यूपी पंचायत चुनाव 2021 / पंचायत चुनावों के 75 जिलों के लिए जारी हुई आरक्षण सूची

उत्तर प्रदेश में होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव (यूपी ग्राम पंचायत चुनव- 2021) के लिए तैयारियां अंतिम चरण में हैं। सभी जिलों में ग्राम पंचायतों, वार्डों और ब्लॉक प्रमुख पदों की स्थिति अब स्पष्ट है। इस बार हालात पूरी तरह से विपरीत हैं। इस बार कई दावेदार हैं, जो चुनाव लड़ना चाहते थे और चुनाव प्रचार में बहुत पैसा खर्च किया था, सीटों के आरक्षण की तस्वीर आने के बाद वे निराश हैं।

Vikrant Shekhawat : Mar 04, 2021, 03:24 PM
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव (यूपी ग्राम पंचायत चुनव- 2021) के लिए तैयारियां अंतिम चरण में हैं। सभी जिलों में ग्राम पंचायतों, वार्डों और ब्लॉक प्रमुख पदों की स्थिति अब स्पष्ट है। इस बार हालात पूरी तरह से विपरीत हैं। इस बार कई दावेदार हैं, जो चुनाव लड़ना चाहते थे और चुनाव प्रचार में बहुत पैसा खर्च किया था, सीटों के आरक्षण की तस्वीर आने के बाद वे निराश हैं। हालाँकि, यह अंतिम सूची नहीं है। बुधवार से 8 मार्च तक 75 जिलों के लिए आरक्षण सूची पर दावा आपत्ति दर्ज की जा सकती है। 12 मार्च तक आपत्तियों के निपटान के बाद आरक्षण की अंतिम सूची 15 मार्च तक प्रकाशित की जाएगी।

अभी जो आरक्षण सूची आई है, उसमें कई ऐसी ग्राम पंचायतें हैं, जहाँ समीकरण पूरी तरह बदल गए हैं। ऐसे में चुनाव लड़ने के इच्छुक लोगों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि आरक्षण सूची की घोषणा होने से पहले ही उन्होंने चुनाव प्रचार में काफी खर्च कर दिया है। जब सीट किसी अन्य श्रेणी में आरक्षित की गई है, तो वे अपने उम्मीदवार यानी अपने समर्थक को मैदान में उतारने की तैयारी कर रहे हैं ताकि वे गाँव की सत्ता अपने हाथ में रख सकें। प्रयागराज, लखनऊ, सैफई, इटावा, मैनपुरी, वाराणसी, गोरखपुर सहित कई ऐसे जिले हैं, जहाँ दावेदार अपने समर्थित उम्मीदवार को मैदान में उतारने की तैयारी कर रहे हैं।

दरअसल, राज्य चुनाव आयोग को आरक्षण की अंतिम सूची 15 मार्च तक मिल जाएगी। ऐसी स्थिति में 25-26 मार्च से पंचायत चुनाव अधिसूचना भी जारी की जाएगी। उम्मीद है कि 10 अप्रैल के बाद चार चरणों में मतदान होगा। लेकिन, जिला पंचायत चुनाव अधिकारी द्वारा सूची जारी कर दी गई है। इसमें परिवर्तन की संभावना बहुत कम है, क्योंकि कई सीटें ऐसी थीं जहां आरक्षण प्रणाली कई दशकों तक लागू नहीं हुई थी। इसलिए इस बार रोटेशन प्रणाली के तहत कई ग्राम पंचायतों की स्थिति बदल गई है, ऐसे में दावेदार अब रबर स्टैम्प उम्मीदवार को मैदान में उतारने की तैयारी कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, यदि कोई सीट एससी, एसटी, ओबीसी या महिलाओं के लिए आरक्षित है, तो दावेदार अपने करीबी को मैदान में उतारने जा रहे हैं, ताकि सत्ता की चाबी उनके पास रहे। हालांकि, अभी यह कहना जल्दबाजी होगी कि यह योजना कितनी सफल है।