लाइफस्टाइल / विद्रोही बच्चे बड़े होकर बनते हैं दयालु, शोध में हुआ खुलासा

अगर आपके किशोर उम्र के बच्चे भी विद्रोही व्यवहार करते हैं तो परेशान होने की जरूरत नहीं है। जो बच्चे किशोरावस्था में बड़ों की बातें नहीं सुनते और विद्रोही व्यवहार करते हैं वे बड़े होकर ज्यादा दयालु बनते हैं। एक हालिया शोध में यह दावा किया गया है। सामाजिक वैज्ञानिकों के अनुसार जरूरी नहीं है कि जो बच्चे किशोरावस्था में खराब व्यवहार करते हैं वे बड़े होकर भी बुरे ही बनेंगे। इस पर किया गया हालिया शोध सर्वे पर आधारित है।

Live Hindustan : Aug 30, 2019, 11:33 AM
अगर आपके किशोर उम्र के बच्चे भी विद्रोही व्यवहार करते हैं तो परेशान होने की जरूरत नहीं है। जो बच्चे किशोरावस्था में बड़ों की बातें नहीं सुनते और विद्रोही व्यवहार करते हैं वे बड़े होकर ज्यादा दयालु बनते हैं। एक हालिया शोध में यह दावा किया गया है। यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्थ कैरोलिना और लीडेन यूनिवर्सिटी के एक शोध में पता चला है कि जो बच्चे कम उम्र में सिगरेट-शराब पीते हैं और मनोरंजन के नाम पर खतरे मोल लेते हैं वे वयस्क होते-होते काफी शांत हो जाते हैं और दूसरे के प्रति काफी दयालु हो जाते हैं। 

दोनों तरह के व्यवहार को नियंत्रित करता है दिमाग: सामाजिक वैज्ञानिकों के अनुसार जरूरी नहीं है कि जो बच्चे किशोरावस्था में खराब व्यवहार करते हैं वे बड़े होकर भी बुरे ही बनेंगे। इस पर किया गया हालिया शोध सर्वे पर आधारित है। शोधकर्ताओं का मानना है कि सामाजिक रूप से सकारात्मक और जोखिम भरा व्यवहार दिमाग के एक हिस्से से जुड़ा हुआ है जो दोनों तरह के व्यवहार को नियंत्रित करता है। बढ़ती उम्र में बच्चों के बागी तेवरों को अभिभावक, शिक्षक, साइकोलॉजिस्ट और विशेषज्ञ द्वारा ऐसा चरण माना जाता है जहां बच्चे हर सीमाओं को मानने से इनकार करते हैं क्योंकि वह एक वयस्क बनने की दिशा में कदम बढ़ा चुके होते हैं। किशोरावस्था 10 साल से शुरू होकर 19 साल तक चलती है। यह अवधि एक बच्चे से दूसरे बच्चे पर निर्भर करती है। इसी समय बच्चे अपने आस-पास की दुनिया को देखते हैं और सीमाओं को तोड़कर आगे बढ़ने की जुगत में रहते हैं। इस उम्र में बच्चों का दिमाग बहुत तेजी से बदलता रहता है। उनका दिमाग वयस्कों के दिमाग से अलग तरह से काम करता है इसलिए वे अलग तरह का व्यवहार करते हैं।

प्रतिभागियों पर तीन बार सर्वे: इस शोध के दौरान शोधकर्ताओं ने 210 लोगों का सर्वे किया। इस लोगों पर तीन बार सर्वे किया गया। पहली बार जब उनसे सवाल पूछे गए तब वे आठ से 25 साल के बीच थे और फिर दूसरी बार दो साल बाद और तीसरी बार फिर दो साल बाद उनसे सवाल-जवाब किया गया। इस दौरान उनका एमआरअई स्कैन भी किया गया। यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्थ कैरोलिना के प्रोफेसर इव टेलजर ने कहा, हमारे शोध से पता चलता है कि मनोरंजन करना किशोरावस्था के दौरान विकास का एक कारक हो सकता है। किशोरावस्था दोनों ही जोखिम उठाने और मौके का फायदा उठाने का समय है।