World News / रानिल विक्रमसिंघे बने श्रीलंका के नए पीएम, बड़ा सवाल- क्या आर्थिक संकट से निकलेगा देश?

श्रीलंका में जारी आर्थिक (Economic Crisis in India) और सियासी संकट के बीच दिग्गज राजनेता नेता रानिल विक्रमसिंघे (Sri Lanka New PM Ranil Wickremesinghe) देश के नए प्रधानमंत्री बन गए हैं। राष्ट्रपति के मीडिया कार्यालय ने बताया कि 73 वर्षीय रानिल विक्रमसिंघे ने पीएम पद की शपथ ली है। बुधवार को राष्ट्र के नाम एक संबोधन में राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने घोषणा की थी

Vikrant Shekhawat : May 12, 2022, 08:33 PM
कोलंबो: श्रीलंका में जारी आर्थिक (Economic Crisis in India) और सियासी संकट के बीच दिग्गज राजनेता नेता रानिल विक्रमसिंघे (Sri Lanka New PM Ranil Wickremesinghe) देश के नए प्रधानमंत्री बन गए हैं। राष्ट्रपति के मीडिया कार्यालय ने बताया कि 73 वर्षीय रानिल विक्रमसिंघे ने पीएम पद की शपथ ली है। बुधवार को राष्ट्र के नाम एक संबोधन में राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने घोषणा की थी कि इस सप्ताह नया प्रधान मंत्री और उनका मंत्रिमंडल बनाया जाएगा।

इससे पहले देश में जारी आर्थिक संकट को लेकर हो रहे विरोध-प्रदर्शन के दौरान सोमवार को प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने निर्वाचित सरकार को हटाकर अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इस दिन राजधानी कोलंबो में जमकर बवाल हुआ। कई प्रदर्शनकारियों ने हिंसा और आगजनी की।

रानिल विक्रमसिंघे 2018-2019 में भी श्रीलंका के प्रधानमंत्री का पद संभाल चुके हैं। 2019 में रानिल ने अपनी ही पार्टी के दबाव के चलते पीएम पद से इस्तीफा दे दिया था। नए पीएम को नियुक्त करने से पहले राष्ट्रपति गोटबया राजपक्षे ने साफ कहा था कि वो युवा मंत्रिमंडल नियुक्त करेंगे, जिसमें राजपक्षे परिवार का एक भी सदस्य नहीं होगा। हालांकि, अलग पार्टी में रहते हुए भी रानिल विक्रमसिंघे को श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे और महिंदा राजपक्षे का करीबी बताया जाता है। शायद इसी वजह से गोटबया राजपक्षे उन्हें नया पीएम बनाया।

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रानिल विक्रमसिंघे 1994 से यूनाइटेड नेशनल पार्टी के प्रमुख रहे हैं। वह अब तक 4 बार श्रीलंका के पीएम रहे चुके हैं। महिंदा के 2020 में पीएम बनने से पहले भी रानिल ही श्रीलंका के पीएम थे। 73 साल के रानिल ने वकालत की पढ़ाई की हुई है।

बता दें कि श्रीलंका में आर्थिक संकट के कारण लोग सड़कों पर उतर आए हैं। बढ़ती महंगाई, आवश्यक वस्तु और दवाओं की कमी की वजह से हालात बेहद खराब हो चले हैं। इस मौजूदा संकट के लिए राजपक्षे सरकार को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है और इस कारण से जनता सरकार के खिलाफ हो गई है।