Vikrant Shekhawat : Jan 22, 2021, 03:52 PM
नैनीताल नैनीताल में एक विद्वान विद्वान का एक अजीबोगरीब कारनामा सामने आया है। यह एक ऐसा कार्य था जिसके द्वारा महिलाएँ हर दिन अजीब समस्याओं में फंस जाती थीं। उसका महीने का बजट भी गड़बड़ा रहा था। वास्तव में, यह शोध विद्वान महिलाओं द्वारा धूप में सूखने के लिए लगाए गए अपने अंडर गारमेंट्स की चोरी करता था। महिलाएं बहुत परेशान थीं क्योंकि उन्हें आए दिन नए अंडर गारमेंट्स खरीदने पड़ते थे।
दरअसल, सरकारी कर्मचारी फांसी के फंदे में झूल रहे हैं कर्मचारी अपने परिवारों के साथ यहां रहते हैं। यह कुमाऊं विश्वविद्यालय के डीएसबी परिसर और अन्य विभागों के लिए रास्ता है। छात्र आम लोगों के साथ गुजरते रहते हैं। स्टाफ क्वार्टर में रहने वाली महिलाएं कई महीनों से परेशान थीं, क्योंकि जो भी कपड़े धोने के बाद सुखाने के लिए डालते थे, वे गायब हो जाते थे। यह बात महिलाओं में चर्चा का विषय बन गई।महिलाओं ने इसकी शिकायत तल्लीताल थाने में की। पुलिस ने महिलाओं की शिकायत को गंभीरता से लिया। एसओ तल्लीताल विजय मेहता अपनी टीम के साथ स्टाफ क्वार्टर पर नजर रख रहे थे, तभी एक स्मार्ट लड़का वहां पहुंचा। उसने पहले इधर-उधर देखा और फिर किसी को पास न देखकर तार में लटके बैग में कपड़ों के नीचे डालने लगा। पुलिस ने उसे रंगे हाथ पकड़ा और थाने ले आई।
पूछताछ के दौरान पता चला कि यह लड़का कुमाऊं विश्वविद्यालय के विभाग से अनुसंधान यानी पीएचडी कर रहा है। जब पुलिस ने उसे महिलाओं के अंडरगारमेंट्स चुराने के लिए कहा, तो उसने सच्चाई स्वीकार कर ली। उन्होंने बताया कि उन्हें महिलाओं के अंडर गारमेंट्स को छूना पसंद था और उन्हें बदबू आती थी। इसलिए वह मौका देखकर उन्हें चोरी कर लेता था। पुलिस ने इस रिसर्च स्कॉलर से सलाह लेने के बाद धारा 151 में चालान काट दिया और भविष्य में ऐसा न करने की चेतावनी देते हुए उसे छोड़ दिया।डॉ युवराज पंत कहते हैं कि यह एक प्रकार का मानसिक रोग है। मनोविज्ञान की भाषा में इसे OCD यानी ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर कहा जाता है। इसका मतलब है कि इस व्यक्ति को वह काम करने की आदत है जो उसे पसंद है। जब वह इस तरह का व्यवहार करता है तो वह बेचैन होता है, इसलिए वह
बार-बार, और जैसे ही वह ऐसा काम करता है, उसकी बेचैनी खत्म हो जाती है। डॉ। युवराज पंत के अनुसार, इस बीमारी का इलाज संभव है, जिसके लिए फार्माकोलॉजी और मनोवैज्ञानिक परामर्श की मदद ली जाती है।
दरअसल, सरकारी कर्मचारी फांसी के फंदे में झूल रहे हैं कर्मचारी अपने परिवारों के साथ यहां रहते हैं। यह कुमाऊं विश्वविद्यालय के डीएसबी परिसर और अन्य विभागों के लिए रास्ता है। छात्र आम लोगों के साथ गुजरते रहते हैं। स्टाफ क्वार्टर में रहने वाली महिलाएं कई महीनों से परेशान थीं, क्योंकि जो भी कपड़े धोने के बाद सुखाने के लिए डालते थे, वे गायब हो जाते थे। यह बात महिलाओं में चर्चा का विषय बन गई।महिलाओं ने इसकी शिकायत तल्लीताल थाने में की। पुलिस ने महिलाओं की शिकायत को गंभीरता से लिया। एसओ तल्लीताल विजय मेहता अपनी टीम के साथ स्टाफ क्वार्टर पर नजर रख रहे थे, तभी एक स्मार्ट लड़का वहां पहुंचा। उसने पहले इधर-उधर देखा और फिर किसी को पास न देखकर तार में लटके बैग में कपड़ों के नीचे डालने लगा। पुलिस ने उसे रंगे हाथ पकड़ा और थाने ले आई।
पूछताछ के दौरान पता चला कि यह लड़का कुमाऊं विश्वविद्यालय के विभाग से अनुसंधान यानी पीएचडी कर रहा है। जब पुलिस ने उसे महिलाओं के अंडरगारमेंट्स चुराने के लिए कहा, तो उसने सच्चाई स्वीकार कर ली। उन्होंने बताया कि उन्हें महिलाओं के अंडर गारमेंट्स को छूना पसंद था और उन्हें बदबू आती थी। इसलिए वह मौका देखकर उन्हें चोरी कर लेता था। पुलिस ने इस रिसर्च स्कॉलर से सलाह लेने के बाद धारा 151 में चालान काट दिया और भविष्य में ऐसा न करने की चेतावनी देते हुए उसे छोड़ दिया।डॉ युवराज पंत कहते हैं कि यह एक प्रकार का मानसिक रोग है। मनोविज्ञान की भाषा में इसे OCD यानी ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर कहा जाता है। इसका मतलब है कि इस व्यक्ति को वह काम करने की आदत है जो उसे पसंद है। जब वह इस तरह का व्यवहार करता है तो वह बेचैन होता है, इसलिए वह
बार-बार, और जैसे ही वह ऐसा काम करता है, उसकी बेचैनी खत्म हो जाती है। डॉ। युवराज पंत के अनुसार, इस बीमारी का इलाज संभव है, जिसके लिए फार्माकोलॉजी और मनोवैज्ञानिक परामर्श की मदद ली जाती है।