सोचना होगा जिनके परिवार से पहले कोई वकील नहीं रहा। कई ऐसे प्रतिभाशाली लोग है जिनके माता-पिता ने तिनका-तिनका जोड़ कर यहां तक पहुंचाया है। प्रसाद ने कहा कि देशभर में फास्ट ट्रेक अदालतों की संख्या तेजी से बढ़ाने पर काम किया जा रहा है। राजस्थान में इस दिशा में बेहतरीन काम हुआ है। उन्होंने कहा कि महिलाओं से जुड़े मामलों के त्वरित निस्तारण की दिशा में सभी को विचार करना चाहिये। केन्द्र सरकार से किसी मदद की दरकार है तो पूरा सहयोग दिया जाएगा।
बदला न्याय नहीं हो सकता
देश के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबड़े ने कहा कि हैदराबाद में शुक्रवार सुबह हुए एनकाउंटर का नाम नहीं लिया, लेकिन कहा कि किसी मामले में बदला लेने को न्याय नहीं कहलाया जा सकता है। बदला न्याय का विकल्प नहीं बन सकता है। किसी भी मामले में हाथों हाथ न्याय नहीं किया जा सकता है। न्याय मिलने की एक प्रक्रिया होती है। ऐसे में न्याय मिलने का थोड़ा इंतजार तो करना पड़ेगा।
अदालतों में मुकदमों की संख्या को मध्यस्थ के जरिये सुलझा कर काफी हद तक कम किया जा सकता है। हम सभी को इस बारे में मिलकर विचार करना होगा। उन्होंने कहा कि मध्यस्थता मामले के कोर्ट में पहुंचने से पहले होनी चाहिये। इसके लिए देश के सभी जिलों में इस तरह के केन्द्र खुलने चाहिये। उन्होंने सुझाव दिया कि देश के सभी लॉ कॉलेजों में मध्यस्थता को भी पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिये। ऐसा करने से लोगों को त्वरित न्याय मिल पाएगा। साथ ही उन्होंने न्यायालयों में तकनीक का समावेश करने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में कई कार्यों को सरल बनाया गया है. इस तकनीक का बेहतर उपयोग किया जा सकता है।
रिक्त पद भरे जाए ताकि कम हो मुकदमों का बोझ
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने हाईकोर्ट और अधीनस्थ न्यायालयों में न्यायाधीशों व न्यायिक अधिकारियों के बड़ी संख्या में रिक्त पदों पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि रिक्त पदों को समय पर भर कर न्यायालयों में लगे मुकदमों के अंबार को कम किया जा सकता है। इससे लोगों को समय पर न्याय मिलना शुरू हो जाएगा।