Vikrant Shekhawat : Aug 20, 2023, 03:21 PM
Luna-25: रूस स्पेस स्टेशन ने बताया कि उनका संपर्क “लूना-25” से टूट गया है. शुरुआती जांच के आधार पर यह माना जा रहा है कि चंद्रमा की सतह से टकराने के बाद लूना-25 से उनका संपर्क टूट गया. रिपोर्ट्स के अनुसार, लूना-25 अपने निर्धारित पथ से भटक गया और चंद्रमा की सतह से जा टकराया. इसके कारण लूना-25 को नुकसान पहुंचा है और संपर्क टूट गया. इस बात की पुष्टि भी कर दी गई है. रूस ने 50 साल बाद अपना मून मिशन लॉन्च किया था. लूना-25 को 10 अगस्त को लॉन्च किया गया था. इसकी लैंडिंग 21 अगस्त को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर होनी थी. बताया जा रहा रूस के इस मिशन में कुल 1600 करोड़ रुपये की लागत आई थी. चांद की सतह पर अभी तक सिर्फ तीन ही ऐसे देश हैं जो सफल लैंडिंग कर पाए हैं.
लूना-25 में लैंडिंग से पहले आई थी खराबी बता दें कि 47 साल बाद रूस के मिशन मून को बड़ा झटका लग गया है। रूस की अतंरिक्ष एजेंसी रॉसकॉसमॉस के लूना-25 में तकनीकी ख़राबी आ गई थी। इसके कुछ घंटों बाद खबर आई कि ये चांद की सतह पर क्रैश हो गया है। लूना-25 में ये खराबी लैंडिंग से पहले ऑर्बिट बदलते वक्त हुई थी। रूस के लूना-25 की लैंडिंग 21 अगस्त को होनी थी, लेकिन तकनीकी खराबी के बाद अब ये क्रैश हो गया है। बता दें कि रूस के लूना-25 को भी उसी दक्षिणी ध्रुव पर उतरना था जहां इसरो के विक्रम लैंडर को उतरना है। रूस ने अपने लूना-25 को 10 अगस्त को चांद के लिए रवाना किया था। इस तकनीकी खराबी के कुछ घंटों बाद रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोसमोस ने बताया है कि लूना-25 क्रैश हो गया। रूस के लूना को कल यानी 21 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव सॉफ्ट लैंडिंग करनी है। रूस ने करीब पांच दशक बाद अपना ये मून मिशन लॉन्च किया था। शॉर्टकट लेकर चांद की ऑर्बिट में पहुंचा लूना-25ये बता भी ध्यान देने वाली है कि जहां एक ओर इसरो ने चंद्रयान-3 को 14 जुलाई को चांद की ओर रवाना किया था तो वहीं रूस ने इसके करीब एक महीने बाद लूना-25 को 10 अगस्त को लॉन्च किया था। बावजूद इसके भी लूना-25 की सॉफ्ट लैंडिंग चंद्रयान-3 से पहले होने वाली थी। ऐसा इसलिए क्योंकि लूना-25 के पास इसरो से कहीं ज्यादा आधुनकिक लॉन्चर है जो लूना-25 को डायरेक्ट रूट से चांद तक लेकर गया था। जो केवल 11 दिनों में चांद तक की सतह तक पहुंचने वाला था। वहीं इसरो के चंद्रयान-3 ने चांद तक पहुंचने के लिए ऑर्बिटल रूट लिया है जिसके तहत इसे लैंडिंग करने में एक महीने से भी ज्यादा वक्त लग रहा है। इतना ही नहीं लूना-25 भारत के चंद्रयान-3 से काफी हल्का भी है। लूना-25 का वजन केवल 1,750 किलोग्राम था, जो चंद्रयान-3 के 3,800 किलोग्राम से काफी हल्का है।चांद की सतह को 25 किलोमीटर दूर है चंद्रयान-3वहीं दूसरी ओर भारत के चंद्रयान-3 से पूरी दुनिया को चमत्कार की उम्मीद है। अब दुनिया भर के अतंरिक्ष वैज्ञानिकों की इसरो की तरफ निगाहें हैं। शनिवार रात 2 बजे चंद्रयान-3 मिशन के लैंडर विक्रम में दूसरी बार डीबूस्टिंग की गई। इस डीबूस्टिंग के बाद अब लैंडर विक्रम चंद्रमा की धरती के और करीब पहुंच गया है। इस वक्त लैंडर विक्रम चंद्रमा की कक्षा में सबसे पास 25 किलोमीटर की दूरी पर और सबसे दूर 134 किलोमीटर की दूरी की कक्षा में चक्कर लगा रहा है। इसरो के मुताबिक अब केवल डोरबिट बर्न और लैंडिंग ही बची है। लैंडर इस समय जिस कक्षा में है उसे इसरो द्वारा इंटरमीडिएट ट्रांसफर ऑर्बिट कहा जाता है। यह वह जगह है जहां लैंडर अपने लैंडिंग स्थल पर सूर्योदय होने का इंतजार करेगा और इसी कक्षा से लैंडर विक्रम की चंद्रमा पर 23 अगस्त शाम 5 बजकर 45 मिनट पर लैंडिंग होगी।Связь с автоматической станцией "Луна-25" прервалась, сообщает Роскосмос. По предварительным расчетам, станция перешла на нерасчетную орбиту и столкнулась с поверхностью Луны:https://t.co/G5zgXOwwQQ
— ТАСС (@tass_agency) August 20, 2023
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